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3 साल में 55 तेंदुओं की मौत, राज्य में प्रति साल बढ़ रहे आंकड़े
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बाघों की तरह तेंदुओं की रक्षा के लिए विशेष योजनाएं नहीं होने से इनकी मौतों में इजाफा हो रहा है। वन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें, तो गत 3 साल में 54 तेंदुओं की मौत हुई है। हाल ही में भूख-प्यास के कारण नागपुर के सुराबर्डी परिसर में हुए तेंदुए की मौत ने आंकड़े को 55 कर दिया है।
रहवासी क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं : महाराष्ट्र में मौजूद जंगलों में बाघों की तुलना में तेंदुओं की संख्या ज्यादा है। यह शिकार की तलाश में रहवासी इलाकों में भी आसानी से पहुंच जाता है। इनके लिए कोई खास योजना आदि नहीं रहने से विभिन्न कारणों से तेंदुओं की मौतें होती रहती हैं। इसमें सड़क हादसे से लेकर अवैध शिकार की घटनाएं शामिल हैं। केवल जंगल में ही होनेवाली मौत के बारे में बात करें, तो गत 3 साल में 55 तेंदुओं की मौत हुई है। वर्ष 2019 में 16 तेंदुए मरे हैं। इसमें नागपुर में 1 है। पुणे में 1, नाशिक में 9 यवतमाल में 1, कोल्हापुर व चंद्रपुर में 2-2 तेंदुए शामिल हैं। इसके अलावा वर्ष 2020 की बात करें, तो 17 तेंदुए मृत अवस्था में मिले हैं। इसमें नागपुर में 2, नाशिक में 8 व पुणे में 7 शामिल हैं। वर्ष 2021 में 21 तेंदुए मरे हैं। इसमें नागपुर में 1, मुंबई में 1, चंद्रपुर में 8, पुणे में 3 व नाशिक में 8 शामिल हैं।
Created On :   6 March 2022 1:36 PM IST