डेढ़ एकड़ में 23 क्विंटल, खाने में पोषक अनाज को मिल रहे 70 रूपए दाम
डिजिटल डेस्क, अकोला, संगीता पातूरकर | राज्य के विविध क्षेत्रों के किसान लगातार नए-नए प्रयोग कर रहे है। पारम्परिक फसलों को परे रखकर फसल प्रणाली में बदलाव किसान कर रहे है। अकोला जिले के दहीगांव के किसान उमेश ठोकल ने काले गेहूं का उत्पादन लिया है। विदर्भ में इस गेहूं की फसल कम मात्रा में ली जाती है। लेकिन इस गेहूं के फायदे बहुत है। जिससे नागरिक बाहर से यह गेहूं खरीदकर लाते है। इसी बात को ध्यान में रखकर उन्होंने अपने डेढ़ एकड़ खेत में नया प्रयोग कर काला गेहूं बोया। जिसका उन्हें लगभग डेढ़ एकड़ में 23 क्विंटल उत्पादन हुआ है। जो 70 रू. किलो से बिक रहा है। उन्होंने गूगल पर पढ़ा कि काला गेहूं हमारे शरीर के लिए अच्छा होता है। इसके फायदे बड़े पैमाने पर होने से उसकी बुआई करने की मानसिकता उन्होंने तैयार की।
काले गेहूं का बीज कहा मिलता है इसकी उन्होंने खोज शुरू की। काले गेहूं की रोटी खाने से पेट के रोग नहीं होते। कई स्थानों पर पुछताछ करने के बाद उन्हें जिले के अकोट में काले गेहूं का बीज मिला। उन्होंने शुरूआत में 7 किलो बीज लाकर उसकी एक एकड़ में बुआई की। इसकी बुआई रबी में नवंबर से दिसंबर के बीच की जाती है। विगत वर्ष 7 किलो बीज बोने से डेढ़ क्विंटल उत्पादन हुआ। घर का बीज होने से उन्होंने इस वर्ष 65 किलो बीज खेत में बोया और उससे 23 क्विंटल उत्पादन हुआ। बाकी शेष बीज उन्होंने मांग के अनुसार किसानों को दे दिया। लगभग एक एकड़ में 40 किलो बीज बोने के लिए लगता है। काला गेहूं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। ब्लूबेरी और जामून इन फलों में एंथोसायनिन की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसलिए इन फलों का रंग गहरा जामुनी होता है। एंथोसायनिन फलों के पोषण मूल्य को बढ़ाता है। लेकिन जामून और ब्लूबेरी साल भर उपलब्ध नहीं होते हैं। काले गेहूं के कारण ये पोषक तत्व हमें हमारे दैनिक आहार से आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इसलिए दहीगांव के इस किसानों ने काले गेहूं की बुआई कर प्राप्त आय से अच्छी खासी कमाई की है।
इसकी विशेषताएं
काले गेहूं में औषधीय गुण होते हैं। कैंसर, मधुमेह, तनाव, हृदय रोग, मोटापा जैसी अनेक बीमारियों में यह उपयुक्त है। उसमें एंटीऑक्सिडेंट, बी विटामिन, फोलिक एसिड, सेलेनियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जिंक, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, फाइबर और अमीनो एसिड भी होते हैं। जिससे इस गेहूं का पोषकतत्व अधिक है। समृद्ध पोषक व सकस आहार में उसका समावेश किया जा सकता है। एन्थोसायनीन (140 पीपीएम) इस तत्व का प्रमाण अधिक होने से गेहूं काला है।
खुले बाजार में मांग
उमेश ठोकल, किसान दहीगांव के मुताबिक अन्य गेहूं के उत्पादन के मुकाबले इसका नियोजन कुछ अलग नहीं है। यह चार महीने मेें फसल तैयार होती है, बाकी केवल तीन महीने तक पकती है। इस गेहूं को मंडी में दाम नहीं मिलते। फिलहाल खुले बाजार में इसे अधिक मांग होने से इसे काफी अच्छे दाम मिलते है। क्योंकि यह पोषक तत्व से भरपुर है। अगले साल राजमा की फसल लेने का सोचा है। उत्पादन बढ़ाने के लिए नए-नए प्रयोग करता हूं।
Created On :   4 April 2023 6:28 PM IST