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खेल कोटे से नौकरी पाने वाले 300 लोगों को मैट ने दी राहत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। खेल कोटे से राज्य के विभिन्न महकमों में नौकरी पानेवाले तीन सौ से अधिक कर्मचारियों को महाराष्ट्र न्यायाधिकरण (मैट) ने अंतरिम राहत दी है। इससे पहले सरकार ने इन कर्माचरियों के खेल प्रमाणपत्र को अवैध ठहरा दिया था। ऐसे में नौकरी जाने आशंका के चलते कर्मचारियों ने मैट में आवेदन दायर किया था। आवेदन में कर्मचारियों ने मांग की थी कि उन्हें अपनी बात रखने का अवसर दिया जाए इसके बाद उनकी सेवा समाप्ति के बारे में निर्णय किया जाए।
मैट की चेयरमैन मृदुला भाटकर व प्रवीण दीक्षित की पीठ ने सुनवाई के बाद सरकार को इन कर्मचारियों की सेवा समाप्ति से पहले इन्हें नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का अवसर देने को कहा। पीठ ने कहा कि इन कर्मचारियों को सुनवाई के एक सप्ताह बाद तक इनके खिलाफ कार्रवाई न की जाए।
इस मामले को लेकर सरकारी कर्मचारी अशोक सकपाल व अन्य ने वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश तलेकर के माध्यम से मैट में आवेदन दायर किया था। राज्य सरकार की ओर से 30 अप्रैल 2005 को खेल कोटे के तहत नियुक्ति को लेकर एक शासनादेश जारी किया था। इस शासनादेश में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की मान्यता रखनेवाले खेलों व दूसरी प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करनेवाले श्रेष्ठ खिलाडियों के लिए सरकारी नौकरी के 5 प्रतिशत पद आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है।
इसके तहत पावर लिफ्टिंग में सफलता हासिल करनेवाले तीन सौ से अधिक खिलाडियों को साल 2017 से 2020 को विभिन्न विभागों में नौकरी दी गई थी। लेकिन जब इनके खेल प्रमाणपत्र कि जांच की गई तो मार्च 2020 में विदर्भ पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन की ओर से जारी प्रमाणपत्र को फर्जी पाया गया। इसके बाद मामले में कार्रवाई की गई। जांच के दौरान जमशेदपुर स्थित इंडियन पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन की ओर से जारी प्रमाणपत्र को भी फर्जी पाया गया है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सतीश तलेकर ने कहा कि मेरे मुवक्किलों के प्रमाणपत्र के बारे में निर्णय लेने से पहले नैसर्गिक न्याय के सिध्दांत का पालन नहीं किया गया है। इन बात को जानने के बाद पीठ ने कर्मचारियों को राहत दी।
Created On :   30 Nov 2020 10:25 PM IST