10 दिन में जले 75 शव, रिकॉर्ड में सिर्फ 16 मौतें

75 dead bodies burnt in 10 days, only 16 deaths in record
10 दिन में जले 75 शव, रिकॉर्ड में सिर्फ 16 मौतें
10 दिन में जले 75 शव, रिकॉर्ड में सिर्फ 16 मौतें

सोमवार को ही कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया 18 लोगों का अंतिम संस्कार, हैल्थ रिकॉर्ड में दर्ज मिली सिर्फ 1 मौत, हर तरफ एक ही सवाल कि क्यों  छिपाया जा रहा आँकड़ा...
पकोविड संक्रमितों के लिए रिजर्व चौहानी श्मशान घाट में पिछले 10 दिन में 75 शवों का अंतिम संस्कार कोरोना गाइडलाइन के तहत किया गया। इनमें 90त्न मृतक जबलपुर के रहे। जबकि स्वास्थ्य ने इन 10 दिनों में कोविड से सिर्फ 16 मौतों की जानकारी सार्वजनिक की है। पड़ताल में यह बात भी सामने आई कि अकेले सोमवार को ही चौहानी मुक्तिधाम में 18 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत कराया गया। दोपहर करीब 12.30 बजे हालात यह रहे कि मुक्तिधाम में ऊपर व एम्बुलेंस के सामने मिलाकर पाँच शव जलते दिख रहे थे। एक शव एम्बुलेंस ने नीचे उतारा जा रहा था, वहीं जगह के अभाव में संस्कार के लिए कुछ शव शेड से अलग फर्श पर ही रखे हुए थे, लेकिन शाम को हैल्थ बुलेटिन में सिर्फ 1 मौत ही बताई गई। ये हालात लोगों को हैरान कर रहे हैं। सभी के मन में यही सवाल आ रहे हैं कि आखिर मौतों पर पर्दा क्यों डाला जा रहा है? 

डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोविड-19 के शुरुआती दिनों में ही चौहानी श्मशान घाट को कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार के लिए रिजर्व कर दिया गया था। वैसे गुप्तेश्वर स्थित इलेक्ट्रिक शव दाह गृह, बिलहरी और रानीताल   कब्रिस्तान में भी संक्रमितों की अंत्येष्टि की जाती है लेकिन वहाँ के आँकड़े बेहद सीमित हैं। मेडिकल से नजदीक चौहानी में जलाए गए शवों को सरकारी रिकॉर्ड में तकरीबन 5 गुना कम करके दिखाया जा रहा है, अगर अकेले जबलपुर की बात की जाए तो हकीकत और सरकारी आँकड़ों में जमीन आसमान का फर्क आ रहा है। 
अकेले मार्च में 68 का संस्कार
हैल्थ बुलेटिन और श्माशान में दर्ज मौतों का अंतर पिछले महीने भी रहा। इससे साफ जाहिर है कि संक्रमितों की मौत के आँकड़ों को छिपाने का खेल काफी दिनों से चल रहा है। मार्च में कुल 68 शवों का अंतिम संस्कार हुआ, स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में इसी अवधि में सिर्फ 15 संक्रमितों की मौत दर्ज की गई है। 
सहयोग नहीं मिलता 
 मोक्ष संस्था के सदस्यों का कहना है कि मरीजों और उनके परिजनों के प्रति मानवीय संवेदनाओं के चलते हम सेवाएँ दे रहे हैं। इसके बाद भी प्रशासन से वह सहयोग नहीं मिलता, जिसकी अपेक्षा की जाती है। हम अपना कार्य जारी रखेंगे। 
इनका कहना है
* जिला प्रशासन द्वारा मेडिकल टीम गठित की गई है। मृतकों का डेथ ऑडिट होता है। भले ही मौत की वजह दूसरी हो लेकिन प्रोटोकॉल हर संदिग्ध मामले में भी अपनाया जाता है।
 कर्मवीर शर्मा, कलेक्टर
* कोराना संक्रमित के अलावा कोरोना संदिग्धों का अंतिम संस्कार भी एक साथ किया जा रहा है। इनमें अन्य जिलों से उपचार कराने आए और फिर मृत होने वाले मरीज भी शामिल हैं। इसी के चलते मौतों के आँकड़ों में फर्क नजर आ रहा है। 
-डॉ. रत्नेश कुरारिया, सीएमएचओ  

Created On :   6 April 2021 2:11 PM IST

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