यूनिवर्सिटी : कुलगुरु के केबिन में दो पूर्व महापौर ने किया आंदोलन

यूनिवर्सिटी : कुलगुरु के केबिन में दो पूर्व महापौर ने किया आंदोलन
  • 35 सफाई कर्मचारियों को काम से निकालने के निर्णय का किया विरोध
  • 20886 रु. वेतन की जगह दिया जाता है मात्र 7500 रुपए
  • दो पूर्व महापौर ने किया आंदोलन

डिजिटल डेस्क, नागपुर. राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के सफाई कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के काम से निकाले जाने के निषेधार्थ सोमवार को कुलगुरु सुभाष चौधरी के कक्ष में पीड़ित सभी सफाई कर्मचारियों सहित पूर्व महापौर संदीप जोशी व पूर्व महापौर व विधायक प्रवीण दटके ने ठीया आंदोलन किया। विद्यापीठ द्वारा नियुक्त एजेंसी द्वारा गरीब और जरूरतमंद सफाई कर्मचारियों का पहले ही आर्थिक शोषण किया जा रहा था। अब उन्हें सीधे नौकरी से निकालने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के विरोध में आंदोलन किया गया।

नौकरी पर वापस लेने की मांग : विद्यापीठ द्वारा एजेंसी को प्रति स्वच्छता कर्मचारी 20886 रुपए मासिक वेतन दर से बिल दिया जाता है, लेकिन एजेंसी सफाई कर्मचारियों को सिर्फ 7500 रुपए दे रही है। पिछली बार संदीप जोशी ने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने की मांग की थी। इसके बाद 7500 से बढ़ाकर 12000 रुपए प्रति कर्मचारी वेतन दिया जाने लगा। एक एजेंसी को बर्खास्त करने के बाद नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों के बारे में विद्यापीठ द्वारा किसी तरह की संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई। इस दौरान संदीप जोशी ने कुलगुरु से सभी 35 कर्मचारियों को नौकरी पर वापस लेने की मांग की।

कुलगुरु सुभाष चौधरी ने आश्वस्त करते हुए कहा कि 3 एजेंसी में एक एजेंसी बर्खास्त की गई है। इस एजेंसी के 35 सफाई कर्मचारियों को अन्य दो एजेंसियों में समायोजित किया जाएगा। इन कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन कानून अनुसार वेतन दिया जाएगा। कुलगुरु के आश्वासन पर संदीप जोशी व प्रवीण दटके ने चेतावनी देते हुए कहा कि न्याय की दृष्टि से 1 जुलाई 2023 तक सभी कर्मचारियों के लिए दोनों आश्वासनों की पूर्ति नहीं की जाती है, तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

भुखमरी की नौबत आई : राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ द्वारा स्वच्छता के लिए तीन एजेंसियां नियुक्त की गई हैं। विद्यापीठ, कैम्पस में विभाग, छात्रावास और अन्य कार्यालयों की स्वच्छता कार्य के लिए निजी एजेंसी को काम दिया गया है। इसमें से एक एजेंसी के कागजातों में गड़बड़ी होने से संबंधित एजेंसी को बर्खास्त करने का निर्णय विद्यापीठ द्वारा लिया गया, किन्तु इस एजेंसी में कार्यरत 35 कर्मचारियों के भविष्य के संबंध में कोई निर्णय विद्यापीठ प्रशासन ने नहीं लिया, जिस कारण सफाई कर्मचारियों पर नौकरी गंवाकर भुखमरी की नौबत आ गई है।


Created On :   27 Jun 2023 6:34 PM IST

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