शिक्षकों के 1.37 लाख पद रिक्त तो क्यों नहीं कर रहे अतिथि शिक्षकों को नियमित

शिक्षकों के 1.37 लाख पद रिक्त तो क्यों नहीं कर रहे अतिथि शिक्षकों को नियमित
शिक्षकों के 1.37 लाख पद रिक्त तो क्यों नहीं कर रहे अतिथि शिक्षकों को नियमित

स्कूल शिक्षा सचिव और आयुक्त लोकशिक्षण से 6 सप्ताह में माँगा जवाब
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
मप्र हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव और आयुक्त लोकशिक्षण को नोटिस जारी कर पूछा है कि शिक्षा विभाग में 1.37 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं तो अतिथि शिक्षकों को क्यों नहीं नियमित किया जा रहा है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने अनावेदकों से 6 सप्ताह में जवाब तलब किया है। याचिका की अगली सुनवाई 9 मार्च को नियत की गई है। यह याचिका अशोक नगर निवासी भास्कर सिंह रघुवंशी और 63 अन्य अतिथि शिक्षकों की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार 21 जनवरी 2019 की स्थिति में  शिक्षा विभाग में वर्ग-1, वर्ग-2 और वर्ग-3 शिक्षकों के 1.37 लाख पद िरक्त थे। पिछले 11 साल से शिक्षा विभाग में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है। सरकारी स्कूलों में रिक्त पदों के विरुद्ध बड़ी संख्या में योग्यताधारी अतिथि शिक्षक 10 साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं। याचिका में कहा गया कि अतिथि शिक्षकों को न्यूनतम मानदेय दिया जा रहा है, जो सरकार के न्यूनतम वेतन से भी कम है। याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा उमा देवी मामले में पारित निर्णय के हवाले से कहा गया है कि रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति नहीं होने पर अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जाएगा। अधिवक्ता वृंदावन तिवारी ने तर्क दिया कि रिक्त पदों के विरुद्ध काम कर रहे अतिथि शिक्षक निर्धारित योग्यता को पूरा करते हैं, इसलिए उन्हें नियमित किया जाए। इससे शिक्षा विभाग को अनुभवी शिक्षक मिल सकेंगे। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। 
 

Created On :   27 Jan 2021 9:25 AM GMT

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