नियमों की भूल-भुलैया में भटक रहे 49 फीसदी क्लेम 

49 per cent claims are wandering in the maze of rules
नियमों की भूल-भुलैया में भटक रहे 49 फीसदी क्लेम 
नियमों की भूल-भुलैया में भटक रहे 49 फीसदी क्लेम 

कैशलेस तो छोडि़ए दावे के बाद इलाज के पैसे मिलने का इंतजार कर रहे लोग, लोगों की मुसीबत के समय हाथ खड़े कर दिए कंपनियों ने, अनेक प्रकरणों में ज्यादातर भुगतान बाकी
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियाँ 99 से 100 फीसदी तक त्वरित प्रकरणों के निराकरण का दावा करती हैं, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। कैशलेस इलाज से लेकर केस के सेटलमेंट तक उपभोक्ता इनसे इन दिनों खासे परेशान हैं। कोरोना काल में जब हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियाँ मददगार साबित होकर लोगों का भरोसा और ज्यादा जीत सकती थीं तो ठीक उसी वक्त इनने आम आदमी के विश्वास को तोड़ दिया है। हेल्थ क्लेम के आधे मामलों में सेटलमेंट नहीं हो पा रहा, हजारों लोग इनकी वजह से आर्थिक मुसीबतें झेल रहे हैं। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एण्ड डेवलपमेंट अथॉरिटी आईआरडीए की वेबसाइट पर पंजीकृत हेल्थ कंपनियों का दावा निपटारा और समाधान 99 और 100 फीसदी तक दर्शाया जा रहा है, जबकि वर्तमान में इनका निराकरण का प्रतिशत 51 है यानी आधे मामले उलझे हैं।  नियम यही कहता है कि  कंपनी हर हाल में कुछ घण्टों के अंदर नेटवर्क हॉस्पिटल (कंपनियों से जुड़े हुये अस्पतालों) में जल्द से जल्द प्रकरण का समाधान कर, उपभोक्ता को आर्थिक मदद करें।  सभी कंपनियाँ अपनी गुणवत्ता नियम के अनुसार कायम रहें पर अभी सच्चाई इन नियमों से अलग है। जानकारी के अनुसार  राष्ट्रीय स्तर पर जो बीते एक माह के अंदर कोरोना काल में प्रकरण प्रस्तुत किये गये उनमें से राशि के हिसाब से 51 फीसदी में ही केस सेटलमेंट हो सका है, शेष 49 फीसदी केस अब भी लंबित हैं। इनमें से हजारों बीमा प्रकरण लोकपाल के यहाँ पहुँच गए तो बचे हुये हॉस्पिटल बिलिंग सेक्शन, टीपीए और कंपनी के नुमाइंदों के बीच झूल रहे हैं। 
रातों-रात बढ़ गई संख्या
जानकारों का कहना है कि देश में हेल्थ इंश्योरेंस के क्षेत्र में पहले बहुत सीमित कंपनियाँ थीं। कोरोना काल से पहले इस व्यवसाय में लाभ अधिक था। प्रकरण साल भर में जितने आते हैं उससे ज्यादा प्रीमियम की राशि जमा होती रही, कंपनियाँ इस आधार पर अरबों रुपए कमा रही थीं।  जैसे ही महामारी के वक्त दावे बढ़े तो इसके बाद मुनाफे में घाटा दिखना शुरू हो गया और फिर मामले उलझना शुरू हो गए।  प्रकरण निपटारे के मामले ज्यादा बढ़े इनकी एवज में सेटलमेंट कम हो गया। अभी देश भर में लाखों की संख्या में लोग इनसे परेशान हैं। 
आधा अधूरा सेटलमेंट
हजारों प्रकरण ऐसे भी हैं जिनमें सेटलमेंट किया भी तो आधा-अधूरा है। जैसे किसी को 3 लाख रुपए का क्लेम है तो उसको सवा लाख रुपए ही भुगतान किया गया। शेष राशि उपभोक्ता ने अपनी जेब से भरी और उसको आगे मिलने की उम्मीद भी न के बराबर है। आधे-अधूरे सेटलमेंट को लेकर उपभोक्ता अब टीपीए से लेकर कंपनियों के नुमाइंदों तक के दरवाजे खटखटा रहे हैं पर उन्हें कोई समाधान होता नहीं दिख रहा।
क्लेम की परेशानी यहाँ बताएँ
हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम और कैशलेस उपचार व अन्य तरह की समस्या के निराकरण के लिए राजधानी भोपाल में बीमा लोकपाल के 07552769200, 07552769201 नंबरों पर शिकायत की जा सकती है। इसके साथ ही इंश्योरेंस रेगुलेटरी अथॉरिटी हैदराबाद गाछी वावली में पत्र व्यवहार किया जा सकता है। साथ ही 155255 टोल फ्री नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। 

Created On :   24 May 2021 3:34 PM IST

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