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म्यूकर माइकोसिस के 214 मरीज भर्ती, फिलहाल 10700 इंजेक्शन की जरूरत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ में म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। शुक्रवार 22 मई तक नागपुर के सरकारी और निजी अस्पतालों में 575 मरीज सामने आ चुके हैं। हालांकि इसमें से 330 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन 31 मरीजों की मौत भी हुई है। 214 मरीज वर्तमान में भर्ती हैं। इसके इलाज में लगने वाले एंफोटेरिसिन इंजेक्शन बाजार में मौजूद नहीं है। एक मरीज के पूरे इलाज में करीब 50 इंजेक्शन की जरूरत होती है। 214 मरीजों के लिहाज से 10700 इंजेक्शन की जरूरत है, लेकिन एक भी उपलब्ध नहीं। यह इंजेक्शन कहीं भी नहीं मिल रहा है। सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में मरीज क्या करें।
कहां जाएं निजी अस्पताल डिस्चार्ज कर रहे मरीजों को
जिले में सभी बड़े अस्पतालों में म्यूकर माइकोसिस के मरीज भर्ती हैं। इनके इलाज में लगने वाले एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन बाजार में पूरी तरह से खत्म हो गया है। सरकारी अस्पतालों में भी नहीं मिल रहा है। कुछ लोगों ने इसका स्टॉक कर के रखा है। वे ब्लैक में बेच रहे हैं। निजी अस्पतालों में इंजेक्शन नहीं होने के कारण मरीजों को डिस्चार्ज किया जा रहा है।
अब तक म्यूकर माइकोसिस के आए 575 मरीजों में नागपुर के साथ विदर्भ, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मरीज आए हैं। इनमें से 200 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में शुक्रवार को 71 मरीज भर्ती थे। इसमें से करीब आधे मरीजों की सर्जरी हो चुकी है। 6 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 10 मरीज रिकवर हो चुके हैं।
मेयो अस्पताल ईएनटी विभाग के डॉ.जीवन वेदी ने बताया कि मेयो में 31 मरीजों का इलाज चल रहा है। अब तक 4 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसमें से दो मरीजों की मौत सर्जरी से पहले हो चुकी थी। उन्हें म्यूकर माइकोसिस के अलावा पोस्ट कोविड कई परेशानियां थीं। 2 मरीजों की मौत सर्जरी के बाद हुई है। अब तक 18 मरीजों की सर्जरी हो चुकी है, जिसमें से 2 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ीं। मेयो अस्पताल में इसके लिए 55 बेड आरक्षित किए गए हैं। वार्ड नंबर 6 में 31 बेड पुरुष और वार्ड नंबर 24 में 24 बेड महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
मरीजों की सूची के अनुसार इंजेक्शन की उपलब्धता
जिले में म्यूकर माइकोसिस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनके इलाज में लगने वाले एंफोटेरिसिन इंजेक्शन की बाजार में कमी हो गई है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में भी एंफोटेरिसिन इंजेक्शन की कमी हो गई है। अस्पताल में केवल शुक्रवार तक के उपयोग के इंजेक्शन थे। इंजेक्शन की कमी के कारण अस्पताल से गंभीर मरीजों की सूची जारी होती है, उसी के आधार पर ही सीमित संख्या में इंजेक्शन आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार को इंजेक्शन आने वाले थे, लेकिन 5 बजे तक वह नहीं पहुंचे। इंजेक्शन के लिए अस्पताल प्रशासन लगातार कोशिश कर रहा है। सीमित संख्या में इंजेक्शन होने के कारण अति आवश्यक होने पर ही बचा-बचा कर इंजेक्शन का उपयोग किया जा रहा है।
सजग रह कर करें म्यूकर माइकोसिस मरीजों का इलाज
उधर पालकमंत्री डॉ. नितीन राऊत ने कहा है कि कोरोना से लड़ाई के दौरान ही म्यूकर माइकोसिस बीमारी ने सिर उठाया है। अधिक सजग रहकर इस बीमारी का इलाज करने की जरूरत है। पालकमंत्री ने शनिवार को विभागीय आयुक्तालय में बैठक लेकर कोरोना की समीक्षा की। बैठक में विभागीय आयुक्त डॉ. संजीव कुमार, मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी, जिलाधीश रवींद्र ठाकरे, पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार, जिप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेश कुंभेजकर व कोरोना टास्क फोर्स के अधिकारी उपस्थित थे।
टास्क फोर्स करेगी विचार
डॉ. राऊत ने कहा कि इस बीमारी से रोगियों की आंखों पर परिणाम होता है। शल्यक्रिया किए बगैर काम नहीं होता। इस बीमारी के बारे में जनजागृति करना जरूरी है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में जनजागृति जरूरी है। इस बीमारी पर निश्चित कौन सी उपचार पद्धति प्रभावी रहेगी, इसका विवेचन टास्क फोर्स करेगी। महात्मा फुले जनआरोग्य योजना के तहत मदद दी जा सकती है क्या? इस पर भी विचार करने को कहा। निजी डॉक्टरों को भी उपचार के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने इस बीमारी के लक्षणों के सूचना पट गांवों में लगाने की सूचना की। मास्क कम पहनना या गंदे मास्क पहनने से यह बीमारी होने की संभावना अधिक होती है।
Created On :   23 May 2021 3:26 PM IST