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विधान परिषद के 12 सदस्यों को मनोनीत करने की करनी चाहिए सिफारिश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि किसी भी राजनीतिक मुद्दे की परवाह किए बिना राज्यपाल को मंत्रिमंडल की ओर से विधानपरिषद में 12 सदस्यों को मनोनीति करने की सिफारिश को स्वीकार करना चाहिए था। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रफीक दादा ने कहा कि विधानपरिषद में 13 महीनों से 12 सदस्यों का स्थान रिक्त है। जिसे संवैधानिक नहीं माना जा सकता है। इसलिए राज्यपाल को मंत्रिमंडल की ओर से 12 सदस्यों को मनोनीत करने की सिफारिश को बिना किसी राजनीतिक मुद्दे की अथवा मुख्यमंत्री से मतभेद होने अथवा नही होने की परवाह किए बिना स्वीकार करना चाहिए था।
मुख्य न्यायाधीश दीपाकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने रफिक दादा ने कहा कि राज्यपाल को सिर्फ मंत्रिमंडल की सिफारिश की फाइल को सिर्फ दबा कर नहीं रखना चाहिए। क्योंकि करीब एक साल से विधानपरिषद के 12 सदस्यों के पद रिक्त है। यह खुले तौर पर राज्यपाल की निष्क्रियता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपेक्षा की थी राज्यपाल 15 दिन के भीतर इस पर निर्णय लेंगे।
इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने को कहा। इसके साथ ही अगली सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह को स्पष्ट करने को कहा कि ऐसी स्थिति क्या होता है जब राज्यपाल की निष्क्रियता सामने आए।
खंडपीठ के सामने नाशिक निवासी रतन सोली लूथ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मांग की गई है कि राज्यपाल को नवबंर 2020 में विधानपरिषद में 12 सदस्यों को मनोनीत करने के सबंध में मंत्रिमंडल की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सुनवाई 19 जुलाई 2021 को रखी है।
Created On :   16 July 2021 7:19 PM IST