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तय रेट के अनुसार भी अस्पताल का बिल स्टार हेल्थ बीमित को नहीं कर रही भुगतान
डिजिटल डेस्क जबलपुर। एक आम आदमी को उम्मीद रहती है कि बीमा पॉलिसी कहीं न कहीं जरूरत काम आएगी। इसी आशा के साथ पॉलिसी धारक प्रतिवर्ष प्रीमियम भी जमा करता है पर जब बीमित बीमार होता है और अस्पताल के साथ बीमा कंपनी की मदद लेनी होती है तो बीमा कंपनी अपने हाथ खड़े कर लेती है। कैशलेस तो दूर की बात है अस्पताल के बिलों के साथ बीमित जब क्लेम करता है तो अनेक कमियाँ निकालकर बीमा कंपनी नो क्लेम कर देती है। जब पॉलिसी धारक नो क्लेम का जवाब माँगता है तो बीमा कंपनी के अधिकारी फोन रिसीव ही करना बंद कर देते हैं। वर्तमान में स्टार हेल्थ के अधिकारियों का भी यही हाल है। गाइडलाइन के अनुसार तय दर के अनुसार भी भुगतान करने में क्लेम डिपार्टमेंट के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1
कोरोना से संक्रमित हुए बीमित के बिल में ही कटौती कर दी
सिविल लाइन डिलाइट टॉकीज के समीप रहने वाले राजू वर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने स्टार हेल्थ से कोरोना कवच पॉलिसी ली है। पॉलिसी लेते वक्त बीमा कंपनी के धीरज कुमार सहित अन्य अधिकारी आए थे, जो कह रहे थे कि हमारी कंपनी पूरा कैशलेस करती है और कई तरह के वादे इन अधिकारियों ने किए थे लेकिन दिसम्बर 2020 में कोरोना संक्रमण का शिकार होने पर वे अस्पताल में जब भर्ती हुए तो बीमा कंपनी ने अस्पताल में कैशलेस नहीं किया। अस्पताल का दो लाख 84 हजार का बिल बना था जो पूरा उन्हें भुगतान करना पड़ा। बीमा कंपनी में जब बिल सबमिट किए गए तो अनेक क्वेरी के बाद बड़ी मुश्किल में क्लेम देने अधिकारी राजी हुए और 1 लाख 37 हजार का ही बिल भुगतान किया गया। उनसे जब कटौती का कारण पूछा गया तो बीमा कंपनी ने कहा कि हम गाइडलाइन के अनुसार ही भुगतान कर रहे हैं। राजू वर्मा ने गाइडलाइन दिखाते हुए शेष राशि भुगतान की माँग की, तो बीमा कंपनी के ब्रांच मैनेजर से लेकर अन्य अधिकारी फोन रिसीव ही नहीं कर रहे। पॉलिसी धारक का आरोप है कि बीमा कंपनी के जिम्मेदार ही बीमा कंपनी को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं।
टोल-फ्री नंबर पर रिस्पॉन्स नहीं-
बीमित का आरोप है कि बीमा कंपनी के टोल-फ्री नंबर पर जब संपर्क किया जाता है तो वहाँ भी सही उत्तर नहीं दिया जा रहा। अन्य पीडि़तों की मानें तो जानबूझकर बीमा कंपनी के जिम्मेदार पॉलिसी धारकों को परेशान कर रहे हैं और सैकड़ों पॉलिसी धारक न्याय की गुहार लगाते हुए दर-दर भटक रहे हैं।
Created On :   11 Aug 2021 8:39 PM IST