44 बांध लबालब, 22 की नहीं बुझी प्यास - नहीं हो रहा सुधार

44 dam overflow, 22 not quenched thirst - not improving
 44 बांध लबालब, 22 की नहीं बुझी प्यास - नहीं हो रहा सुधार
 44 बांध लबालब, 22 की नहीं बुझी प्यास - नहीं हो रहा सुधार

डिजिटल डेस्क कटनी । मानसून सीजन ने तो लोगों को निराश नहीं किया। सितम्बर माह के अंतिम पखवाड़े में इन्द्रदेव की मेहरबानी से औसत बारिश की अपेक्षा 22 मिलीमीटर अधिक बारिश हुई। इसके बावजूद 89 बांधों में से 22 बांध ऐसे रहे। जिसमें भराव क्षमता के हिसाब से 33 प्रतिशत भी ये बांध नहीं भरे हैं। इस स्थिति में गर्मी के समय फिर से करोड़ों रुपए के लागत की बांध परेशानी का सबब बनेगी। विभागीय अधिकारी कह रहे हैं कि कई बांध पुराने हैं और कई में सीपेज और रिसाव की समस्या है। जिसके चलते इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है। फिर भी रबी के सीजन में सिंचाई का जो लक्ष्य रखा गया है। उससे किसानों को पानी मिलेगा।
57 मिलियन क्यू. मीटर पानी बर्बाद
विभागीय अनदेखी कहें या फिर शासन की कमीं। जिसके चलते बांधों में रुकने वाला 57 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की बर्बादी हो गई। यदि जिले के सभी बांध सही रहते तो बांधों में 170.37 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी एकत्र होता। इसके बावजूद बारिश के चार माह में 127.11 मिलियन क्यूबिक मीटर ही पानी एकत्र हो सका। 25 प्रतिशत पानी व्यर्थ ही बह गया। 89 में से 44 बांध ऐसे रहे। जिनमें सौ प्रतिशत भराव हुआ है। अन्य बांधों की स्थिति भी बेहतर है। लेकिन ये 22 उम्रदराज बांध किसानों के लिए फिर से परेशानी का सबब बनेंगे। सीपेज और क्षतिग्रस्त प्रमुख कारण सीपेज और क्षतिग्रस्त के कारण जिले में यह सिथति है कि भरपूूर बारिश के बाद भी रबी सीजन में किसानों को परेशानी हो सकती है। रीठी का पबरा जलाशय सितम्बर माह में क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके चलते 11 प्रतिशत ही बांध भर सका। कटनी को पौड़ी पड़रिया जलाशय बेसिंग से सीपेज है। बरही क्षेत्र का बसाड़ी जलाशय तो भरपूर बारिश के बाद भी खाली पड़ा है। मल्हन जलाशय में 37 प्रतिशत ही पानी भरा है। मगरेहटा जलाशय में 22 प्रतिशत जल भराव हुआ है। इसके साथ ढीमरखेड़ा का पहरूआ, सरसवाही, खम्हरिया, किसगी जलाशय में भी पानी तलहटी तक है।
25 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य
खरीफ सीजन में बारिश होने के कारण अभी तक बांधों से पानी नहीं छोड़ाया गया है। खरीफ सीजन में करीब 15 हजार हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य रखा गया है। रबी सीजन में 25 हजार हेक्टेयर के आसपास यह लक्ष्य रखा गया है। अधिकारियों का यह कहना है कि फिलहाल रबी सीजन तक पानी की परेशानी नहीं होगी। इसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। अन्य बांध जिनमें किसी तरह की तकनीकी खामिया हैं उस दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। शासन स्तर को इस संबंध में अवगत कराया गया है।
इनका कहना है
  बांधों में जल भराव की स्थिति पिछले वर्ष की अपेक्षा बेहतर है। ऐसे कुछ बांध जरूर हैं जिनमें सीपेज की समस्या बनी हुई है। साथ ही कुछ बांध क्षतिग्रस्त हैं। ऐसे बांधों में सुधार के लिए विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।
- आर.के. खुराना, ईई डब्ल्यूआरडी कटनी

Created On :   15 Oct 2019 2:35 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story