अब स्कूल वाहन के रुप में नहीं चला सकते ऑटोरिक्शा, घरकुल घोटाला में दादा जैन को इलाज के लिए अंतरिम जमानत

3 months interim bail for treatment to Suresh Dada Jain
अब स्कूल वाहन के रुप में नहीं चला सकते ऑटोरिक्शा, घरकुल घोटाला में दादा जैन को इलाज के लिए अंतरिम जमानत
अब स्कूल वाहन के रुप में नहीं चला सकते ऑटोरिक्शा, घरकुल घोटाला में दादा जैन को इलाज के लिए अंतरिम जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने जलगांव के 29 करोड़ रुपए के घरकुल घोटाला मामले में दोषी पाए गए पूर्व मंत्री सुरेश दादा जैन को इलाज की खातिर तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत प्रदान की है। अस्पताल में भर्ती जैन ने खराब स्वास्थ्य के कारण मेडिकल के आधार पर कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था। जैन फिलहाल जेल से फरलो छुट्टी पर रिहा है। बुधवार को न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने जैन के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान जैन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता कहा कि मेरे मुवक्किल का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उन्हें तुरंत  अच्छे अस्पताल में इलाज की  जरुरत है। इसलिए उपचार के लिए अंतरिम जमानत प्रदान की जाए। आवेदन पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने जैन को पांच लाख रुपए के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत प्रदान की। अगस्त महीने में धुले की सत्र न्यायालय ने सुरेश दादा जैन को घरकुल घोटाले के मामले में दोषी ठहराते हुए सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी।  जिसके खिलाफ जैन ने हाईकोर्ट में अपील की थी। लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण जैन ने अपील पर सुनवाई से पहले जमानत आवेदन पर सुनवाई करने का आग्रह किया था। जैन के अलावा इस प्रकरण में पूर्व राज्य मंत्री गुलाबराव देवकर पूर्व नगरसेवक व महानगरपालिका के अधिकारियों सहित 47 लोगों को दोषी पाया गया था। गौरतलब है कि जैन ने घरकुल योजना के तहत घर बनाने के लिए बिल्डर को ठेका दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। घरकुल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत पांच हजार घर बनाने की योजना बनाई गई थी। लेकिन सिर्फ 15 सौ घरो का निर्माण किया गया।   जांच के दौरान इस प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर गड़बडिया व अनियमितता पायी गई थी। इसके बाद जलगांव महानगरपालिका के पूर्व आयुक्त प्रवीण गेडाम ने साल 2006 में पुलिस में जैन व अन्य लोगो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।  

 

अब स्कूल वाहन के रुप में नहीं चला सकते ऑटोरिक्शा

ऑटोरिक्शा को स्कूल वाहन के रुप में चलने की इजाजत नहीं दी गई है। सरकार ने आटोरिक्शा को स्कूली बच्चों को लाने ले जाने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया है। बुधवार को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने बांबे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। हाईकोर्ट में अवैध रुप से चल रहे स्कूल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। यह याचिका पैरेंटस टीचर्स एसोसिएशन ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि परिवहन विभाग द्वारा 13 सीट से कम वाहनों को भी स्कूल बस के रुप में चलने का लाइसेंस जारी किया जा रहा है। यह केंद्र सरकार के मोटर वेहिकल कानून के प्रावधानों के खिलाफ है। इसलिए अवैध रुप से बच्चों को स्कूल ले जानेवालों वाहनों के सड़कों पर चलने पर रोक लगाई जाए। सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि आटोरिक्शा को स्कूल वाहन के रुप में चलने देने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। अवैध रुप से बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने वाले रिक्शाचालकों के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई का निर्देश भी दिया गया है। इससे पहले न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ ने कहा कि कमोवेश हर जगह स्कूली बच्चों से खचाखच भरे आटोरिक्शा चलते दिखाई देते हैं। इसके अलावा कई अभिभावक दुपहिया वाहनों से भी बच्चों को स्कूल ले जाते हैं। जहां अभिभावक तो हेल्मेट पहने रहते है लेकिन पीछे बच्चे बिना हेल्मेट के बैठते हैं। जो पूरी तरह से असुरक्षित है। बच्चे कोई समान अथवा वस्तु नहीं हैं जिसे जैसा चाहे वैसे ढोया जाए। दरअसल जब तक अनाधिकृत वाहनों से आनेवाले बच्चों को स्कूल के भीतर नहीं आने दिया जाएगा तब तक इस तरह के वाहनों से बच्चों को स्कूल ले जाने-ले आने का सिलसिला नहीं रुकेगा। स्कूल बस ही स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित है। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने गुरुवार को अपना आदेश जारी करने की बात कही है। 


बेगलूरु के अखबार को रामनाथ गोयंका के नाम का इस्तेमाल करने से रोक

बांबे हाईकोर्ट ने बेगलूरु के एक साप्ताहिक अखबार के प्रकाशक को अपने अखबार में इंडियन एक्सप्रेस समूह के संस्थापक रामनाथ गोयंका के नाम फोटो का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। इंडियन एक्सप्रेस समूह ने इस संबंध में हाईकोर्ट में दावा दायर किया था। जिसमें मांग की गई थी कि बेगलूरु में ‘सजग समाचार परिवर्तन का’ के प्रकाशक प्रशांत गोयंका को रामनाथ गोयंका की फोटो व नाम इस्तेमाल करने से रोका जाए। इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया था कि बेगलूरु का अखबार रमानाथ गोयंका की गुडविल (साख) का इस्तेल व्यापार के लिए कर रहा है। जो कि नियमों का उल्लंघन है।  प्रशांत ने रामनाथ गोयंका का पोता होने का दावा किया था। न्यायमूर्ति एसी गुप्ते के सामने इस मामले की सुनवाई हुई। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने इंडियन एक्सप्रेस समूह को राहत देते हुए प्रशांत गोयंका को अपने अखबार में रमानाथ गोयंका का नाम व फोटो इस्तेमाल करने से रोक दिया। न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रकाशक रामनाथ गोयंका के नाम का इस्तेमाल सोशल मीडिया के किसी भी मंच पर न करे। न्यायमूर्ति ने फिलहाल मामले की सुनवाई 6 सप्तात तक के लिए स्थगित कर दी है और अखबार के प्रकाशक को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। 

Created On :   20 Nov 2019 6:14 PM IST

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