51 दिव्यांग बच्चें के जीवन में लाया बदलाव - दूसरे ले सकते हैं प्रेरणा

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
 51 दिव्यांग बच्चें के जीवन में लाया बदलाव - दूसरे ले सकते हैं प्रेरणा

डिजिटल डेस्क कटनी । सक्षम छात्रावास के स्टाफ ने कोशिश की स्याही से दिव्यांग बच्चों के जीवन में बदलाव लाकर समाज को नई दिशा दिखाई। यहां के तीन बच्चों ने भी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पदक हासिल कर शिक्षकों की मेहनत का रंग और गहरा कर दिया। दरअसल यह सब कुछ संभव उस छात्रावास में हो सका, जिस छात्रावास में दिव्यांग बच्चे निवासरत होकर शासकीय स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं। इस छात्रावास में 51 बच्चे रहकर शिक्षा ले रहे हैं। छात्रावास में  एचआई (सुनने और बोलने), एमआर(मंदबुद्धि), वीआई (देखने में परेशानी) प्रकार के दिव्यांग बच्चों को रखा जाता है।  एनकेजे थाने के बगल से जिला शिक्षा केन्द्र के द्वारा स्थापित इस छात्रावास को तो अभिभावक भगवान का दर्जा देते हुए यह कहते हैं कि शासन की इस सार्थक पहल ने उनकी चिंता को कम करने का काम किया है। यदि दिव्यांग बच्चियों के लिए भी इस तरह का छात्रावास खुल जाए तो बेटी सशक्तीकरण का नारा जिले में और मजबूत होगा। यह छात्रावास जिले के उन सामान्य छात्रावासों के लिए आदर्श है। जब यहां पर आने के बाद दिव्यांग छात्रों के चेहरे में खिलखिलाहटी बनीं रहती है।
जूड़ो जैसा खेल में पदक
पिछले वर्ष इस छात्रावास के बच्चों ने जूड़ो जैसे खेल में पदक लाकर यह बता दिया कि यदि हमें तराशा जाए तो हम भी किसी से कम नहीं है। अधीक्षक वीरु सोनी बताते हैं कि लखनऊ में ब्लाइंड बच्चों के लिए राज्य स्तरीय जूड़ो गेम प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। सातवीं और आठवीं में अध्ययनरत छात्रों ने यहां पर सहभागिता निभाई। जिसमें राघव यादव और अन्य छात्र ने कांस्य पदक जीता। होनहार छात्र राघव यादव ने बताया कि इसकी ट्रेनिंग छात्रावास में ही स्टाफ ने दी।
चुनौतियों से सभी ने लड़ा
इस पर सार्थक रंग लाने का काम शिक्षकों ने किया। जनपद शिक्षा कार्यालय से ऐसे दिव्यांग बच्चों को चिन्हित करते हुए सीडबलूएसएन छात्रावास भेजा गया।
जिन्हें तरासने की आवश्यकता रही। इसके लिए अभिभावकों को तैयार करना शिक्षकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहा। खासतौर पर पांच वर्ष से
लेकर चौदह वर्ष तक के बच्चों को उनके घर से निकालते हुए जिला मुख्यालय के छात्रावास तक लाने में शिक्षक और अधिकारी अपने-अपने स्तर से मेहनत किए। शुरुआती दौर में अभिभावकों को सुविधाओं को लेकर जो शंका रही, बच्चों को भेजने के बाद जब वे यहां पहुंचे, तो वह शंका भी दूर हो गई। अब तो यहां पर कई बच्चे ऐसे हैं, जो पांच वर्ष से नियमित रुप से अध्ययन कर रहे हैं।
तो और मिलेगी सफलता
छात्रावास में तो दिव्यांग बच्चों के लिए वे सारी सुविधाएं हैं। जो सपना सरकार ने संजोया हुआ था। लेकिन खेल मैदान और छात्रावास के सामने बाउण्ड्री वॉल की कमीं अरसे से बनीं हुई है। यह छात्रावास मुख्य मार्ग से सटा  हुआ है। ऐसे में सामने की तरफ मैदान में बच्चों के निकलने पर स्टाफ को अधिक ध्यान देना पड़ता है। यदि बच्चों के लिए सुरक्षित खेल मैदान मिल जाए तो निश्चित ही उनकी सफलता में चार चांद लग सकती है।
इनका कहना है
  एनकेजे क्षेत्र में पचास सीटर छात्रावास का संचालन किया जा रहा है। विभाग के सभी लोगों की कोशिश रहती है कि बच्चों को यहां पर किसी तरह की परेशानी न हो। जिसके लिए विशेष योग्यता वाले शिक्षक की नियुक्ति अधीक्षक के रुप में की गई है। साथ ही बच्चों की देखरेख के लिए केयर टेकर, चौकीदार भी नियुक्त हैं। अन्य तरह की परेशानियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी।
- एन.पी.दुबे, एपीसी जिला शिक्षा केन्द्र कटनी
 

Created On :   18 Nov 2019 9:50 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story