भिड़े 2 बड़े अफसर दोनों ही रसूख वाले- विभाग भी है मौन, लटके हैं अनेक काम

2 big officers clashed, both are influential - the department is also silent, many works are hanging
भिड़े 2 बड़े अफसर दोनों ही रसूख वाले- विभाग भी है मौन, लटके हैं अनेक काम
वर्चस्व की जंग भिड़े 2 बड़े अफसर दोनों ही रसूख वाले- विभाग भी है मौन, लटके हैं अनेक काम

डिजिटल डेस्क, नागपुर. विधानमंडल का अधिवेशन 19 दिसंबर से होने जा रहा है। अधिवेशन के दौरान लोकनिर्माण विभाग क्रमांक-1 पर बड़ी जिम्मेदारी होती है। विधान भवन इमारत समेत रवि भवन, नाग भवन, एमएलए हॉस्टल समेत सभी बड़ी इमारतों की देखभाल और दुरुस्ती का दारोमदार पीडब्ल्यूडी के सदर स्थित क्रमांक-1 के डिवीजन पर ही टिका होता है। हाल ही में इस विभाग के अंतर्गत दो उपविभागों में पदभार को लेकर दो उप अभियंताओं में जंग छिड़ गई है। सूत्रों के मुताबिक, विधानमंडल के कामों का श्रेय लेने और खुद को काबिल साबित करने की होड़ में दोनों अधिकारियों के बीच शीतयुद्ध चल रहा है। यही वजह है कि अधिवेशन से पहले इमारतों की दुरुस्ती और देखभाल के प्रस्ताव तैयार करने में भी देरी हो रही है। शेष समयावधि में इमारतों की दुरुस्ती के प्रस्तावों को मंजूरी देकर ठेका एजेंसियों को कार्यादेश देकर कामों को पूरा करना चुनौती बनी हुई है।  

दोनों के अपने-अपने आदेश

पिछले सप्ताह आंतरिक स्थानांतरण में दोनों अधिकारियों के बीच महत्वपूर्ण विभागों पर अपनी पैठ साबित करने के लिए कैंटीन चलाने वाले ठेकेदार का भी इस्तेमाल किया गया है। नए पदभारों को ग्रहण करने के बाद दोनों अधिकारियों ने पुराने दुरुस्ती प्रस्तावों को नए सिरे से तैयार करने के आदेश भी दे डाले हैं। दोनों अधिकारियों की रस्साकसी में कनिष्ठ अभियंताओं, कर्मचारियों के साथ ही आला अधिकारी भी परेशान हो रहे हैं, लेकिन दोनों अधिकारियों के प्रभाव के चलते मौन रहने की मजबूरी बन गई है। वहीं दूसरी ओर नए सिरे से प्रस्तावों को बनाकर मंजूर करने और टेंडर प्रक्रिया में अब समय लगने की आशंका बन गई है।

क्या है मामला : पिछले तीन साल से आमदार उपविभाग का पदभार उप अभियंता लक्ष्मीकांत राऊलकर संभाल रहे हैं, जबकि उपविभाग क्रमांक 4 की जिम्मेदारी उप अभियंता संजय उपाध्ये संभाल रहे थे। करीब 9 माह पहले उपविभाग क्रमांक 1 के अभियंता चंद्रशेखर गिरी का स्थानांतरण होने पर संजय उपाध्ये को उपविभाग क्रमांक 1 का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। सप्ताह भर पहले आंतरिक ट्रांसफर में लक्ष्मीकांत राऊलकर को उपविभाग क्रमांक 4 में पदभार दिया गया, जबकि संजय उपाध्ये को उपविभाग क्रमांक 1 का प्रभार देकर आमदार निवास का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। अधिवेशन से पहले दोनों अधिकारियों में आपसी सहमति से ट्रांसफर के पहले के पदभार संभालने का आपसी मौखिक समझौता हुआ था, लेकिन इस बीच लक्ष्मीकांत राऊलकर ने अचानक 22 अक्टूबर को उपविभाग क्रमांक 4 का पदभार संभाल लिया। ऐसे में संजय उपाध्ये ने भी आला अधिकारियों से मिलकर अपने पास आमदार निवास का अतिरिक्त प्रभार पा लिया। अब दोनों अधिकारी अपने अपने विभागों में पुराने प्रस्तावों में बदलाव करने में जुट गए हैं।    

