MP : जबलपुर के रॉयल होटल सहित 10 प्राचीन स्मारक डिनोटिफाई

10 ancient monuments including the Royal Hotel of Jabalpur has Dinotify
MP : जबलपुर के रॉयल होटल सहित 10 प्राचीन स्मारक डिनोटिफाई
MP : जबलपुर के रॉयल होटल सहित 10 प्राचीन स्मारक डिनोटिफाई

डिजिटल डेस्क,भोपाल। राज्य सरकार ने जबलपुर में आरटीओ ऑफिस के सामने रॉयल होटल पुराना बंगला को मय अहाते के तथा नौ अन्य प्राचाीन स्मारकों को डिनोटिफाई कर दिया है। अब मप्र प्राचाीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1964 के तहत ये स्थल राज्य संरक्षित नहीं रहे हैं और अब इनके आसपास निर्माण कार्य एवं अन्य व्यवसायिक गतिविधियां हो सकेंगी।

राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने जबलपुर शहर की रॉयल होटल को 11 जुलाई 2013 को राज्य संरक्षित घोषित किया था। इसके अलावा जिला गुना में बजरंगगढ़ स्थित बजरंगगढ़ का किला 20 दिसम्बर 2007 को, जिला रीवा स्थित क्योटी का किला 29 सितम्बर 1980 को, जिला कटनी स्थित विजयराघवगढ़ में विजयराघवगढ़ किला 20 नवम्बर 1984 को, जिला मंडला के रामनगर में मोतीमहल राजमहल को 5 नवम्बर 1982 को, जिला शिवपुरी में नरवर स्थित नरवर दुर्ग को 4 मार्च 1986 को, जिला धार के सराय तालाब स्थित प्राचीन किला को 31 अक्टूबर 2012 को, जिला टीकमगढ़ स्थित बल्देवगढ़ में किला बल्देवगढ़ 13 जून 2013 को, जिला श्योपुर में किला श्योपुर नरसिंह महल को 21 नवम्बर 1990 को तथा जिला मुरैना के कस्बा सबलगढ़ में हवेली नवल सिंह खांडेराव को राज्य संरक्षित घोषित प्राचाीन स्मारक घोषित किया था। इनके रखरखाव की जिम्मेदारी संस्कृति विभाग ने ले ली ली थी।

अब ये 10 राज्य संरक्षित स्मारक डिनोटिफाई कर दिए गए हैं तथा इसके पीछे कारण दिया गया है कि राज्य शासन की राय है कि इन राज्य संरक्षित घोषित स्मारकों को अब और अधिक समय तक संरक्षित करने की आवश्यक्ता नहीं है। उल्लेखनीय है कि राज्य संरक्षित स्मारक की 100  मीटर की परिधि में किसी प्रकार का निर्माण कार्य, खनन आदि प्रतिबंधित रहता है तथा इस 100 मीटर से और 200 मीटर कतिपय शर्तों को पूरा करने पर निर्माण कार्य की अनुमति दी जाती है।

कुण्डलपुर भूतलक्षी प्रभाव से संरक्षित क्षेत्र घोषित 

इधर, राज्य सरकार ने दमोह जिले की पटेरा तहसील के स्थानीय क्षेत्र कुण्डलपुर में स्थित श्री दिगम्बर जैन सिध्द क्षेत्र, कुण्डलगिरी एवं प्रतिमाएं भूतलक्षी प्रभाव से राज्य संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया है। दरअसल उच्च न्यायालय ने 17 दिसम्बर 2012 के निर्णय से उक्त क्षेत्र को मप्र प्राचाीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1964 के तहत मार्गदर्शित शासित/नियंत्रित घोषित किया था। इसीलिए अब छह साल बाद राज्य सरकार ने उक्त तिथि से ही इस क्षेत्र को राज्य संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया है।

छतरपुर का सूर्य मंदिर भी होगा संरक्षित क्षेत्र 

राज्य सरकार ने छतरपुर जिले की नौगांव तहसील के स्थानीय क्षेत्र मउसहानिया स्थित सूर्य मंदिर को राज्य संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के अपने आशय को अधिसूचित कर दिया है। 22 फरवरी 2018 के बाद यह प्राचीन मंदिर राज्य संरक्षित घोषित हो जाएगा।

सचिव संस्कृति विभाग अवर पदमरेखा ढोले का कहना है कि राज्य सरकार ने दस प्राचीन स्मारकों को डिनोटिफाई किया है।

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Created On :   11 Feb 2018 12:40 PM IST

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