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आंध्रप्रदेश से मिलेंगे 300 वेंटिलेटर, विदर्भ के 11 प्लांट से मिलेगी ऑक्सीजन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संकट को देखते हुए आंध्रप्रदेश से महाराष्ट्र को 300 वेंटिलेटर मिलेंगे। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगमोहन रेड्डी ने आश्वासन दिया है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने रेड्डी से फोन पर चर्चा कर वेंटिलेटर की मांग की थी। आंध्रप्रदेश सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। आंध्रप्रदेश सरकार की घोषणा के बाद महाराष्ट्र को विविध चरणों में वेंटिलेटर मिलेंगे। नागपुर व विदर्भ में भी मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। गडकरी ने विदर्भ में कोरोना मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए हैं। ऑक्सीजन प्लांट तैयार करने के बारे में भी आवश्यक बैठकें ली हैं।
विदर्भ के 11 प्लांट से मिलेगी ऑक्सीजन
उधर जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए जिले के अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई जाए। इसके साथ ही कोरोना नियंत्रण के लिए प्रभावी उपाययोजना की जाए। जिले को विदर्भ के 11 प्लांट से ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई है। 18 साल से अधिक उम्रवालों को वैक्सीन देने के अभियान का उचित नियोजन करने के निर्देश पालकमंत्री नितीन राऊत ने दिए हैं। शनिवार को जिलाधिकारी कार्यालय के बचत भवन में पालकमंत्री ने कोरोना उपाययोजना की समीक्षा बैठक ली।
बेड बढ़ने पर मिलेगी ऑक्सीजन
जिले में दिन-ब-दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए कोविड अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाना जरूरी है। हर दिन सात हजार से ऊपर संक्रमित बढ़ने से सुविधाएं कम पड़ने लगी हैं। मानकापुर स्थित विभागीय क्रीड़ा संकुल में और मनपा के अस्पतालों में अति शीघ्र बेड बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि बेड बढ़ने पर वहां ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की तैयारी हो चुकी है। भिलाई, राउरकेला और विदर्भ के 11 प्लांट से ऑक्सीजन व्यवस्था की गई है।
जरूरतमंदों को ही मिले रेमडेसिविर
जिले में 12 हजार रेमडेसिविर की मांग है। इतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं होने से उन्हीं मरीजों को दिया जाए, जिन्हें इसकी आवश्यकता है। ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी को देखते हुए 1 हजार ऑक्सीजन कन्संट्रेटर खरीदे जा रहे हैं। इसके अलावा एयर सेपरेशन मशीन भी ली जाएगी। पालकमंत्री ने अस्पतालों में ऑक्सीजन का उपयोग, उसका नियोजन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बैठक में पशु संवर्धन व दुग्ध विकास मंत्री सुनील केदार, विधायक अभिजीत वंजारी, विभागीय आयुक्त संजीव कुमार, मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी., पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार, एसपी राकेश ओला, मनपा के अतिरिक्त आयुक्त जलज शर्मा आदि उपस्थित थे।
ऑक्सीजन के और दो टैंकर नागपुर पहुंचे
कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन की किल्लत के बीच राहत भरी खबर है। ऑक्सीजन के और दो टैंकर नागपुर पहुंचे हैं। इससे पूर्व शुक्रवार को ऑक्सीजन भरे 3 टैंकर नागपुर को मिले थे।
जिलाधिकारी को सौंपा गया
जायस्वाल निको ग्रुप के रायपुर प्लांट से 22 मीट्रिक टन और 16 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के दो टैंकर नागपुर पहुंचने पर जिलाधिकारी को सुपुर्द किए गए। इस ऑक्सीजन की सप्लाई सरकारी, निजी व मनपा अस्पतालों को की जाएगी। न्यूनतम 3 हजार मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। शुक्रवार को पहुंचे दो टैंकर की ऑक्सीजन शासकीय मेडिकल अस्पताल और मेयो को सप्लाई की गई।
विशाखापट्टनम से आए थे 3 टैंकर
शुक्रवार को विशाखापट्टनम से ऑक्सीजन एक्सप्रेस नागपुर पहुंची थी। उसमें से 3 ऑक्सीजन टैंकर नागपुर में उतारे गए थे। निधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर के लिए 5 टैंकर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने का वादा किया था। उसी में से 2 टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं। ऑक्सीजन टैंकर नागपुर पहुंचने पर महापौर दयाशंकर तिवारी ने केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस का आभर माना।
वैक्सीनेशन का लक्ष्य बढ़ाने का निर्देश
एक मई से 18 साल से अधिक आयु वालों को वैक्सीन दी जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की शुरुआत की है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने नियोजन कर तैयारी करना जरूरी है। जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे ने बताया कि शहर के 187 और ग्रामीण के 177 केंद्रों से वैक्सीन देने का काम किया जा रहा है। पालकमंत्री ने वैक्सीनेशन को लेकर कहा कि जिले में 1 लाख लोगों को हर रोज वैक्सीन देने का लक्ष्य निर्धारित कर केंद्र सरकार से इतनी मात्रा में वैक्सीन की मांग की जाएगी।
दो टैंकरों से मिली मेयो-मेेडिकल को राहत
ऑक्सीजन एक्सप्रेस द्वारा विशाखापट्टनम से नागपुर लिक्विड ऑक्सीजन के 7 टैंकर पहुंचे थे। इनमें से दो टैंकर नागपुर को मिले है। एक टैंकर मेयो और एक टैंकर मेडिकल को दिया गया है। इनमें 15-15 टन लिक्विड ऑक्सीजन है। मेडिकल को रोजाना 24 टन और मेयो को रोजाना 12 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है। दोनों अस्पतालों की आवश्यकता को देखते हुए यह एक दिन का कोटा है। हालांकि अस्पतालाें में पहले से कुछ स्टॉक होने से फिलहाल इन टैंकरांे का ऑक्सीजन अभी पूरा खाली नहीं हो पाया है। मेयो अस्पताल सूत्रों के अनुसार यहां हर रोज 12 से 13 टन ऑक्सीजन की मांग होती है। जो टैंकर मिला है, वह 15 टन ऑक्सीजन का है। मेयो की जरुरत को देखते हुए यह टैंकर एक दिन का कोटा है। फिलहाल यह टैंकर खाली नहीं हुआ है। बताया जाता है कि टंकी का स्टॉक देखकर जरूरत के हिसाब से उसमें टैंकर का ऑक्सीजन भरा जा रहा है, इसलिए टैंकर अभी खाली नहीं हुआ है। अभी मेयो अस्पताल के पास टैंकर के स्टॉक समेत अगले दो दिन का स्टॉक बताया गया है। मेडिकल में हर दिन 24 टन ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जो टैंकर आया उससे एक दिन की जरूरत भी पूरी नहीं हो सकती, लेकिन इस समय ऑक्सीजन को लेकर मची मारामारी के बीच टैंकर राहत देनेवाला साबित हुआ है। सूत्रों के अनुसार मेडिकल में हमेशा ही दो दिन का ऑक्सीजन का स्टॉक रहता है। शुक्रवार को मिले टैंकर के ऑक्सीजन को आवश्यकतानुसार उपयोग में लिया जा रहा है।
