- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- सहकारी चीनी मिलों की बिक्री में हुआ...
सहकारी चीनी मिलों की बिक्री में हुआ 25,000 करोड़ का घोटाला
डिजिटल डेस्क, अहमदनगर। लंबे समय से अज्ञातवास में रह रहे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे सोमवार को अचानक सामने आए और आरोप लगाया कि राज्य में सहकारी चीनी मिलों को कौड़ियों के मोल बेचकर 25,000 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया। उन्होंने केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मामले में भ्रष्टाचार में लिप्त रहे विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों तथा अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है। उन्होंने मामले में गंभीरता से ध्यान देकर सर्वोच्च न्यायालय के निवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति गठित कर तत्काल जांच कराने का भी अनुरोध किया है।
षड्यंत्र रचकर किया गया सहकारी क्षेत्र का खात्मा
रालेगण सिद्धि में अन्ना हजारे ने बताया कि उन्होंने पत्र में कहा है कि यह जांच आवश्यक है कि अचानक राज्य का सहकारी क्षेत्र कैसे ढह गया। आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों ने पहले ही राज्य में गन्ना उत्पादन की सीमा से परे चीनी मिलों की स्थापना की अनुमति देकर एक बड़ी गलती की है। कहा कि अगर बिना किसी राजनीतिक दबाव और हस्तक्षेप के निष्पक्ष जांच की जाती है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि चुने हुए राजनेता और प्रमुख पदों पर बैठे अधिकारियों ने चीनी मिलें, सार्वजनिक संपत्तियों को हड़पने के लिए हर नियम तोड़ा। साथ ही यह भी देखा कि कैसे सहकारी क्षेत्र को खत्म किया जा सकता है और निजीकरण को सुगम बनाया जा सकता है। यह बताते हुए कि घोटाला कैसे हुआ, हजारे ने कहा कि राज्य सरकार ने चीनी मिलों के वित्तीय पुनरुद्धार के लिए कोई प्रस्ताव नहीं भेजा। इसका कारण कुप्रबंधन है। यह अनजाने में नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित षड्यंत्र था। इसमें सरकार के लोग, वित्तीय संस्थानों के लोग और चीनी कारखानों के निदेशक मंडल सभी एकमत थे। अपनी जेबें भरने के लिए इन सभी ने सहकारी क्षेत्र को तोड़ा। हजारे ने यह भी कहा कि सहकारी कारखानों के लेन-देन की जांच से पता चलता है कि निजी कंपनियों द्वारा इन्हें औने-पौने दामों में खरीदा गया था। यही नहीं, अधिकांश कारखानों को अप्रत्यक्ष रूप से राजनेताओं ने ही खरीद लिया था। यही नहीं, बाद में राजनेताओं के प्रभाव वाले बैंकों ने इन कारखानों को दिल खोलकर ऋण दिया जिससे वे लाभ कमा सकें।
संगठित आपराधिक आचरण की जांच आवश्यक
अण्णा ने पत्र में कहा कि क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ एक याचिका भी अदालत में दायर की गई है, जिस पर फैसला होना बाकी है। लेकिन, फिलहाल मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मामला केवल धन के हेराफेरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अवैध रूप से उधार देने और धोखाधड़ी किए जाने का अपराध भी है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत, ये सभी देशद्रोह, कदाचार तथा संगठित आपराधिक आचरण की श्रेणी में आते हैं। घोटाले की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति नियुक्त की जानी चाहिए। हमें लगता है कि पहली बार केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए एक पारदर्शी और समृद्ध क्षेत्र बनाने के उद्देश्य से मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र सहकारिता विभाग की स्थापना की है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार महाराष्ट्र में चीनी मिलों की बिक्री में हुए घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराती है तो यह एक अच्छी मिसाल कायम होगी।
Created On :   25 Jan 2022 12:12 AM IST