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तीस नर्सरियों में तैयार हो रहे हैं 89 लाख पौधे
डिजिटल डेस्क, सिवनी। सिवनी वन वृत्त की 30 नर्सरियों में 89 लाख पौधे तैयार किए जा रहे हैं। ये जिले समेत आसपास के इलाकों में हरियाली बढ़ाएंगे। इनका रोपण बारिश की शुरुआत के साथ किया जाएगा। जिले में सागौन के अलावा दूसरी प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं।
बता दें कि सिवनी जिले में नान्हीकन्हार, खैरी, बामनदेही, धूमा बंजारी आदि मुख्य नर्सरी है। इसके अलावा दूधिया, केवलारी सोनखार समेत 30 नर्सरी है। ये सभी वन विभाग के अतंर्गत सामाजिक वानिकी की नर्सरी है। इनमें पौधों को तैयार किया जा रहा है।
वन विभाग लगाएगा पौधा-
इन नर्सरियों में तैयारिया किए जा रहे पौधे वन विभाग अपने-अपने जंगलों में लगाएगा। बचे पौधे निजी, सामाजिक संस्थाएं, अन्य शासकीय विभाग, एजेंसियां, किसान और इच्छुक लोगों को बेचे जाएंगे। संभावित मांग के अनुरुप हर वर्ष इतने पौधे तैयार किए जाते हैं। सामाजिक वानिकी को इसके लिए बजट मिलता है। इसके अलावा पंचायतें, एनजीओ आदि भी पौधे खरीदते हैं। सामाजिक वानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सभी की संभावित जरुरतों को देखते हुए पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
इन प्रजातियों को कर रहे हैं तैयार-
अधिकारियों ने बताया कि जिले में सागौन, बांस, आंवला, साजा, बहेड़ा, अचार, महुआ, नीम, बहेड़ा, बड़ आदि प्रजातियों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
लगाए जाएंगे चंदन के पौधे-
जिले में चंदन का पौधरोपण कराया जाएगा। वन विभाग ने चंदन पौधरोपण के लिए कैम्पा से तीन करोड़ चार लाख रुपए मांगे हैं। इस वर्ष प्रदेश के चार जिले में जिनमें सिवनी भी शामिल है, कुल 200 हेक्टेयर में एक करोड़ 56 लाख रुपए का चंदन रौपा जाएगा। मप्र में सिवनी के अलावा सागर, नीमच और उज्जैन जिलों में चंदन के पौधे पाये जाते हैं। चंदन की महत्वता को देखते हुए वर्ष 2022-23 में छोटे पैमाने पर चंदन पौधरोपण का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। इस कार्य को आगामी वर्षों में वृहद स्तर पर लिया जाएगा। उत्तर सिवनी के शिकारा में 30 हेक्टेयर में 34.35 लाख, कहानी में 10 हेक्टेयर में 11.45 लाख रुपए, घंसौर में 40 हेक्टेयर में 45.80 लाख रुपए और दक्षिण सागर के काछपिपरिया में 44 हेक्टेयर में 60 लाख रुपए में पौधरोपण कराया जाएगा।
हर साल होता है पौधरोपण-
जिले में हर साल बड़ी मात्रा में पौधरोपण किया जाता है। नमामि देवी नर्मदे अभियान के दौरान भी जिले में नदी के किनारे करोड़ों की संख्या में पौधरोपण किया गया था। आज की स्थिति में इनमें से काफी कम ही पौधे शेष हैं। इसके अलावा गर्मी के दिनों में जंगलों की आग में बड़ी मात्रा में पौधरोपण नष्ट हो जाता है। जरूरी है कि पौधरोपण के साथ-साथ इन्हें लंबे समय तक बचाए जाने के प्रयास किए जाएं।
नदियों किनारे हो पौधरोपण-
जिले में तकरीबन एक दर्जन नदियों का उद्गम स्थल है जिसमें वैनगंगा सहित दूसरी नदियां शामिल हैं। वैनगंगा सहित दूसरी नदियां बारिश खत्म होने के साथ ही सूखना शुरु हो जाती हैं। अपने उद्गम से मात्र 20-30 किमी दूरी पर लखनवाड़ा तट में ही वैनगंगा बारिश खत्म होने के साथ ही सूखने लग जाती है। जनवरी में होने वाले संक्राति स्नान के लिए पेंच नदी के जल से इसके कुंड भरे जाते हैं। कुछ यही हाल दूसरी नदियों का है। दरअसल इसका कारण नदियों के किनारों पर पौधरोपण का न होना है। नदियों के किनारों पर पौधरोपण की खासी जरूरत है। इस साल पारा भी 40 के पार मार्च के आखिरी दिनों से चल रहा है। ऐसे में जरूरी है कि पौधरोपण को एक आंदोलन की तर्ज पर चलाया जाए। सिर्फ पौधरोपण नहीं बल्कि उन्हें लंबे समय तक देखरेख के लिए प्रयास किए जाएं। नहीं तो स्थिति चंदन वन आमागढ़ की तरह हो जाएगी जहां आज चंदन के पौधे खोजने पर भी नहीं मिलते।
एसएस उद्दे, (सीसीएफ सिवनी) इनका कहना है कि जंगलों की जरुरतों व निजी क्षेत्रों में लोगों की मांग को देखते हुए भोपाल क्षेत्र की 17 नर्सरियों में 70 लाख पौधे तैयार कर रहे हैं। ऐसी प्रजातियों को भी शामिल किया है जो कम मिलती है या मिलती ही नही हैं।
Created On :   12 May 2022 3:12 PM IST