स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले 14 पूर्व विधायकों को किस आधार पर बनाया गया मंत्री 

14 former MLAs who voluntarily resigned On what basis
स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले 14 पूर्व विधायकों को किस आधार पर बनाया गया मंत्री 
स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले 14 पूर्व विधायकों को किस आधार पर बनाया गया मंत्री 

हाईकोर्ट ने सरकार, मुख्यमंत्री विस अध्यक्ष, चुनाव आयोग एवं 14 मंत्रियों को नोटिस दिया
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
मप्र हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार, सीएम, विस अध्यक्ष और 14 मंत्रियों को नोटिस जारी कर पूछा है कि स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले 14 पूर्व विधायकों को किस आधार पर मंत्री बनाया गया है। डिवीजन बैंच ने इस मामले में राज्यपाल के सचिव और राष्ट्रपति के कैबिनेट सचिव को भी नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई 14 दिसंबर को होगी। 
छिंदवाड़ा की अधिवक्ता आराधना भार्गव की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि 20 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने अपने पद से स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था। 21 अप्रैल 2020 को तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री बनाया गया है। इसके बाद 2 जुलाई 2020 को बिसाहू लाल सिंह, ऐंदल सिंह कंसाना, इमरती देवी, डॉ. प्रभुराम चौधरी, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, हरदीप सिंह डांग, राज्यवर्धन सिंह, विजेन्द्र सिंह यादव, गिरिराज  सिंह दंडोदिता, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया को भी मंत्री बना दिया गया। 
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 164 में कहा गया कि किसी व्यक्ति को बिना विधायक चुने भी मंत्री बनाया जा सकता है। 6 माह के भीतर उस व्यक्ति को विधायक या विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित होना होगा। इसके साथ ही अनुच्छेद 164 (4) में स्पष्ट किया गया है इसके लिए विशेष परिस्थितियों का होना जरूरी है। विशेष परिस्थितियों में ही मुख्यमंत्री किसी विषय-विशेषज्ञ या विद्वान को मंत्री नियुक्त कर सकता है। इस मामले में संविधान की मंशा का दुरुपयोग करते हुए स्वेच्छा से इस्तीफा देने वाले 14 पूर्व विधायकों को मंत्री बना दिया गया है। प्रदेश मंत्रिमंडल में 34 में से 14 यानी 41 प्रतिशत मंत्री विधायक नहीं हैं। याचिका में अनुरोध किया गया है कि असंवैधानिक तरीके से नियुक्ति किए गए 14 मंत्रियों को हटाया जाए। संविधान के खिलाफ काम करने पर  अनुच्छेद 356 के तहत प्रदेश सरकार को बर्खास्त किया जाए। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय और एसबी तलेकर के तर्क सुनने के बाद डिवीजन बैंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।     
 

Created On :   22 Oct 2020 8:28 AM GMT

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