‘हेवी वेट’ होने की होड़ : पीडब्ल्यूडी के विभाग क्र.1 में 4 उपविभागों का समावेश है। इनमें से उपविभाग क्रमांक 1 में विधानभवन, रविभवन, मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री बंगला, कैबिनेट और राज्यमंत्रियों के आवास समेत अनेक महत्वपूर्ण इमारतों की देखभाल और दुरूस्ती की जिम्मेदारी होती है। इस उपविभाग में करीब 17 से अधिक वीआईपी इमारतों की दुरूस्ती पर अनुमानित रूप में 17 करोड़ रुपए का खर्च प्रस्तावित है। वहीं दूसरी ओर आमदार निवास उपविभाग में एमएलए हॉस्टल समेत हाईकोर्ट, आईजी बंगला, पुलिस आयुक्त बंगला समेत 14 से अधिक महत्वपूर्ण इमारतों की देखभाल शुमार होती है। इस उपविभाग में इमारतों की देखभाल पर साल 2019 अधिवेशन में करीब 3.50 करोड़ खर्च किया गया था। ऐसे में इन दो उपविभागों में ही अकेले 25 करोड़ रुपए खर्च का प्रस्ताव इस मर्तबा भी बनना है। दोनों उपविभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले उप अभियंता को हेवीवेट माना जाता है। इसके साथ ही अधिवेशन काल में मुख्यमंत्री समेत राज्य सरकार और कैबिनेट सचिवों के समक्ष आने का भी अवसर मिलता है।     

आला अधिकारी मौन : दोनों उप अभियंताओं के बीच जंग को लेकर आला अधिकारी कोई भी बात करने से कतरा रहे हैं। दोनों अधिकारियों के ऊंचे प्रभाव को देखते हुए कोई भी अधिकारी सीधे तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। पूरे मामले में मुख्य अभियंता एस डी दशपुत्रे से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन कई मर्तबा कॉल और मैसेज के बाद भी कोई रिस्पांस नहीं मिला। 

उपविभाग क्रमांक 4 के अंतर्गत राजभवन, राजनगर, सेन्ट्रल जेल, फोरेन्सिक लैब समेत मारिस कॉलेज और विज्ञान संस्थान की इमारत और परिसर की देखभाल की जिम्मेदारी होती है। इस उपविभाग में अपेक्षा के अनुरूप कम महत्व होता है। ऐसे में उप अभियंता इस जिम्मेदारी को स्वीकार करने से परहेज करते हैं। पिछले साल भर में करीब 3 करोड़ के दुरुस्ती और निर्माण कार्य के प्रस्ताव तैयार हुए है, लेकिन निधि के अभाव में मंजूरी नहीं मिल पाई है।

कार्यालयीन मसला है, आपस में निपटेगा
पदभार ग्रहण करने को लेकर व्यक्तिगत रूप से कोई विवाद नहीं है। कार्यालयीन मुद्दे को लेकर मसला है, आपस में सुलझा लिया जाएगा।
-संजय उपाध्ये, उपअभियंता, लोकनिर्माण उपविभाग क्रमांक 1

प्रस्तावों की समीक्षा कर रहे

नए पदभार को ग्रहण करने के बाद कामों को लेकर समीक्षा कर रहे हैं। आगामी विधानमंडल अधिवेशन के लिए कामों का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। पदभार ग्रहण को लेकर भ्रम था, अब सुलझ गया है।
-लक्ष्मीकांत राऊलकर, उपअभियंता, लोकनिर्माण उपविभाग क्रमांक 4
 

 

Created On :   30 Oct 2022 3:51 PM IST

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