खदान में डूबने से 31 वर्षीय महिला की हुई मौत, दस दिन के भीतर दूसरी घटना

A 31 year old woman died due to drowning in a mining water pit
खदान में डूबने से 31 वर्षीय महिला की हुई मौत, दस दिन के भीतर दूसरी घटना
खदान में डूबने से 31 वर्षीय महिला की हुई मौत, दस दिन के भीतर दूसरी घटना

डिजिटल डेस्क, कैमोर/कटनी। कैमोर क्षेत्र में बंद पड़ी खदानों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने के कारण लोगों की जानें जा रही हैं। कई हादसे होने के बाद भी प्रशासनिक अमले के कानोंं में जूं नहीं रेंग रही। जिम्मेदार अमले की उदासीनता के कारण संचालक खदानों को खुली छोड़ देते हैं, जिसके कारण लोगों की मौतें हो रही हैं। जून माह के शुरुआत में ही दस दिन के भीतर 18 वर्षीय युवक की अमेहटा स्थित खदान में डूबने से मौत के बाद एक बार फिर मंगलवार की सुबह एक महिला की लाश खदान में तैरती देखी गई।

10 जून को हुई थी लापता
खदान में मिली लाश घटना के संबंध में हासिल जानकारी अनुसार अमेहटा निवासी आशा बाई बर्मन 10 जून को रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थी। काफी पतासाजी के बाद भी जब उसका सुराग नहीं लगा तो पति मनोज बर्मन ने थाने में सूचना दर्ज कराई थी। पुलिस लापता हुई महिला की तलाश कर रही थी, इसी दरम्यिान मंगलवार की सुबह लोगों ने खदान में उसकी लाश को तैरते देखा। सूचना देने पर डॉयल 100 को दी गई जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और स्थानीय लोगों की सहायता से लाश को खदान से बाहर निकलवा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। जिस खदान में डूबने से महिला की मौत हुई है वह मदन ग्रोवर नामक व्यवसायी की बताई जा रही है जो बंद पड़ी है।

माह में दूसरी घटना से पनप रहा आक्रोश
गौरतलब है कि अमेहटा स्थित खदान में ही नन्हवारा निवासी युवक की डूबने से मौत का मामला भी प्रकाश में आया था। 3 जून को नन्हवारा निवासी राकेश गुप्ता पिता बालमुकुंद गुप्ता उम्र 18 वर्ष अपने साथियों के साथ नहाने के लिए खदान में गया था जहां वह डूब गया था। तीन दिन बाद काफी प्रयासोंं के बाद पुलिस द्वारा उसकी लाश बरामद करने में सफता हासिल की गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि बंद पड़ी खदानों को मालिकों द्वारा सुरक्षित नहीं किया जिसकी वजह से लोगों की मौतें हो रही हैं।

बनी रहती है खतरों की संभावना
बताया जा रहा है कि क्षेत्र में दर्जनों खदानें हैं जो वर्षों से बंद पड़ी हैं, लेकिन खदान संचालकों द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से कोई व्यवस्था नहीं कराई गई। इसी लापरवाही का खामियाजा लोगों को जान देकर भुगतना पड़ रहा है। असुरक्षित खदानें हादसों को न्यौता दे रही हैं और कई वारदातें भी सामने आ चुकी हैं ,बावजूद प्रशासनिक अमला इस मामले में गंभीरता नहीं बरत रहे हैं। वहीं ग्रामीण खतरों की संभावनाओं को लेकर भयभी रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों, मवेशियों के गिरने का डर हमेशा रहता है।

जानेलवा साबित हो रही खदान संचालकों की लापरवाही
ग्रामीणों ने बताया कि इन दो घटनाओं के पूर्व भी 3 लोगों की मौतें खदान में डूबने से हो चुकी हैं। जून माह में ही यह दूसरी घटना है जिससे लोगों में दहशत और आक्रोश दोनों पनप रहे हैं। नियमानुसार खदान के बंद होने के बाद या तो खदान की भराई कराना चाहिए या खदान के चारों तरफ तार फेनसिंग कराना चाहिए, लेकिन लापरवाही पूर्वक संचालक खदान को खुली ही छोड़ रहे हैं। खदान मालिकों द्वारा कायदे-कानून ताक में रखे जा रहे हैं जिसका नतीजा यह है कि खदानें लोगों के लिए मौत का कुआं बन रही हैं, किंतु प्रशासन सख्त कार्रवाई करने से मुंह चुराने की भूमिका ही निभा रहा है।

समस्या जाहिर करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि यहां मवेशियों, बच्चों के गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है। फिलहाल मृतिका आशा बाई के शव का परीक्षण कराने उपरांत पुलिस ने मर्ग प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया है। पुलिस की मानें तो मृतिका के पति ने बयान दिया है कि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त रहती थी और उसने आत्महत्या की है।

इनका कहना है
खदान के आस-पास कोई आम रास्ता नहीं है, महिला बिना बताए घर से निकली थी जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि उसने खदान में कूदकर आत्महत्या की है। मामले की विवेचना की जा रही है जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
राजेश तिवारी, थाना प्रभारी, कैमोर

 

Created On :   13 Jun 2018 9:02 AM GMT

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