विशाखापट्टनम से पहुंचे थे ऑक्सीजन टैंकर
शुक्रवार रात करीब 8.10 बजे ऑक्सीजन एक्सप्रेस द्वारा विशाखापट्टनम से नागपुर 7 लिक्विड ऑक्सीजन के टैंकर पहुंचे थे। इनमेें से 3 टैंकर नागपुर रेलवे स्टेशन पर उतारे गए थे। जबकि अन्य टैंकर नाशिक के लिए रवाना किए गए। नागपुर में उतारे गए 3 टैंकरों में से 1 टैंकर अमरावती भेजा गया। अन्य दो टैंकराें में से एक मेयो और एक मेडिकल अस्पताल को दिए गए। एक टैंकर में 15 टन लिक्विड ऑक्सीजन थी। इतना ऑक्सीजन एक दिन में 1500 मरीजों को राहत दे सकता है।
रामटेक के उपजिला रुग्णालय में धूल खा रहे 5 वेंटिलेटर नागपुर मेडिकल अस्पताल भेजे गए
2020 में पीएम केयर निधि अंतर्गत उपजिला रुग्णालय रामटेक को प्राप्त 5 वेंटिलेटर बुधवार तक यहां धूल खाते पड़े थे। इसके बाद बगैर उपयोग के मेडिकल अस्पताल नागपुर रवाना किए गए। समूचा नागपुर जिला कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है। मरीज बेड, आॅक्सीजन और वेंटिलेटर के अभाव में रुग्णालय के बाहर मरीज दम तोड़ रहे हैं। विधायक आशीष जयस्वाल ने सिविल सर्जन पातुरकर को लेकर 20 अप्रैल को रामटेक उपजिला रुग्णालय के वैद्यकीय सुविधाओं का जायजा लिया। रुग्णालय में 5 वेंटिलेटर बगैर उपयोग के धूल खाते पड़े थे। बताया गया कि, पीएम केयर फंड से यह वेंटिलेटर अगस्त 2020 में उपलब्ध हुए थे। इसी संबंध में कांग्रेस के जिला महासचिव उदयसिंह यादव ने 19 अप्रैल को जिले के पालकमंत्री नितीन राऊत से भेंट कर वेंटिलेटर संबंधी विस्तृत जानकारी देकर उसे शुरू करने की मांग की थी, लेकिन यहां वेंटिलेटर सेटअप और संचालित करने वाला विशेषज्ञ डाॅक्टर, कुशल तकनीशियन नहीं होने से 2020 में पीएम केयर फंड अंतर्गत प्राप्त यह 5 वेंटिलेटर उपजिला अस्पताल में नहीं लग पाए। तबसे इसकी किसी ने सुध तक नहीं ली। संबंधित तत्कालीन वैद्यकीय अधीक्षकों ने वरिष्ठों को इसकी और पर्याप्त नियमित स्टाफ नहीं होने की अनेक बार जानकारी दी, लेकिन रामटेक नगर और तहसील के स्वास्थ्य संबधी किसी को भी फिक्र नहीं होने से यह सब अनदेखा ही रहा। अस्पताल के दक्षिणी भाग की सुरक्षा दीवार की मांग भी अधूरी रही। जहां से सुअर मरीजों के वार्ड तक पहुंचते हैं। अस्पताल में कभी पूरा स्टाफ नहीं रहा। कभी मशीनरी, एक्सरे मशीन आॅपरेटर, बाल विशेषज्ञ नही रहे। यह केवल रेफर सेंटर बन कर रह गया। यहां भर्ती मरीज अपनी रिस्क पर रहते हैं, लेकिन असुविधाओं की किसी ने कभी सुध नहीं ली। आर्थिक रूप से कमजोर ग्रामीणों के लिए यह अस्पताल बड़ा आधार होना चाहिए, लेकिन यहां आए अधिकांश मरीज प्राथमिक उपचार के बाद नागपुर रेफर किए जाते हैं। नागपुर जाते समय रास्ते में ही कुछ दम तोड़ देते हैं। प्रसूता की प्रसूति हो जाती है। मेडिकल, मेयो में पहुंचने पर कभी डाक्टर कहते हैं इसका इलाज तो वहीं हो जाना था। मरीज कहता है, उन्होंने तो हमें इधर भेजा है। अब कोरोना ने अस्पताल की लचर प्रणाली की पोल खोली तो यह पैकबंद धूल खाते वेंटिलेटर बाहर आए। 2020 से न लग पाए यह 5 वेंटिलेटर बुधवार को मेडिकल अस्पताल नागपुर के हवाले कर रवाना कर दिए गए। ताकि वहां जरूरतमंद मरीजों को इसकी सेवा मिल सके।
Created On :   25 April 2021 3:46 PM IST