वर्षों के संघर्ष के बाद एक मुंबईकर ने बदली त्रिपुरा की सियासी तस्वीर

A Mumbaikar who changed political scenario of Tripura after years
वर्षों के संघर्ष के बाद एक मुंबईकर ने बदली त्रिपुरा की सियासी तस्वीर
वर्षों के संघर्ष के बाद एक मुंबईकर ने बदली त्रिपुरा की सियासी तस्वीर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विजय सिंह ‘कौशिक’। पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में भाजपा को मिली एतिहासिक जीत से एक मुंबईकर अचानक चर्चा में आ गया है। हालांकि पार्टी को यह सफलता अचानक नहीं मिली है बल्कि इसके लिए वर्षों संघर्ष करना पड़ा है। भाजपा कि इस जीत के पीछे मुंबई में जन्मे सुनील देवधर और उनकी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। देवधर की संस्था माय होम इंडिया द्वारा इस इलाके में सालों से किए जा रहे कार्यों से भी भाजपा को मदद मिली है। 25 सालों से एकछत्र राज कर रही लेफ्ट की माणिक सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका और यह काम उस पार्टी ने किया जिसे पिछले विधानसभा चुनाव में डेढ़ फीसदी वोट भी नहीं मिले थे। पार्टी का एक विधायक तक नहीं जीता था। मोदी लहर के बावजूद पिछले लोकसभा चुनाव में यहां की दोनों सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। 

पूर्वोत्तर में भगवा पार्टी से चर्चा में हैं देवधर

त्रिपुरा में 1993 से सीपीएम की सरकार थी। पिछले 20 साल से माणिक सरकार मुख्यमंत्री रहे। वह ऐसा दौर था जब भाजपा को राज्य में कार्यकर्ता ही नहीं मिल रहे थे। उस दौर में पार्टी प्रमुख अमित शाह ने सालों से पूर्वोत्तर के राज्यों में काम कर रहे मुंबई निवासी संघ प्रचार सुनील देवधर को त्रिपुरा का प्रभारी नियुक्त किया। उस वक्त देवधर को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने महाराष्ट्र का सूबेदार कहा था। करीब तीन साल पहले देवधर ने त्रिपुरा में काम शुरू किया। उन्होंने माणिक सरकार के 25 सालों के कार्यकाल के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार को जनता के सामने रखा। इस दौरान वहां 11 भाजपा कार्यकर्ताओें की हत्या कर दी गई। इन तीन साल में देवधर ने सभी 60 विधानसभा सीटों का दौरा किया, उनका खास जोर ग्रामीण इलाकों पर रहा। उन्होंने स्थानीय भाषा सीखी और स्थानीय भाषा में भाषण देना शुरु किया। देवधर कहते हैं कि स्थानीय जनता का विश्वास जीतने के लिए यहां की भाषा आना भी जरूरी था। इसलिए यहां की भाषा सीखी। त्रिपुरा में भाजपा की जीत पक्की करने के लिए करीब 30 हज़ार युवाओं को चुनाव प्रचार में लगाया गया। चुनावों से ठीक पहले दूसरे दलों के कई नेताओं और विधायकों को भाजपा में शामिल कराया।

‘माय होम इंडिया’ से जीता विश्वास

दरअसल पूर्वोत्तर के लोग खुद को देश के अन्य हिस्सो से जोड़ नहीं पाते और शेष भारत के लोगों का नजरिया भी नार्थ ईस्ट के लोगों को लेकर कुछ अच्छा नहीं होता है। इस स्थिति में बदलाव के लिए देवधर ने वर्ष 2005 में ‘माय होम इंडिया’ नाम से एक संस्था का गठन किया। संस्था पूर्वोत्तर के युवाओं को मुंबई लाती और महानगर सहित महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में लोगों के घरों में उन्हें ठहराया जाता। इसी तरह शेष भारत के लोगों को भी पूर्वोत्तर में वहां के स्थानीय निवासियों के साथ रहने का मौका दिया जाता है।

देहव्यापार की दलदल से बाहर निकाला

माय होम इंडिया ने मानव तस्करी की शिकार पूर्वोत्तर की हजारों लड़कियों को देह व्यापार के दलदल से बाहर निकाल कर उनके घरों तक पहुंचाने का कार्य किया है। महाराष्ट्र में जन्में देवधर हैं तो मराठी, लेकिन फर्राटेदार बंगाली के साथ-साथ कई और भाषाओं के जानकार हैं। वे लंबे समय से पूर्वोत्तर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं। पूर्वोत्तर के गांव-गांव में देवधर कि इस संस्था के कार्यों की चर्चा होती है। वहां के लोगों का विश्वास जीतने में इस संस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

Created On :   4 March 2018 8:32 AM GMT

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