कोटा में फँसे हैं शहर के लगभग 125 छात्र, आज जबलपुर के लिए रवाना होंगे

About 125 students of the city are trapped in Kota, will leave for Jabalpur today
कोटा में फँसे हैं शहर के लगभग 125 छात्र, आज जबलपुर के लिए रवाना होंगे
कोटा में फँसे हैं शहर के लगभग 125 छात्र, आज जबलपुर के लिए रवाना होंगे

डिजिटल डेस्क जबलपुर । आईआईटी और मेडिकल की कोचिंग करने जबलपुर से कोटा गए लगभग 125 छात्र लॉक डाउन की वजह से फँसे हुए हैं। इनमें से 102 छात्रों ने जिला प्रशासन के पास पंजीयन कराया है, जबकि 15 से 20 छात्र ऐसे हैं जिन्होंने पंजीयन नहीं कराया है। छात्रों ने 21 दिन के पहले लॉक डाउन को तो जैसे-तैसे निकाल लिया लेकिन दूसरे लॉक डाउन ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। कोटा में फँसे बच्चों को शहर लाने के लिए अभिभावकों ने काफी प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। राज्य सरकार द्वारा बसें भेजे जाने से छात्रों के साथ अभिभावकों को भी राहत मिली है। छात्र कोटा से बुधवार दोपहर बस से जबलपुर के लिए रवाना होंगे। कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए पहले चरण में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन की घोषणा की गई थी। इस दौरान छात्रों को हॉस्टल से खाना मिलता रहा। छात्र भी इस बात का इंतजार करते रहे कि लॉक डाउन खुलते ही वे अपने घरों के लिए रवाना हो जाएँगे लेकिन इसी दौरान 3 मई तक दूसरे चरण के लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई। इसके बाद छात्रों को भोजन की दिक्कत होने लगी। कोचिंग संस्थानों के संचालक भी लंबे समय तक के लिए व्यवस्था करने में असमर्थता जाहिर करने लगे। इसी बीच उत्तरप्रदेश सरकार ने बसें भेजकर अपने राज्य के छात्रों को वापस बुला लिया। इसके बाद से जबलपुर के अभिभावकों की भी चिंताएँ बढऩे लगीं। 
कोचिंग संचालकों ने खड़े किए हाथ 
पनागर के ग्राम घुरऊआ निवासी सुग्रीव पटेल ने बताया कि उनका बेटा आदर्श पटेल आईआईटी की कोचिंग कर रहा है। उत्तरप्रदेश के छात्रों के जाने के बाद कोचिंग संचालकों ने छात्रों से कहना शुरू कर दिया कि वे ज्यादा दिन तक इंतजाम नहीं कर पाएँगे। छात्रों को उनके घर वापस जाने के लिए व्यवस्था करने के लिए कहा जाने लगा। इसकी वजह से उनका बेटा परेशान हो रहा था। बस का इंतजाम होने से उन्हें राहत मिली है। 
तनाव की वजह से नहीं हो पा रही थी पढ़ाई 
रामपुर पुलिस चौकी के पास रहने वाले मनीष तिवारी ने बताया कि उनकी बहन सपना तिवारी कोटा में मेडिकल प्रवेश के लिए कोचिंग कर रही है।  लॉकडाउन के बाद से हॉस्टल में परेशानी बढऩे लगी। तनाव की वजह से पढ़ाई भी नहीं हो पा रही थी। कोचिंग संस्थान के संचालक भी मदद नहीं कर पा रहे थे। परिवार के सामने समस्या थी कि किस तरह से बहन को जबलपुर लाने के लिए इंतजाम किए जाएँ।

Created On :   22 April 2020 3:16 PM IST

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