कर्जदार के दरवाजे पर करवा दिया लाउड स्पीकर से कर्ज लौटाने का ऐलान, आहत होकर कर लिया सुसाइड

A debtor committed suicide by hanging, feeling self humiliation
कर्जदार के दरवाजे पर करवा दिया लाउड स्पीकर से कर्ज लौटाने का ऐलान, आहत होकर कर लिया सुसाइड
कर्जदार के दरवाजे पर करवा दिया लाउड स्पीकर से कर्ज लौटाने का ऐलान, आहत होकर कर लिया सुसाइड

डिजिटल डेस्क, भंडारा। पतसंस्था द्वारा कर्ज वसूली के लिए कर्जधारक के दरवाजे पर रिक्शा लगाकर लाऊड स्पीकर पर उसके नाम का ऐलान किए जाने के कारण स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे कर्जधारक ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। दूसरी ओर आत्महत्या से पूर्व लिखे सुसाइड नोट में उपरोक्त बात स्पष्ट होने के बावजूद पुलिस बीमारी को उसकी आत्महत्या का कारण दर्शाने पर तुली हुई है, जिससे इस मामले में पुलिस की भूमिका संदेह के दायरे में आ गई है।

घटना विद्यानगर की बतायी जाती है। बकाया कर्ज की वापसी के लिए दी जा रही प्रताड़ना और संस्था के मैनेजर के अपमानास्पद बर्ताव से तंग आकर नागवेंद्र उर्फ राजू सूर्यनारायण राव(45) ने अपने घर में फांसी लगा ली। मृत्यु से पूर्व उसने अपने सुसाइड नोट में उपरोक्त कारण भी लिखा। विद्या नगर निवासी राजू राव बेला स्थित मॉडल एजेन्सी में कार्यरत था। राजू ने स्थानीय श्री नरकेसरी नागरी सहकारी पतसंस्था से कर्ज ले रखा था। इस दौरान उसे मुख कैंसर हो गया और उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई। इसी कारण वह पतसंस्था के कर्ज की किश्त भरने में असमर्थ हो गया और उस पर ब्याज चढ़ता चला गया जिससे कर्ज की राशि करीब 70 हजार तक पहुंच गई। मुख कैंसर के साथ ही आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे राजू की स्थिति गंभीर होते हुए भी पतसंस्था ने उसके घर पर एक महिला कर्मचारी को वसूली के लिए भेजना शुरू किया जो उसे रु. जमा न करने पर कार्रवाई करने की धमकियां देने लगी। 

पतसंस्था ने कर्ज वसूली के लिए क्रूरता की सारी हदें लांघते हुए राव के घर के समक्ष रिक्शा खड़ा कर उसके नाम की घोषणा करते हुए कर्ज भरने की चेतावनी देनी शुरू कर दी। इस बात की जानकारी मिलते ही राजू घर  लौटा और संबंधितों को घोषणा करने से मना कर रिक्शा हटाने का अनुरोध किया किंतु पतसंस्था के कर्मियों ने इसे कार्रवाई का हिस्सा बताते हुए रिक्शा हटाने से इनकार कर दिया। इस बात का राजू को गहरा सदमा लगा और उसने बाजार जाकर रस्सी खरीदी। दोपहर करीब 3 बजे जब घर पर कोई नहींं था, राजू ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब उसकी पत्नी घर पर लौटी तो उसे राजू का शव फांसी पर लटका नजर आया। उसने तुरंत आसपास के लोगों को इकट्ठा किया। पतसंस्था संचालकों को जब राजू की आत्महत्या की बात पता चली तो उन्होंने तुरंत उसके दरवाजे से रिक्शा हटवा दिया। घटना के बाद पुलिस इस घटना को राजू के कैंसर की बीमारी से जोड़ रही है जिस कारण पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।

पुलिस कर रही गुमराह
राव की आत्महत्या को लेकर पुलिस लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है, इस आशय की चर्चा है। बताया जाता है कि, सुसाइड नोट में साफ तौर पर आत्महत्या का कारण लिखा है फिर भी पुलिस इसे बीमारी से त्रस्त होकर आत्महत्या  करार दे रही है। पुलिस का कहना है कि, यह सुसाइड नोट राजू राव ने नहीं बल्कि किसी और ने लिखकर उसकी जेब में डाल दिया होगा।

सुसाइड नोट मेंं लिखा है कारण
राजू राव ने आत्महत्या से पूर्व चार पन्नोंं का सुसाइड नोट लिखा है जिसके दो पन्नों में उसने अपने पत्नी व बच्ची से माफी मांगते हुए लिखा है कि वह उन्हें अच्छा जीवन नहीं दे पाया। आगे के पन्नों में उसने लिखा है कि, संस्था द्वारा नियुक्त महिला कर्मचारी उसके परिवार के साथ वसूली के लिए अपमानजनक व्यवहार कर रही थी जिससे तंंग आकर वह यह कदम उठा रहा है।

Created On :   16 Jun 2018 10:50 AM GMT

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