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दोगुनी दर से भुगतान कर जकरिया को पहुंचाया 35 लाख रु. का लाभ
डिजिटल डेस्क अनूपपुर | प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह के गृह जिले अनूपपुर में बड़ा ट्रांसपोर्ट घोटाला सामने आया है। वर्ष 2015 से मार्च 2021 तक साल दर साल होते रहे इस घोटाले में नान (नागरिक आपूर्ति निगम) के जिला प्रबंधक ने शहडोल के जकरिया ट्रांसपोर्ट को फायदा पहुंचाने भोपाल मुख्यालय से अनुमोदन मिले बिना अपने स्तर पर तय की गई दोगुनी से अधिक दरों पर भुगतान कर दिया। इन 6 सालों के दरमियान जकरिया को करीब 35 लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया गया। नान के एमडी अभिजीत अग्रवाल ने मामले की जांच कराए जाने की बात कही है। नान द्वारा जकरिया को एक से 25 किमी तक की दूरी में खाद्यान्न परिवहन के लिए 2015 में 8 लाख 40 हजार 572 रुपए का भुगतान किया गया था। इसके बाद 2016 में 12 लाख 34 हजार 890, 2017 में 8 लाख 56 हजार 240 तथा 2020 में 12 लाख 40 हजार 578 रुपए का भुगतान किया गया। वर्ष 2018 तथा 2029 में जकरिया का एक से 25 किमी की दूरी में खाद्यान्न परिवहन किए जाने और उसके भुगतान का ब्यौरा जिला कार्यालय नहीं ढूंढ पा रहा है। आकलन है कि इन दो वर्षों में भी करीब 23लाख रुपए से अधिक का भुगतान जकरिया को किया गया है।
ऐसे बनाई उपकृत करने की रूपरेखा
जकरिया ट्रांसपोर्ट ने 2015 में अनूपपुर जिले में एलआरटी (लांग रूट ट्रांसपोर्ट) का ठेका हासिल किया। इसके लिए भोपाल मुख्यालय से 1 से 50 किलोमीटर तक के पहले स्लैब के लिए 7.08 रुपए प्रति टन-प्रति किलोमीटर की दरें निर्धारित की गईं। जकरिया ने नान के स्थानीय अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलीभगत कर कम दूरी का एक नया प्रस्ताव बनवाया। इसमें 1 से 25 किमी. तक की दरें 16रु. प्रति टन-प्रति किमी. तय करवा लीं।
नियमों को भी तोड़ा } नियमानुसार यदि जिला प्रबंधक द्वारा परिवहन को लेकर कोई नई दर निर्धारित की जाती है तो इसके लिए पहले कलेक्टर की सहमति लेनी होती है। कलेक्टर के सहमति पत्र के साथ दर निर्धारण का प्रस्ताव नान के एमडी को भेजना होता है। भोपाल मुख्यालय से अनुमोदन पश्चात ही दरों की वैधानिक स्वीकृति मानी जाती है। जकरिया के मामले में हुआ यह कि कलेक्टर की सहमति से दर निर्धारण प्रस्ताव भोपाल तो भेजा गया, किंतु वहां से अनुमोदित होकर वापस नहीं आया। बावजूद इसके बिना अनुमोदन जकरिया ट्रांसपोर्ट को 16 रुपए की दर से जिला प्रबंधक द्वारा 6 साल तक भुगतान किया जाता रहा।
30 के बजाय करीब 65 लाख का हुआ भुगतान
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2015 से मार्च 2021 तक की अवधि में जकरिया को एक से 25 किलोमीटर की न्यनूतम दूरी का 16 रुपए की दर (गैरअनुमोदित) से करीब 65 लाख रुपए का भुगतान किया गया। नान के भोपाल मुख्यालय ने शुरुआती 1 से 50 किमी तक की परिवहन दरें 7.08 रुपए तय की थीं। इस लिहाज से करीब 35 लाख रुपए का अधिक भुगतान नान के जिला प्रबंधक द्वारा किया गया।
*** दरों का अनुमोदन कराए बगैर यदि भुगतान किया गया है तो यह गलत है। पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी।
- अभिजीत अग्रवाल, एमडी (नान), भोपाल
Created On :   18 Jun 2021 2:07 PM IST