पारंपारिक खेती छोड़ अपनाया नया तरीका, बदली किस्मत

Abandon traditional farming, adopt new method, change luck
पारंपारिक खेती छोड़ अपनाया नया तरीका, बदली किस्मत
पारंपारिक खेती छोड़ अपनाया नया तरीका, बदली किस्मत

डिजिटल डेस्क, अमरावती । विदर्भ के किसानों के लिए खेती से जुड़ी समस्या हमेशा ही एक जटिल मुसीबत के रूप में उजागर होती रही है। खासतौर से पश्चिम विदर्भ के इलाके में अनियमित बारिश व सूखे की स्थिति किसानों पर संकट बनी रहती है। कई बार बारिश की अतिवृष्टि तथा सूखा पडऩे के हालात में किसानों को तुअर, सोयाबीन कपास व संतरे की फसल से भी हाथ धोना पड़ता है।  अधिकतर किसान कुदरत की मेहरबानियों पर ही निर्भर रहते हैं। इसलिए हर बार परिणाम आशाकृत नहीं हो पाते। किंतु अमरावती से लगभग 20  कि.मी. की दूरी पर नांदगांव खंडेश्वर के किसान शंकरराव कुरील ने अपनी चार एकड़ की खेती में पारंपारिक फसलों से हटकर जैविक तरीके से अदरक उगाने का निर्णय लिया। उनके इस साहस ने उनकी जिंदगी के स्वरूप को ही बदल दिया। 

वर्ष 2009 से 13  के बीच बारिश आंखमिचौली खेलती रही। इससे बड़े पैमाने पर अमरावती जिले में भी किसानों ने संकट का सामना किया। कई किसानों ने कर्ज के बोझ तले तथा नुकसान को बर्दाश्त न कर पाने की स्थिति में अपने प्राण त्याग दिए। किंतु अपना साहस न खोते हुए नांदगांव खंडेश्वर के शंकरराव कुरील ने कुछ नया करने का हौसला दिखाया और उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर अपने खेत में पानी की मशीन अथवा विलायती अदरक की खेती शुरू कर दी। नई पद्धति से खेती करते हुए पहले वर्ष में ही शंकरराव ने 3-3  महीने की चार फसलें हासिल की। एक एकड़ में लगभग पांच क्विंटल फसल हासिल करने में वे कामयाब हुए। इस अदरक को बाजार में अच्छी कीमत मिली। जिससे उन्होंने तीन वर्षों में ही अपने सिर पर चढ़ा कर्ज का बोझ व बैंक लोन चुकाने में सहायता हुई।  तब से लेकर अब तक शंकरराव खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं।

उन्होंने पास में पड़ी दो एकड़ की खाली जमीन पर इरानी खजूर के पौधे लगाए तथा उनकी उपज के लिए लगनेवाली जरूरी सुविधाएं अपने खेत में उपलब्ध की। 2013  में लगे यह खजूर के पौधे सात वर्षों के बाद अब फल देने में सक्षम हैं। इस खजूर की स्थानीय बाजार तथा अंतरराज्यीय व्यापारियों में अच्छी खासी मांग है। शंकरराव के इस साहस ने यह साबित किया कि कुदरत पर निर्भरता से हटकर भी किसान अपने साहस से बहुत कुछ कर सकता है और आज शंकरराव ने खेती की परंपरा से हटकर जिले के सभी किसानों के लिए दुर्गम परिस्थितियों में भी साहस को एकत्रित कर नई ऊर्जा के साथ खेती के जरिए ही जिंदगी को नई दिशा देने की मिसाल पेश की है। 

Created On :   4 Feb 2020 8:26 AM GMT

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