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शिवसेना-कांग्रेस उम्मीदवारों को पराजित करनेवाले 21 विधायक बने मंत्री, जानिए यशोमति को लेकर क्या है सियासी चर्चा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में शिवसेना कांग्रेस व राकांपा के गठबंधन की महाविकास आघाड़ी सरकार काम पर लग गई है। सोमवार को सभी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया है। मंत्रिपद को लेकर कहीं खुशी तो कहीं कसमसाहट है। भाजपा शिवसेना से मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस राकांपा भी साथ लड़ी। सरकार बनाने के लिए नया गठबंधन सामने आया। शिवसेना कांग्रेस राकांपा के साथ हाे गई। इस नए गठबंधन में कई ऐसे चेहरे हैं जो पहले काफी विरोधी रहे हैं। इनमें भी रोचक बात यह है कि 21 मंत्री तो महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवारों को पराजित करके ही सरकार में शामिल हुए हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निशाने पर रहनेवाले नेता भी उनकी सरकार में मंत्री है। सरकार ने 43 मंत्री बनाए हैं। इनमें से 39 मंत्री विधानसभा के सदस्य हैं। 39 में से 21 मंत्री तो ऐसे हैं जो महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार को ही पराजित कर विधायक बने हैं। सबसे अधिक शिवसेना के उम्मीदवारों को पराजित करनेवाले 14 मंत्री बने है। शिवसेना उम्मीदवारों को पराजित कर मंत्री बननेवालों में बालासाहब थोरात संगमनेर, के सी पाडवी अक्कलकुआ,छगन भुजबल येवला, जीतेंद्र आव्हाड मुंब्रा कालवा, अदिति तटकरे श्रीवर्धन, राजेंद्र पाटील शिरोल, दिलीप वलसे पाटील आंबेगांव, विश्वजीत कदम पलूस कडेगांव, राजेश टोपे धनसावंगी, नवाब मलिक अणुशक्तिनगर, वर्षा गायकवाड धारावी, यशोमति ठाकुर तिवसा, विजय वडेट्टीवार ब्रम्हपुरी, राजेंद्र शिंगणे सिंदखेड राजा शामिल है। राकांपा उम्मीदवार को पराजित कर मंत्री बननेवालों में उदय सावंत, शंभुराजे देसाइ्र, संदीपान भुमरे, आदित्य ठाकरे शामिल है। कांग्रेस के उम्मीदवारों को पराजित करनेवाले दादा भुसे, एकनाथ शिंदे व बच्चू कड़ू मंत्री बने हैं।
ये रहे कट्टर विरोधी
मंत्री छगन भुजबल पहले शिवसेना में थे। अब राकांपा में हैं। शिवसेना से बाहर होते समय उनका विवाद इतना बढ़ा था कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने उन्हें लखोबा कहा था। लखोबा मराठी नाटक का धूर्त किरदार है। कई बार भुजबल की शिवसेना के साथ टकराहट हुई। गृहमंत्री पद पर रहते हुए भुजबल ने बाल ठाकरे को जेल भिजवाने का प्रयास भी किया था। अब वे उद्धव ठाकरे के साथ मंत्रिमंडल में हैं। बहुजनवादी राजनीति के साथ शिवसेना के विरोध में सदैव आक्रामक रहनेवाले राकांपा नेता जीतेंद्र आव्हाड भी मंत्री बने है।
महिला व बालविकास मंत्री यशोमति ठाकुर को लेकर राजनीति चर्चा गर्म
इसके अलावा सत्ता और सत्ता के बाहर कुछ नेता अचानक चर्चा में आ जाते हैं। कुछ को अति आत्मविश्वास हास्य का पात्र बना देता है तो कुछ अपनों के शिकार हो जाते हैं। महिला व बाल विकास मंत्री यशोमति ठाकुर के बयान को लेकर विवाद पर ही कई सवाल उठ रहे हैं। अहम सवाल यह भी है कि कहीं उन्हें जानबूझकर विवाद में घसीटने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है। यशोमति ठाकुर नेे जिला परिषद चुनाव में सभा को संबोधित करते हुए कहा है-राजनीति में रात में गेम बदलते रहते हैं। और रात में गेम बदलने पर क्या क्या होता है मेरे से ज्यादा तुमको मालूम है। हमारे विरोधियों की जेब भरी है। जेबें खाली करने वो आएंगे। हमारी सरकार नहीं थी। केवल शपथ ली है। हमारी जेब गरम होने को है। ठाकुर के इस बयान को भाजपा ने कांग्रेस की भ्रष्ट प्रवृति का परिणाम कहा है। कांग्रेस के ही नेता संजय निरुपम ने तो ट्वीट करके यशोमति पर तल्ख टिप्पणी कर दी है। वे लिखते हैं-ये हमारे मंत्री हैं। अपने साथ पार्टी को भी बदनाम करते हैं। इसी दिन के लिए सबने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस पर दबाव डाला था क्या। जाहिर है निरुपम की टिप्पणी कांग्रेस में ही मतभेद व नेताओं में अंदरुनी स्पर्धा का परिचय दे रही है। जानकारों के अनुसार चुनाव सभा में इस तरह के भाषण देना सामान्य बात है। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी तो अक्सर ऐसी सभाओं में कहते हैं कि लक्ष्मीदर्शन करानेवालों को भी नाराज नहीं करना चाहिए। आती लक्ष्मी को मत लौटाओ पर मतदान सोच समझकर ही करो। नेताओं काे पद मिलने पर अपने ही सबसे पहले हाथपैर पटकने लगते हैं। राज्य में मंत्री रहे एकनाथ खडसे व पंकजा मुंडे बार बार कहते रहे हैं कि उन्हें मंत्री रहते विवाद में लाने के लिए कोई बाहर से नहीं आया था। अपने ही बदनाम कराते रहे। पंकजा मंत्री रहते हुए आपदा स्थिति का जायजा लेने गई थी। तब उनका सेल्फी फोटो विवाद में आया था। खडगे के बयान बार बार विवादित हुोते रहे। भाजपा के गिरीश बापट, रावसाहब दानवे, प्रशांत परिचारक,विष्णु सावरा, शिवसेना के रामदास कदम के बयान भी विवाद में रहे। पहले बयान विवादित हुए फिर उन्हें ही विवादों में देखा गया। इन नेताओं के पद छीने गए या फिर नई जिम्मेदारी के नाम पर अन्यत्र कर दिए गए। यशोमति ठाकुर ने वकालत की पढाई की है। अखिल भारतीय कांग्रेस की सचिव व प्रदेश कांग्रेस की कार्याध्यक्ष रही है। कांग्रेस में राहुल गांधी की युवा टीम में महाराष्ट्र से यशोमति का नाम अग्र क्रम में हैं। उनकी सधी हुई राजनीति व भाषण की प्रशंसा होती रही है। ऐसे में उनके बयान को लेकर विवाद को राजनीति प्रेरित माना जा रहा है।
Created On :   6 Jan 2020 7:23 PM IST