रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में लंबित हैं 26 हजार 395 मामले, निपटारे का निर्देश 

26 thousand 395 cases are pending in Railway Claims Tribunal
रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में लंबित हैं 26 हजार 395 मामले, निपटारे का निर्देश 
हाईकोर्ट रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में लंबित हैं 26 हजार 395 मामले, निपटारे का निर्देश 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि रेलवे दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों के दावे रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (आरसीटी) में  बड़ी संख्या में प्रलंबित हैं। दावों के निपटारे के लिए रेलवे के विभिन्न जोन में लोक अदालत आयोजित की जाए। ताकि सही मायने में दुखियारे व बदकिस्म पक्षकारों को न्याय मिल सके। यह बात बांबे हाईकोर्ट ने कही है। लंबित दावों में एक मामला 1995 का भी है।  न्यायमूर्ति पीके चव्हाण ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसा देखा गया है कि रेलवे दुर्घटना में मारे गए लोग समाज के निर्बल व कमोजर आर्थिक पृष्ठभूमि के होते हैं। ऐसे लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से संसद ने विधि सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 को पारित किया है। कोर्ट के सामने पेश किए गए आकड़ों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि रेलवे के विभिन्न आरसीटी में 30 नवंबर 2020 तक 26 हजार 395 मामले प्रलंबित है। जबकि हाईकोर्ट में विभिन्न पडावों पर इस तरह के मामलो से जुड़ी 577 अपील प्रलंबित है। इसमें से सबसे पुरानी अपील 1995 की है। इन आकड़ों के मद्देनजर हाईकोर्ट ने कहा कि आरसीटी में प्रलंबित मामलों के निपटारे के लिए लोकअदालत का गठन व आयोजन अपेक्षित है। ताकि समाज के कमजोर तपके के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके। 

रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंड जी.जे.मोहन राव ने न्यायमूर्ति चव्हाण का इस मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने कहा कि आरसीटी से संबंधित मामलों के निपटारे के लिए एक नियमित अंतराल पर लोक अदालत का आयोजन करागर उपाय हो सकता है। जिससे ऐसे पक्षकारों  को शीघ्रता से न्याय मिल सकेगा, जिन्हें सही मायने में न्याय की जरुरत है। उन्होंने इसके लिए न्यायमूर्ति से  विधि सेवा प्राधिकरण को जरुरी निर्देश जारी करने का आग्रह भी किया। इस दौरान आरसीटी में मामलों को देखने वाले अधिवक्ता बाला साहब देशमुख ने न्यायमूर्ति के सामने रेलवे मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) की ओर से प्रिंसिपल चीफ कमर्शियल मैनेजर को जारी एक पत्र पेश किया। जिसमें आरसीटी में प्रलंबित मामलों को लेकर अदालत के जरिए निपटारे की बात भी कही गई है। इस तरह मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि आरसीटी में प्रलंबित मामले के लिए लोक अदालत का आयोजन किया जाए और कोर्ट के रजिस्ट्रार को अपने आदेश की प्रति महाराष्ट्र राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी चेयरमैन के पास रखने का निर्देश दिया। 

Created On :   27 Dec 2021 7:06 PM IST

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