एक व्यक्ति ने एक साथ खींची 7 बैलगाड़ियां, आधे घंटे में 1 कि.मी की दूरी तय की

A man pulled 7 bullock carts together, covered a distance of 1 km in half an hour
एक व्यक्ति ने एक साथ खींची 7 बैलगाड़ियां, आधे घंटे में 1 कि.मी की दूरी तय की
परंपरा एक व्यक्ति ने एक साथ खींची 7 बैलगाड़ियां, आधे घंटे में 1 कि.मी की दूरी तय की

डिजिटल डेस्क, अंजनगांवसुर्जी(अमरावती)। अंजनगांवसुर्जी तहसील के चौसाला में अनेक वर्षों से बैलगाड़ी खींचने की परंपरा बरकरार है। कोजागिरी पूर्णिमा से गाडपगाड यानी बैलगाड़ी खींचने का उत्सव मनाया जाता है। पूर्णिमा के दूसरे दिन पूरे गांव को महाप्रसाद वितरित किया जाता है। अनेक वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को ग्रामवासियों ने बरकरार रखा।  एक ही व्यक्ति ने सात बैलगाड़ियां खींची और आधे घंटे में एक किलोमीटर की दूरी तय की। गांव के निमखेड़ बाजार मार्ग से बैलगाड़ी खींचने की शुरुआत होती है। इस मार्ग के मेसूमाय मंदिर, मारोती मंदिर तक की दूरी पार करते हुए गांव के मरीमाय मंदिर तक बैलगाड़ी खींचने का मार्ग समाप्त हो जाता है। बैलगाड़ी खींचनेवाला व्यक्ति एक ही होता है। दशहरे के दिन से पांच दिनों तक व्रत रखा जाता है तथा गांव में मोर पंख को हर घर में घुमाया जाता है। जो व्यक्ति मोर पंख लेकर ग्रामवासियों के घर पहंुचता है, उसकी पूजा की जाती है।

प्रमोद कालमेघ को मिला सम्मान : प्राचीनकाल से लोहे के आकोडे बैलगाड़ी को लगाकर वह आकोडे बैलगाड़ी खींचनेवाले व्यक्ति के कमर पर लटकाए जाते हैं। इस वर्ष 7 बैलगाड़ी खींची गई। प्राचीनकाल में कभी 21 तो कभी 11 बैलगाड़ी भी खींची गई है, ऐसा यहां के बुजूर्ग बताते हैं। इस वर्ष बैलगाड़ी खींचने का सम्मान प्रमोद उर्फ विट्‌ठल दादाराव कालमेघ को मिला। प्राचीनकाल से चली आ रही यह परंपरा आज भी चौसालावासी बड़े उत्साह से निभा रहे हैं।

 

Created On :   22 Oct 2021 7:18 AM GMT

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