तत्कालीन आरटीओ, श्रमाधिकारी, बस संचालक सहित 6 पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

6 cases including frauds filed against then RTO, Shramadhikari, bus operator
तत्कालीन आरटीओ, श्रमाधिकारी, बस संचालक सहित 6 पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज
तत्कालीन आरटीओ, श्रमाधिकारी, बस संचालक सहित 6 पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज

ढाई वर्ष पुराने मामले में एफआईआर, जो बसें सम्मेलन में नहीं गई उनका कराया भुगतान
डिजिटल डेस्क शहडोल ।
जबलपुर के पनागर में 28 फरवरी 2018 को हुए असंगठित मजदूरों के सम्मलेन में शहडोल से भेजी गईं बसों के भुगतान में गड़बड़ी उजागर हुई है।  जिसमें ऐसी बसों का भी भुगतान करा दिया गया, जिन्हें अधिग्रहण के बाद वापस लौटा दिया गया था। मामले में प्रयाग ट्रेवल्स के संचालक बीरेंद्र सिंह की शिकायत में जांच के बाद तत्कालीन आरटीओ ललिताराम सोनवानी, तत्कालीन श्रम अधिकारी संध्या सिंह, नफीस ट्रेवल्स के संचालक रईश अहमद, आशिक अली, नफीस अहमद, मोहम्मद के विरुद्ध कोतवाली में धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी भादवि के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
जबलपुर के पनागर में हुआ था श्रमिक सम्मेलन 
विंध्य व महाकौशल के असंगठित मजदूरों का कार्यक्रम पनागर में 28 फरवरी को हुआ था। जिसमें शहडोल से भी श्रमिकों को ले जाने के लिए श्रम विभाग को जिम्मेदारी दी गई थी। इसके लिए शहडोल जिले से 30 बसें अधिग्रहित कर परिवहन विभाग ने श्रम विभाग को सौंपी। मानपुर से 9 बसों को वापस कर दिया गया। लेकिन मार्च महीने में सभी के बिल बनकर परिवहन कार्यालय से श्रम कार्यालय पहुंचा तो उसमें 9 बस मालिकों की जगह सिर्फ  दो बस मालिकों के बिल और 21 की जगह 30 बसों का श्रम अधिकारी कार्यालय से 7 लाख 46 हजार 80 रूपये का भुगतान कर दिया। 23 से 24 फरवरी को भेजी गई 21 बसों के बिल सभी 9 बस मालिकों से न लेकर सिर्फ  नफीस ट्रांसपोर्ट के बिल ही लगवाए गए। नियमानुसार जिन बस मालिकों को बसों के अधिग्रहण का पत्र देकर बसें ली गई थीं, उनसे बिल लिए जाने चाहिए थे। बाकी बस मालिकों से सहमति पत्र लेकर उसे बिल में संलग्न करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिस पर थाने में शिकायत कर दी गई।
इन्हें मिला था अधिग्रहण का पत्र
जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग ने 23 फरवरी को जिन 30 बसों के मालिकों को अधिग्रहण के पत्र दिए थे उनमें नावेद बस सर्विस, नफीस ट्रांसपोर्ट, वीरेन्द्र सिंह प्रयाग बस, पुणेन्द्र सिंह, संजय सिंह, मंगलानी बस सर्विस, महामाया बस सर्विस, मो. हसन खान, मो. आजाद बस मालिक शामिल थे। 30 बसों में से वीरेन्द्र सिंह की एक, पुणेन्द्र सिंह की दो, संजय सिंह की एक, मंगलानी की दो व नफीस की तीन बसें मानपुर से वापस कर दी गई थीं। जब बिल लगाया गया तो उनमें उन बसों के नंबर भी शामिल थे, जिन्हें अधिग्रहण के बाद लौटाया गया था।
 

Created On :   10 Oct 2020 6:50 PM IST

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