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शिक्षा की राह में रोड़ा: यूजीसी का अड़ंगा, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी विचारधारा पाठ्यक्रम को मंजूरी नहीं
- ज्ञानेश्वर रक्षक ने दी चौंकाने वाली जानकारी
- मेहनत से यह पाठ्यक्रम तैयार किया
- विद्यार्थी आचार्य की डिग्री नहीं ले सकते
डिजिटल डेस्क, नागपुर । राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय का शताब्दी महोत्सव समारोह कार्यक्रम हाल ही में अायोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी और मुख्य अतिथि रघुनाथ माशेलकर ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज के विचारों की सराहना की। साथ ही -"राष्ट्रसंत के विचार से ही विकसित भारत संभव है' ये भावना व्यक्त की। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसी विश्वविद्यालय में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी विचारधारा एम. ए. पाठ्यक्रम को ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की मंजूरी नहीं है। यह चौंकाने वाली जानकारी राष्ट्रसंत तुकड़ोजी अध्ययन मंडल के सदस्य ज्ञानेश्वर रक्षक ने दी है। उन्होंने दावा किया कि विश्वविद्यालय के कुछ लोग तो यह कोर्स ही बंद कराने की साजिश कर रहे हैं।
प्रयास सफल, लेकिन अड़चन रक्षक के अनुसार, 2013 में कुलगुरु विलास सपकाल की इच्छा पर डाॅ. सुभाष सावरकर, ज्ञानेश्वर रक्षक, डाॅ. अक्षय कुमार काले द्वारा बड़ी मेहनत से यह पाठ्यक्रम तैयार किया गया। उसी दौरान विलास सपकाल ने कुलगुरु पद से इस्तीफा दे दिया। विश्वविद्यालय के कुछ लोग लगातार प्रयास करते रहे कि राष्ट्रसंत विचारधारा का पाठ्यक्रम प्रारंभ न हो, लेकिन 2015 में यह पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रयास सफल रहा। डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे के आदेश पर राष्ट्रसंतों के साहित्य पर एक विचारधारा पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया, लेकिन यह कोर्स यूजीसी द्वारा मंजूर नहीं है। इस कारण विद्यार्थी आचार्य की डिग्री नहीं ले सकते।
गडकरी से गुहार वित्तीय सहायता की कमी के कारण पूर्णकालिक प्रोफेसरों को नियुक्त नहीं किया जा सकता है। ज्ञानेश्वर रक्षक ने कहा कि इस कोर्स को बंद करने की साजिश चल रही है। अब उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी से गुहार लगाई है। अनुरोध किया है कि इस कोर्स को यूजीसी की मंजूरी के लिए प्रयास करने के साथ ही राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज की सामग्री को विभिन्न विश्वविद्यालयों में भेजने का सरकारी आदेश दिया जाए।
Created On :   9 Aug 2024 5:58 PM IST