जामनी नदी में मृत पड़ीं 13 नीलगाय, बेखबर वन विभाग 

13 Nilgai dead in Jamni river, unaware forest department
जामनी नदी में मृत पड़ीं 13 नीलगाय, बेखबर वन विभाग 
जामनी नदी में मृत पड़ीं 13 नीलगाय, बेखबर वन विभाग 


डिजिटल डेस्क टीकमगढ़। वन्य प्राणियों को संरक्षित करने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन धरातल पर यह दावे खोखले साबित हो रहे हैं। आए दिन वन प्राणियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो रही है। ऐसा ही मामला मोहनगढ़ तहसील के गोर गांव में सामने आया है। यहां करीब एक दर्जन से ज्यादा नीलगाय एक सप्ताह से जामनी नदी में मृत अवस्था में पड़ी हैं, लेकिन वन विभाग को इसकी खबर तक नहीं लगी। ज्यादातर नीलगायों का आधे से ज्यादा शरीर मछलियों ने खा लिया। उनके शरीर से बदबू आने लगी है। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन कर्मचारियों को दी, लेकिन वे नहीं पहुंचे। 
वन अमले ने एक-दूसरे के कार्यक्षेत्र का मामला बताकर एक सप्ताह निकाल दिया। वन परिक्षेत्र गोर के पास ही ग्राम मालपीथा, जगतनगर, विहारीपुरा के पास से जामनी नदी निकली है। नदी के दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश का ग्राम हीरानगर लगा है। बीच से निकली नदी के पानी से दोनों तरफ के किसान अपनी फसलों की सिंचाई करते है। मालपीथा निवासी किसान नरेन्द्र राजा, रहीश यादव ने आरोप लगाते हुए बताया कि बिजली विभाग के ओआईसी द्वारा इस बार उत्तर प्रदेश के लोगों को मप्र की लाइन से अस्थाई कनेक्शन दिए गए हैं। यूपी के किसान मप्र की सीमा से लाइट के तार डालकर अपनी विद्युत मोटरें चला रहे हैं। आसपास जंगल होने के कारण नीलगाय घूमती रहती हैं। ये नीलगाय किसानों की फसलों में घुसकर नुकसान पहुंचाती हैं। शायद इसी कारण यूपी के किसानों ने इन नीलगायों को करंट लगाकर मार डाला। जामनी नदी में करीब दो किमी की दूरी तक इन नीलगायों के शव पानी में उतराते नजर आ रहे हैं। गायों के शवों को देखकर साफ तौर पर नजर आ रहा है कि वे करीब एक सप्ताह पुराने हैं। जिस कारण आसपास बदबू फैल गई है,  साथ ही नदियां का पानी दूषित हो गया है। किसानों ने बताया कि इन नीलगायों के शव नदियां की धार में करीब दो दिन से बहते आ रहे हैं। साथ ही कुछ किसानों ने खुले तार भी जानवरों को मारने के लिए 
लगाए हैं। रात के समय तारों में 
करंट छोड़ दिया जाता है। जिस कारण यहां से गुजरते समय तारों के संपर्क में आने वाले मवेशियों की मौत हो जाती है। 
चार दिन पहले दी थी वन विभाग को सूचना 
ग्रामीणों ने बताया कि नीलगायों की मौत की सूचना वन कर्मियों को करीब चार दिन पहले दे दी थी। वन विभाग के कर्मचारियों ने पहले तो यहां वनभूमि नहीं होने की बात की। फिर कर्मचारी एक सीमा से दूसरे क्षेत्र की सीमा में होने की बात कहते रहे। गुरुवार को जैसे ही गांव में दैनिक भास्कर की टीम पहुंची तो वन विभाग को सूचना दी गई। दैनिक भास्कर की सूचना पर वन कर्मचारियों ने क्षेत्र का भ्रमण किया और पंचनामा बनाकर कार्रवाई शुरू की है। 
मप्र से उप्र में बेची जा रही बिजली
नदी के आसपास जिन किसानों की जमीन हैं। उन्होंने बताया कि मोहनगढ़ क्षेत्र के विद्युत कर्मचारी चोरी-छिपे यूपी के किसानों को बिजली बेच रहे हैं। यूपी के किसानों से रुपए लेकर उन्हें अस्थाई कनेक्शन दिए गए हैं, साथ ही उनको रसीद भी नहीं दी गई है। इस कारण उप्र के किसान यहां से बिजली के तार डालकर अपनी विद्युत मोटरें चला रहे हंंै। यूपी के किसानों ने ही करंट लगाकर नीलगायों को मौत के घाट उतारा है। ग्रामीणों ने मामले की जांच की मांग की है। 
व्मौके पर जाकर टीम ने निरीक्षण किया है। नदी में डले नीलगायों के शव को देखकर मौके पर मौजूद किसानों से पूछताछ भी की गई है। साथ ही पंचनामा कार्रवाई कर अधिकारियों को मामले से अवगत करा दिया गया है। अधिकारियों के आदेश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
 - बद्रीनारायण तिवारी, डिप्टी रेंजर वन परिक्षेत्र, दिगौड़ा

Created On :   10 Jan 2020 7:52 AM GMT

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