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राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड 248 गांवों में दूध उत्पादन बढ़ाएगा
डिजिटल डेस्क, वर्धा। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष परियोजना लाई है। इस परियोजना के तहत जिले के 248 गांवों के किसानों को पशुखाद्य, चारा और पशु औषधियों के लिए आर्थिक सहयोग मिलेगा। हालांकि मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल लिमिटेड के Milk collection centers के सदस्य किसान ही इस परियोजना का लाभ ले सकते हैं।
राज्य के पशुसंवर्धन, दुग्ध व्यवसाय विकास और मत्स्य व्यवसाय विभाग ने वर्धा समेत विदर्भ और मराठवाड़ा अंचल में इस योजना के लिए 128.29 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। दूध की कमी को देखते हुए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड दूध उत्पादन में वृद्धि लाना चाहता है। आर्थिक स्थिति के कारण किसान तथा पशुपालक पर्याप्त मात्रा में पशुखाद्य व चारा नहीं खरीद पाते। इसके साथ समय रहते पशुओं को चिकित्सा सेवा नहीं मिल पाती। इस कमी को देखते हुए राष्ट्रीय डेअरी विकास बोर्ड ने विशेष परियोजना तैयार की है और परियोजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य के 3 हजार 23 गांवों को दायरे में रखा गया है। इस सूची में वर्धा जिले गांव हैं। इसमें वर्धा तहसील के 43, आर्वी तहसील के51, आष्टी शहीद तहसील के 30, कारंजा तहसील के 71 और सेलू तहसील के 53 गांव शामिल हैं।
तकनीकी सहयोग भी मिलेगा
परियोजना के बारे मार्गदर्शन व सूचनाएं विभाग को प्राप्त नहीं हुई है। इस परियोजना के लाभार्थी किसानों को अनुदान सीधे राष्ट्रीय डेअरी विकास बोर्ड से ही मिलेगा। पशुसंवर्धन विभाग के जिले के हर एक तहसील स्तर पर विस्तार अधिकारी और पशु चिकित्सा अधिकारी हर एक गांवों के पशुपालक और किसानों से जुड़े हैं। पशुसंवर्धन उपायुक्त कार्यालय की जिम्मेदारी केवल तकनीकी मदद तथा लाभार्थी किसानों से आवेदन लेने तक सीमित होगी।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी समिति
परियोजना के तहत आवेदन के साथ किसानों को खेती का सातबारा, आठ अ, जाति प्रमाणपत्र, आधार और आधार संलग्नित बैंक खाता देना पड़ेगा। लाभार्थियों का चुनाव जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक 9 सदस्यीय समिति करेगी। इस समिति में विशेष जिला समाज कल्याण अधिकारी, आदिवासी विकास विभाग के प्रकल्प अधिकारी, जिला महिला व समाज कल्याण अधिकारी, जिला रोजगार तथा स्वरोजगार अधिकारी, जिला पशुसंवर्धन उपायुक्त, जिला पशुसंवर्धन अधिकारी और सहायक पशुसंवर्धन आयुक्त शामिल है। इस परियोजना को लागू करने की जिम्मेदारी जिला पशुसंवर्धन उपायुक्त पर है।
Created On :   28 July 2017 10:59 PM IST