वनों के सहारे हो रही आदिवासियों की गुजर-बसर

वनों के सहारे हो रही आदिवासियों की गुजर-बसर
तेंदूपत्ता संकलन से ग्रामीणों को मिला रोजगार

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली । राज्य के आखिरी छोर पर बसे गड़चिरोली जिले में वनसंपदा बड़े पैमाने पर है। भले ही यह जिला उद्योग विहिन जिले के रूप में पहचाना जाता हो, लेकिन इस जिले की वनसंपदा स्थानीय मजदूरों को रोजी-रोटी देती है। जिले में सर्वाधिक दिवस रोजगार देनेवाला और सबसे बड़े सीजन के रूप में पहचाने जानेवाले तेंदूपत्ता संकलन की शुरुआत जिले के विभिन्न तहसीलों में हो गयी है। वहीं तेंदूपत्ता संकलन करने के लिए जिले के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के मजदूर बड़ी संख्या में जुट गए हैं।

बताया जा रहा है कि, जिले में तेंदूपत्ता संकलन 15 से 20 दिनों की कालावधि तक चलता है। इस अल्प अवधि में अधिक मजदूरी पाने के लिए मजदूर वर्ग बड़ी संख्या में तेंदूपत्ता का संकलन करते हैं। तेंदूपत्ता संकलन शुरू होने से मजदूर वर्ग को बड़ी राहत मिली है। बता दें कि, गड़चिरोली जिले के जंगल में ऊंचे दर्जे का तेंदूपत्ता होने के कारण जिले समेत बाहर राज्यों के ठेकेदार इस जिले का तेंदूपत्ता खरीदने में अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं, जिससे प्रति वर्ष ठेकेदार बड़ी संख्या में जिले में पहुंचकर ग्रामसभाओं के साथ तेंदूपत्ता खरीदने की प्रक्रिया पूर्ण करते हैं। इस वर्ष तेंदूपत्ता खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जिले के विभिन्न तहसीलों में तेंदूपत्ता संकलन कार्य शुरू किए गए हैं। वहीं तेंदूपत्ता संकलन के लिए अन्य राज्य के मजदूर जिले में दाखिल हो गए हैं। मजदूर करीब 15-20 दिनों का राशन व आवश्यक सामग्री लेकर गांव-गांव में पहुंच रहे हैं।

बता दें कि, 15 से 20 दिनों तक के कालावधि में चलनेवाले तेंदूपत्ता सीजन के माध्यम से मजदूरों का करीब 2 से 3 माह का गुजारा होता है। वहीं तेंदूपत्ता संकलन से मिलनेवाली मजदूरी की राशि से बारिश के दिनों में लगनेवाली आवश्यक सामग्री व राशन खरीदते हैं। वहीं किसान बारिश के सीजन में उत्पादन लेने वाले धान समेत अन्य फसलों की बीज, खाद समेत खेती कार्य में लगनेवाली मजदूरी पर खर्च करते हैं। बता दें कि, जिले में महुआ फूल संकलन के बाद गांवों में तेंदूपत्ता संकलन कार्य शुरू हो गया। इसके लिए जंगल से तेंदू पत्ते तोड़कर गड्‌डी बनाने से लेकर बेचने तक कड़ी मशक्कत की जाती है।

इस कार्य में गरीब परिवार के बच्चे, युवतियां, महिलाएं, पुरुषों के साथ बुजुर्ग भी सहयोग करते हैं। ग्रामीण सुबह ही जंगल में जाकर तेंदूपत्ता तोड़कर घर लाते हैं। इसके बाद घर के सभी सदस्य एकत्र बैठकर दिनभर पत्तों की छंटाई कर गडि्डयां बांधते हैं। वहीं शाम को तेंदूपत्ता फाड़ी में बेचते हैं। भले ही मजदूरों को काफी दिनों तक रोजगार देनेवाला सीजन शुरू हो गया है। लेकिन तेंदूपत्ता संकलन करने वाले मजदूरों पर जंगल में खतरा भी मंडरा रहा है। वर्तमान जिले के विभिन्न तहसीलों में बाघ, तेंदुए, भालू जैसे हिंसक पशु दिखाई दे रहे हैं, जिसके कारण मजदूरों को तेंदूपत्ता संकलन करते समय सतर्कता बरतना बेहद जरूरी होने की बात कही जा रही है।

Created On :   16 May 2023 3:52 PM IST

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