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हाई कोर्ट की अदालतों को ताकीद - चेक बाउंस मामलों में रकम लौटा दी गई तो सजा देना जरूरी नहीं
- चेक बाउंस मामला
- हाई कोर्ट की अदालतों को ताकीद
- रकम लौटा दी गई तो सजा देना जरूरी नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. चेक बाउंस प्रकरण में यदि आरोपी रकम लौटा देता है, तो उसे जेल की सजा देना जरूरी नहीं है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया प्रकरण में यह आदेश दिया है। न्या.जी.ए.सानप की खंडपीठ द्वारा दिए इस फैसले में कहा गया है कि चेक बाउंस के प्रकरण आर्थिक लेन-देन के प्रकरण होते हैं, अगर आरोपी ने रकम लौटा दी है, तो कानून उसे जेल भेजने के लिए बाध्य नहीं करता। संबंधित न्यायालयों को इस बात को ध्यान में रख कर फैसला सुनाना चाहिए।
15 वर्ष की मुकदमेबाजी : दरअसल, याचिकाकर्ता ने अपने मित्र से वर्ष 2008 में 28 हजार रुपए उधार लिए थे, बदले में उसे एक पोस्ट डेटेड चेक दिया था। मित्र ने जब चेक बैंक में जमा किया तो पता चला कि याचिकाकर्ता ने तो पहले ही अपना खाता बंद कर लिया था। इसके बाद पीड़ित ने जेएमएफसी न्यायालय की शरण ली थी। अमरावती के जेएमएफसी न्यायालय ने याचिकाकर्ता को दोषी करार देते हुए 1 माह की जेल और 30 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने भी इस सजा को कायम रखा था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उन्होंने निचली अदालत के आदेशानुसार 30 हजार रुपए कोर्ट में जमा कर दिए है, लेकिन 1 माह की जेल बहुत कड़ी सजा है, जो उन्हें स्वीकार नहीं है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है। कोर्ट ने माना कि आरोपी ने करीब 15 वर्ष की मुकदमे बाजी झेली है। वहीं, उधार की रकम भी पीड़ित को लौटा दी गई है। ऐसे में उसे अब जेल भेजना जरूरी नहीं है।
Created On :   11 July 2023 5:36 PM IST