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शहडोल में 8 बच्चों की मौत का मामला - केस फाइल सीज, पहली जांच रिपोर्ट में डॉक्टरों को क्लीन चिट
कहा-रेफर के बाद भी परिजनों ने जबलपुर जाने से मना किया
* जबलपुर मेडिकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टरों की टीम ने जांच रिपोर्ट आयुक्त को भेजी
* रीवा से डिप्टी डायरेक्टर-असिस्टेंट प्रोफेसर की दूसरी टीम पहुंची जांच करने, जल्द ही एनएचएम की भी टीम जाएगी
*जिला अस्पताल में शिशु रोग का एकमात्र डॉक्टर ही कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एक माह से छुट्टी पर, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर कर रहे थे इलाज
*जहां एसएनसीयू-पीआईसीयू में भर्ती थे बच्चे, वहां ही आठ पद खाली
डिजिटल डेस्क भोपाल/ शहडोल । शहडोल में जिन आठ नवजात बच्चों की मौत हुई है, उनके इलाज से जुड़ी केस फाइल को सीज कर लिया गया है। इसकी पड़ताल शासन स्तर पर होगी। इस बीच सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के सीनियर डॉक्टरों डॉ. पवन घनघोरिया और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अखिलेंद्र सिंह परिहार की टीम ने अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल को भेज दी है। डॉ. गोयल ने इसे नेशनल हैल्थ मिशन की एमडी छवि भारद्वाज के सुपुर्द किया है। इस रिपोर्ट में डॉक्टरों को क्लीन चिट देने के साथ ही कहा गया है कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उन्हें जबलपुर रेफर किया गया था, लेकिन उनके परिजनों ने ले जाने से मना कर दिया। डॉक्टरों ने इलाज में कोई कमी नहीं की। इसमें यह भी कहा गया है कि स्टॉफ और नर्स की कमी के साथ ही नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) और बाल गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में आठ पद रिक्त हैं। जिला अस्पताल में शिशु रोग का एकमात्र डॉक्टर सुनील हथगेल ही कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एक माह से छुट्?टी पर हैं। संबद्ध मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ही कर रहे हैं। मृतक बच्चों के परिजनों ने कहा है कि शहडोल से उमरिया होते हुए जबलपुर का रास्ता उमरिया तक खराब है। जाने में छह घंटे लगते हैं। इसलिए उन्होंने शहडोल में ही इलाज कराने की बात की। डॉ. घनघोरिया ने और वेंटीलेटर लेने, फायर एग्जिट ठीक करने के साथ स्टॉफ की कमी का जिक्र किया है।
इधर, जबलपुर के बाद रीवा से डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एनपी पाठक और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शब्द सिंह यादव व आरएम एंड सीएच के समन्वयक अभय पांडेय की एक टीम बुधवार को जांच के लिए शहडोल पहुंची है। इस टीम ने भी इसी तरह की कमियां बताई है। जल्द ही एनएचएम भोपाल से एक टीम शहडोल भेजने की तैयारी कर रहा है।
गोयल ने कलेक्टर-सीएमएचओ से बात की
स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. गोयल ने बुधवार को कलेक्टर सतेंद्र सिंह और सीएमएचओ डॉ. राजेश पांडे से बात की। साथ ही कहा कि डॉक्टरों की कमी है तो तुरंत बताएं। इस पर बताया गया कि शहडोल मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग के छह डॉक्टर मदद कर रहे हैं। गोयल ने कहा कि प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक डॉक्टरों ने इलाज में कोई कमी नहीं की है। जबलपुर के डॉक्टरों ने उसे देखा है। इसके बाद भी जितनी जरूरत बताई जाएगी, शासन पूरी करेगा।
आधे लोग ही काम कर रहे
एसएनसीयू और पीआईसीयू में बीस बैड हैं, जिसमें 14 लोगों की पोस्ट है। सिर्फ छह ही काम कर रहे हैं। आठ पद रिक्त हैं। यह जानकारी शासन को दे दी है। जहां तक डॉक्टरों का सवाल है तो मेडिकल कॉलेज के दो असिस्टेंट प्रोफेसर और चार रेजीडेंट डॉक्टर सहयोग कर रहे हैं।
हर रोज हुई एक बच्चे की मौत
जिला चिकित्सालय में औसतन हर दिन एक बच्चे की मौत हुई है। नवंबर में एसएनसीयू में 190 बच्चे भर्ती हुए, जिसमें से 24 की मौत हुई है। इसी तरह पीआईसीयू में सात बच्चों का निधन हुआ। आठ बच्चों की मौत तो हाल ही में 6 दिन के भीतर हुई है। अस्पताल के 8 में से 7 शिशुरोग चिकित्सकों के पद खाली हैं। व्यवस्था के नाम पर मेडिकल कॉलेज के मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. निशांत प्रभाकर को एसएनसीयू एवं पीआईसीयू का प्रभारी बना रखा है और इनके साथ मेडिकल कॉलेज के ही 4 सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर्स व एक कंसलटेंट डॉक्टर को अटैच कर रखा है।
Created On :   3 Dec 2020 1:51 PM IST