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पीक टाइम में 4,000 सैम्पलिंग, अब इन्फेक्शन कम तो जाँचें 6,000
कोरोना की सैम्पलिंग में लोग सवाल उठा रहे, आखिर बेवजह ज्यादा जाँच कर किटों की बर्बादी क्यों कर रहा स्वास्थ्य विभाग
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना वायरस की संक्रमण दर जब 18 से 20 प्रतिशत तक थी तो जिले में इसकी जाँच के लिए सैम्पल 3 से 4 हजार ही लिये जा रहे थे, लेकिन जैसे ही इन्फेक्शन की गति कम हुई और हालात बेहतर हुये तो नमूनों की जाँच की संख्या बढ़ा दी गई। इन्वेस्टीगेशन को लेकर हेल्थ विभाग द्वारा अपनाया जा रहा यह रवैया लोगों के गले नहीं उतर रहा है। एक्सपर्ट का मानना है कि जब ज्यादा जरूरी था कि वायरस को जल्द से जल्द ट्रेस किया जाए उस वक्त तो जाँच का दायरा सीमित कर दिया गया और जब टेस्ट उतने जरूरी नहीं तो क्यों इनकी संख्या बढ़ा दी गई है।
अस्पतालों में एक्सपर्ट का मानना है कि अभी जो किया जा रहा है वह कोरोना से जंग में चिकित्सकीय संसाधनों की बर्बादी है। आने वाले समय में जब वायरस ज्यादा लोगों को बीमार बना सकता है उस वक्त इन संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है। फिलहाल जब इन्फेक्शन घट गया तो ऐसी जाँचें कराने से फायदा क्या है। जो व्यक्ति गंभीर लक्षण के लगे या मर्ज का क्लासिक लक्षण नजर आये उसी की जाँच की जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। ज्यादा नमूने की जाँच को लेकर सैम्पलिंग प्रभारी डॉ. अमीता जैन कहती हैं कि हमें जो निर्देश मिले हैं उसी के अनुसार टेस्ट कर रहे हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद सावधानी के तौर पर जाँच का दायरा बढ़ा दिया गया है।
38 सेंटरों में भटक गए लोग
जिले में शहरी और ग्रामीण को मिलाकर कुल 38 फीवर क्लीनिक बनाये गये हैं। इनमें से 34 सेंटरों में जाँच की जाती है। सेंटरों में रैपिड एंटीजन टेस्ट, आरटीपीसीआर नमूना लिये जाते हैं। इन्हीं केन्द्रों से एक माह पहले लोग निराश लौट रहे थे, उन्हें जाँच के लिए बुलाया जाता और कह दिया जाता था कि किट खत्म हो गई और अब ऐसे हालात हैं कि नमूने ऐसे लोगों के भी लिये जा रहे हैं जिनमें किसी भी तरह से पॉजिटिव होने की गुंजाइश ही नजर नहीं आ रही है। इस तरह की जाँच को लेकर व्यक्ति खुद सवाल खड़े कर रहे हैं। आखिर हमारी कोरोना जाँच क्यों की जा रही है, हम बीमार नहीं हैं, तो भी किट से जाँच कर रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है।
Created On :   14 Jun 2021 2:28 PM IST