130 करोड़ की पीओएस मशीनों का 731 करोड़ रुपए किराया चुकाया

731 crore rent paid for POS machines worth 130 crores
130 करोड़ की पीओएस मशीनों का 731 करोड़ रुपए किराया चुकाया
आए दिन ठप 130 करोड़ की पीओएस मशीनों का 731 करोड़ रुपए किराया चुकाया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्ष 2017 से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्य की कुल 52548 राशन दुकानों में 52548 पीओएस मशीन के जरिए राशन वितरण की व्यवस्था की गई है। यह पीओएस मशीन आए दिन ठप हो जाती है। कारण जो भी हो? इस पीओएस मशीन की बाजार में कीमत प्रति मशीन न्यूनतम 4500 रुपए से अधिकतम 24,800 रुपए है। राज्य में तीन कंपनियों को पीओएस मशीन भाड़े पर उपलब्ध कराने के लिए अनुबंधित किया गया है। इनमें ओएसिस, इंटिग्रा व विजन टेक नामक कंपनियों का समावेश है। इन कंपनियों को मशीन का भाड़ा प्रति 100 किलो अनाज के वितरण पर 23 रुपए की दर से अदा किया जाता है। 

अधिकतम 24,800 रुपए की दर से 52548 पीओएस मशीन की कुल कीमत 130 करोड़ 31 लाख 90 हजार 400 रुपए होती है। अाधिकारिक जानकारी के मुताबिक, दिसंबर-2021 में राज्य की 52,548 दुकानों के जरिए 23 करोड़ 60 लाख 60 हजार 997 किलो चावल व 29 करोड़ 40 लाख 57 हजार 420 किलो गेहूं का वितरण किया गया। इस प्रकार कुल 53 करोड़ 1 लाख 18 हजार 417 किलो अनाज का वितरण करने पर पीओएस मशीन उपलब्ध कराने वाली कंपनियों को दिसंबर माह में मशीन का कुल भाड़ा 12 करोड़ 19 लाख 27 हजार 232 रुपए अदा किया गया।  इस हिसाब से एक साल में मशीन का भाड़ा 146 करोड़ 31 लाख 26 हजार 784 रुपए व 5 साल में 731 करोड़ 56 लाख 33 हजार 920 रुपए चुकाया जा चुका है। इस तरह सार्वजनिक वितरण प्रणाली में दुकानदारों द्वारा राशन चोरी पर अंकुश लगाने पर राज्य शासन को अब तक 731.56 करोड़ का चूना लग गया है।

फिर भी मशीन ठप : लंबे समय से तकनीकी खराबी की वजह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली लड़खड़ा रही है। ब्योरा डिलीट होने की वजह से पीआेएस मशीन नाकारा साबित हो रही है और खामियाजा राशन कार्ड धारकों को भुगतना पड़ रहा है। अनेक राशनकार्ड धारक दुकानों से बैरंग लाैट रहे हैं। सर्वाधिक परेशानी उन लोगों को हो रही जो अकेले रहते हैं, बूढ़े हैं, बीमार हैं अथवा हाथों में बीमारी की वजह से अंगुलियों के निशान पीओएस मशीन में अंकित नहीं हो पाते। ऐसे लोगों को राशन दुकानों से अनाज नहीं मिल रहा। अधिकारी यह दावा तो कर रहे कि ऐसे लोगों को अनाज वितरण के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है तथा क्षेत्रीय अन्न निरीक्षक के सत्यापन के पश्चात इन लोगों को अनाज का वितरण किया जाता है। दुकानदारों के मुताबिक इस प्रकार शहर में किसी एक पीड़ित को भी अब तक अनाज नहीं दिया गया है। इस प्रकार अनाज वितरण का ब्योरा भी अन्न आपूर्ति विभाग उपलब्ध नहीं करा पाया है।

प्रति क्विंटल अनाज पर 23 रुपए भाड़ा देने के पीछे का राज

राशन दुकानदारों द्वारा अनाज चोरी पर रोक लगाने के नाम पर सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के सूत्रधारों द्वारा भ्रष्टाचार का नया तरीका इजाद कर लिया गया है। पीओएस मशीन सरकार स्वयं लगाती तो कदाचित इसकी कीमत प्रति मशीन अधिकतम 5000 होती। इस प्रकार 52548 मशीन पर कुल 26 करोड़ 27 लाख 40 हजार रुपए ही खर्च करने पड़ते और यह मशीन सरकारी संपत्ति बन जाती। मशीन को भाड़े पर लेकर प्रति क्विंटल 23 रुपए की दर से भाड़ा अदा करने के पीछे सूत्रधारों का अपना स्वार्थ छिपा है। चर्चा है कि भाड़े के रूप में प्रति क्विंटल महज 10 रुपए ही अनुबंधित कंपनी के हाथ लगते हैं। इसके बावजूद यह कंपनियां मुनाफे में हैं। शेष प्रति क्विंटल 13 रुपए की बंदरबांट उन सूत्रधारों में होती है, जिन्होंने पीओएस मशीन का नुस्खा इजाद किया है।

 

Created On :   5 Jan 2022 3:13 PM IST

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