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पेंच: जंगल में गिद्धों को नहीं मिल रहा खाना, वन विभाग बनाएगा मृत मवेशियों का डंपिंग यार्ड
- वन विभाग गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए कई प्रयास
- वन विभाग बनाएगा मृत मवेशियों का डंपिंग यार्ड
डिजिटल डेस्क, नागपुर. वन विभाग गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सामने आया है कि गिद्धों को खाने के लिए खाना ही उपलब्ध नहीं है। ऐसे में पेंच व्याघ्र प्रकल्प में मौजूद गिद्धों के खाने के लिए अब वन विभाग खुद ही जुगाड़ करने में लगा है। जिसके लिए वह जंगल के आस-पास कुछ डंपिंग यार्ड बनाने जा रहा है। जिसमें गांव में मरनेवाले मवेशियों को डंप किया जाएगा, ताकि गिद्धों को खाना मिल सके। इसके लिए ग्रामवासियों को पैसा भी मिलेगा।
पर्यावरण दूत के नाम से पहचाने जाने वाले गिद्धों की संख्या तेजी से कम हो रही है। जो चिंता का विषय था। ऐसे में वन विभाग बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी मुंबई की मदद से लुप्त होने पर जानेवाली गिद्धों की प्रजातियों को बचाने के दिशा में काम कर रही है। जिसके लिए जनवरी महीने में लंबी चोचवाली 10 गिद्धों को पेंच में लाया गया गया था। यहां कुछ दिन एविएरी में रखने के बाद गिद्धों को जीपीएस टैंग लगाकर जंगल में छोड़ा गया। यहां पहले से किंग वाइल्ड, सफेद चोच, लंबी चोच व लाल गर्दन प्रजाति के गीध्द मौजूद है। वन विभाग ने यहां छोड़े गए गिद्धों का निरीक्षण करने के बाद पाया कि, इन्हें खाने की कमी से जूझना पड़ रहा है। गिद्धों के मरे हुए जानवरों का मांस खाते हैं, लेकिन जंगल में वन्यजीव का प्राकृतिक तौर पर मरना बहुंत कम होता है। वही शिकार किए जानवरों को जंगली जानवर जैसे भेड़िया, लकड़बग्घा, बाघ आदि जानवर चट कर जाते हैं। ऐसे में गिद्धों को खाने के लिए ज्यादा कुछ बचता नहीं है।
पहले गांव के लोग मवेशियों के मरने के बाद तुरंत गांव के बाहर फेक देते थे। जिससे गिद्धों के खाने के लिए खाना उपलब्ध हो जाता था। लेकिन वर्तमान स्थिति में अधिकतम गांववाले मरनेवाले मवेशियों को जमीन में दफ्न कर देते हैं। जिससे यह गिद्धों के खाने के लिए काम नहीं आते हैं। ऐसे में अब वन विभाग में जंगल के आस-पास रहनेवाले 40 गांव को साथ में लेकर जंगलों के आस-पास डंपिग यार्ड तैयार किए हैं। जिसमें मरे हुए मवेशियों को लाकर डालना है। इसके लिए वन विभाग किसानों को पैसे भी देनेावाले हैं। इसमें मरे हुए बछड़े के बदले 15 सौ रुपए, वयस्क गाय, बैल के लिए ढ़ाई हजार रुपए और भैस के लिए साढ़े तीन हजार रुपए दिये जानेवाले हैं। हालांकि यह मरनेवाले जानवर प्राकृतिक तौर पर मरना जरुरी है। जैसे बुढ़ापे या बीमारी से शामिल रहेंगे।
Created On :   6 Sept 2024 9:53 PM IST