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जीवन में नया रंग भर देती है छोटी सी पहल....
डिजिटल डेस्क, नागपुर। छोटी सी पहल से बड़ा सुकून मिलता है इसलिए कुछ लोग अपनी व्यस्त जीवन शैली से भी सामाजिक कार्यों के लिए न सिर्फ समय निकाल लेते हैं, बल्कि उससे लोगों को जोड़ कर विभिन्न मामलों के हल निकालने के प्रयास में भी पीछे नहीं रहते हैं। शहर में कुछ सेवानिवृत्त लोगों का अलग-अलग समूह है। यह समूह अपने समय का सदुपयोग करते हुए समाजसेवा में प्रदूषण की रोकथाम के लिए जगह-जगह पौधे लगाता है। कुछ लोग हैं सड़कों पर गायों और श्वानों को रोज खाना खिलाते नजर आते हैं, वहीं कुछ ऐसी शिक्षिकाएं हैं, जो गरीब बच्चों को पढ़ाते हुए उनका जीवन संवारने का काम कर रही हैं। इन लोगों का कहना है कि हमारी पहल छोटी है, पर सुकून बड़ा मिलता है।
चिड़ियों की चहचहाहट से प्रसन्न रहता है मन
निहारिका मेश्राम को चिड़िया अच्छी लगती हैं। उन्होंने बताया कि वॉक के दौरान चिड़ियों की चहचहाहट से मन खुश हो जाता है। उन्होंने गर्मी के मौसम में चिड़ियों के लिए दाना-पानी की कमी को महसूस कर इस दिशा में कुछ करने का निश्चय किया। चार दोस्तों ने ग्रुप तय किया कि गर्मी के मौसम में चिड़ियों के लिए दाना-पानी का इंतजाम करेंगी। अब चारों दोस्त गर्मी के मौसम में विभिन्न पार्कों में चिड़ियों के लिए दाना-पानी रखने का काम करती हैं।
विभिन्न मामलों को उठाने में तत्पर
नागपुर में फिलहाल भारत नगर चौक से अमरावती रोड स्थित महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण तक प्रस्तावित सड़क निर्माण के खिलाफ भारत नगर के निवासी अभियान चला रहे हैं। कालोनी के लोग सड़क के लिए सैकड़ों हरे पेड़ों के काटे जाने के खिलाफ हैं। चाहे पर्यावरण का मुद्दा हो या खराब सड़कों का, पानी की बर्बादी या गंदगी का, सजग नागरिक इन मुद्दों को उठाने और सबके ध्यान में लाने के लिए तत्पर नजर आते हैं। नागरिकों के इन समूहों में सेवानिवृत्त बुजुर्ग, जोशिले युवा, गृहणियां और सजग नागरिक शामिल हैं।
शहर में जगह-जगह लगाते हैं पौधे
शहर में कई स्थानों पर पेड़ लगाने के काम में जुटे गजानन पोफली के समूह में कई सेवानिवृत्त लोग शामिल हैं। समूह हर रविवार को शहर में जगह-जगह पौधे लगाने का काम करता है। गजानन के अनुसार हर चीज के लिए दूसरों के भरोसे रहना कहां तक ठीक है। हम कुछ दोस्त मिलकर यह काम करते हैं। इससे हमें कुछ अच्छा करने का संतोष भी मिलता है।
गायों और श्वानों को खाना खिलाते हैं
रविवार की सुबह शहर की सड़कों पर मनोहर राव अपनी टीम के साथ श्वानों का खाना खिलाते और पानी पिलाते नजर आते हैं। उनका कहना है इस काम से उन्हें कुछ बेहतर करने का संतोष मिलता है। उन्होंने बताया कि टीम के सभी सदस्य घर से पांच-पांच रोटियां लाते हैं। रोटी नहीं जमा होने पर बिस्किट या ब्रेड खरीद लेते हैं। लोग आजकल गायों और श्वानों को खाना खिलाना बंद कर दिए हैं। ऐसे में इन मूक पशुओं के लिए भोजन की समस्या उत्पन्न हो गई है। हमारी टीम बारी-बारी से शहर के अलग-अलग इलाकों में श्वानों और गायों को खिलाती हैं। मीना जयपुरकर बताती हैं कि हमलोग कुछ सहेलियां मिलकर गायों को रोटी खिलाने का काम करते हैं। वैसे तो परंपरानुसार भारतीय घरों में गायों को राेटी खिलाई जाती है। हम दोस्तों ने मिलकर इसे थोड़ा सा व्यवस्थित रूप दे दिया है। इस काम से हमें सुकुन मिलता है।
समय का करते हैं सदुपयोग
प्रतिमा गुप्ता का कहना है आज सभी अपने लिए जीने लगे हैं। यहां तक कि परिवार तक के लिए लोगों के पास समय नहीं है। ऐसे में दूसरों के लिए कौन सोचता है। मूक पशु-पक्षियों के लिए समय निकाल लें, यह बड़ी बात है। हमने यही सोचकर ऐसे बच्चों के लिए कुछ करने का निर्णय लिया, जो पढ़ना चाहते हैं, पर उनकी सहायता करने वाला कोई नहीं है। सेवानिवृत्त शिक्षिका प्रतिमा आसपास के ऐसे बच्चों काे पढ़ाती हैं, जो ट्यूशन पढ़ने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने बताया कि यह काम अकेले ही शुरू किया था। अब उनकी तीन और सेवानिवृत्त शिक्षिका दोस्तों ने इस काम में रुचि लेना शुरू कर दिया है। उन्हें लगता है इससे उनके समय का सदुपयोग हो रहा है।
Created On :   18 March 2019 3:32 PM IST