नवंबर से भुगतान पर रोक, मजदूरों के भी सवा करोड़ है बाकी

abours did not get the payments of MGNREGA  since November
नवंबर से भुगतान पर रोक, मजदूरों के भी सवा करोड़ है बाकी
नवंबर से भुगतान पर रोक, मजदूरों के भी सवा करोड़ है बाकी

डिजिटल डेस्क छिन्दवाड़ा। मनरेगा की माली हालत बद से बदतर हो गई है। नवंबर से मटेरियल सप्लाई के भुगतान पर रोक लगी हुई है। अब हालत ये हैं कि छिंदवाड़ा में ही भुगतान का आंकड़ा  9 करोड़ 96 लाख रुपये पहुंच गया है। पांच महीने से भुगतान नहीं होने से पंचायतों ने भी नियमित काम करने से हाथ टेक दिए हैं।
    बजट के आभाव में नवंबर में शासन ने मनरेगा में मटेरियल भुगतान पर रोक लगाई थी, लेकिन उसके बाद जनवरी में महज दो दिनों के लिए रोक हटाई गई। जिसमें भी सर्वर की समस्या के चलते जनपद पंचायत के अधिकारी भुगतान नहीं कर पाएं। अब पांच महीने का लंबा समय बीत चुका है लेकिन  वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार रोक हटाने को तैयार नहीं है। जिले में हुए निर्माण कार्यों में इस्तेमाल हुए मटेरियल का आंकड़ा हर माह करोड़ों के पार हो रहा है।
मजदूरों को भी देना है सवा करोड़
मटेरियल की तरह मजदूरी  का भी 1 करोड़ 16 लाख का भुगतान करना है। अफसरों का तो कहना है कि ये रुटीन है। इतना भुगतान हमेशा शेष रहता है लेकिन गेहूं कटाई के समय पर नियमित भुगतान नहीं होने से मजदूर मनरेगा के कामों में रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
दूसरा पहलू: बजट से ज्यादा हुआ काम
जिले में मनरेगा के तहत सरकार ने जो बजट तय किया था। उससे ज्यादा के निर्माण कार्य जिले में हुए है। इस वजह से भी पेमेंट में दिक्कत आ रही है। अधिकारियों का कहना है कि शासन द्वारा निर्धारित किए गए बजट के काम पहले ही पूरे हो चुके हैं।
ये हो रहा असर
पंचायतों की मुसीबत: मटेरियल का भुगतान नहीं होने से पंचायत के सरपंच-सचिवों की सबसे ज्यादा मुसीबत हो रही है। जो काम जारी है उनमें सप्लाई के लिए ठेकेदार तैयार नहीं हो पा रहे हैं।
काम की रुकी गति: नियमित भुगतान नहीं हो पाने से जिस गति से निर्माण कार्यों को होना चाहिए। उस गति से नहीं हो पा रहा है। जिससे जिले की परफॉरमेंस पर असर पड़ रहा है।
मजदूरों में नहीं रुचि: मनरेगा के तहत हर मजदूर को 172 रुपये मिलते हैं। वो भी समय पर नहीं। अब गेहूं कटाई के समय मजदूरों को 200 से 250 रुपये तक मजदूरी मिल रही है। इस वजह से मजदूर भी रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
कहां से मिलता है कितना पैसा
- मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान का शत प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार देती है। जो बराबर आ रहा है।
- मटेरियल सप्लाई का फंड 75 फीसदी केंद्र सरकार और 25 फीसदी राज्य सरकार को देना होता है।
इनका कहना है...
- जल्द ही मटेरियल का भुगतान हो इसके लिए लगातार वरिष्ठ अधिकारियों से पत्राचार किया जा रहा है। जिले में फिलहाल मटेरियल का 9 करोड 96 लाख बाकी है।
निशांत सिक्केवार परियोजना अधिकारी, मनरेगा

 

Created On :   7 March 2018 8:07 AM GMT

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