सैनिटरी नैपकीन, डायपर से चोक हो रहे ड्रेनेज

सैनिटरी नैपकीन, डायपर से चोक हो रहे ड्रेनेज
इधर-उधर फेंकने से बढ़ी परेशानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सैनिटरी नैपकीन और डायपर का इस्तेमाल बढ़ गया है, लेकिन उसे ठिकाने लगाने में महिलाएं संकोच करती हैं। नजर चुराकर नालियों अथवा कचरा कुंडियों में फेंक देती हैं। ड्रैनेज चोक होने की यह एक बड़ी वजह है। मनपा के घनकचरा प्रबंधन विभाग के निरीक्षण में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।

पर्यावरण के लिए खतरनाक

पर्यावरण संवर्धन के लिए राज्य सरकार ने ‘माझी वसुंधरा’ अभियान शुरू किया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए मनपा विविध कदम उठा रही है। ड्रेनेज चोक कर रहे सैनिटरी नैपकीन, डायपर मनपा के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों पर पानी फेर रहे हैं। ड्रैनेज चोक होने से प्रदूषण बढ़ने के साथ ही जलस्रोत दूषित होने का खतरा बना हुआ है।

ड्रेनेज सफाई में तथ्य उजागर

महीनेभर में 5 लाख से अधिक सैनिटरी नैपकीन और 3 लाख से अधिक डायपर की बिक्री होने का अनुमान है। मनपा की कचरा गाड़ी में प्रतिदिन 10 टन कचरा संकलन किए जाते हैं, जिसमें 6 टन सैनिटरी नैपकीन और 4 टन डायपर का समावेश है। जितनी खरीदी होती है, उसके मुश्किल से 60 फीसदी ही कचरा संकलन होता है। 40 फीसदी महिलाएं कचरा गाड़ी में फेंकने से कतराती हैं। नजर चुराकर नालियों अथवा कचरा कुंडियों में फेंक दिया जाता है। जेट मशीन से ड्रेनेज सफाई के दौरान सैनिटरी नैपकीन, डायपर निकलने से यह तथ्य उजागर हुआ है।

Created On :   29 Jun 2023 2:29 PM IST

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