ब्रिटेन के फर्जी रेसिडेंस परमिट के साथ पकड़े गए आरोपी को एक साल की सजा 

Accused caught with UK fake residence permit sentenced to one year
ब्रिटेन के फर्जी रेसिडेंस परमिट के साथ पकड़े गए आरोपी को एक साल की सजा 
ब्रिटेन के फर्जी रेसिडेंस परमिट के साथ पकड़े गए आरोपी को एक साल की सजा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। एक स्थानीय अदालत ने इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ब्रिटेन के फर्जी रेसिडेंस परमिट के साथ पकड़े गए वीजा से जुड़ी धोखाधड़ी के आरोपी को एक साल के कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराध भारत की छवि पर असर डालते हैं। इस तरह की हरकते दूसरे होनहार विद्यार्थियों के लिए वीजा को लेकर परेशानी पैदा करती हैं। 

अंधेरी कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य महानगरीय दंडाधिकारी आर.आर.खान ने आरोपी हार्दिक पटेल को भारती दंड संहिता की धारा 471 (फर्जा दस्तावेज का इस्तेमाल मौलिक दस्तावेज के रुप में करना)  व 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोपी को दोषी ठहराते हुए उपरोक्त बात कही। मैजिस्ट्रेट खान ने कहा कि इस मामले में आरोपी ने दो देशों (भारत व ब्रिटेन) की इमिग्रेशन अथारिटी के साथ धोखाधड़ी की है। इसलिए आरोपी का अपराध काफी गंभीर है। इस तरह के अपराध से विदेश में नौकरी खोजने के इच्छुक व होनहार विद्यार्थियों को वीजा मिलने में परेशानी होती है और देश की छवि पर भी असर पड़ता है। इसका कूटनीतिक प्रभाव भी पड़ता है।  

अभियोजन पक्ष के मुताबिक साल 2010 में लंडन से वापस लौटे आरोपी पटेल का इंटरेशनल एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारी ने पासपोर्ट चेक किया था। इसके बाद आरोपी के ब्रिटेन के रेसिडेंस परमिट को लेकर उनके मन में संदेह हुआ। पूछताछ के बाद पता चला कि आरोपी साल 2007 में छात्र वीजा पर यूके गया था। जो साल 2008 में खत्म हो गया। इस वीजा पर उसे यूके में काम करने की भी छूट मिली थी। आरोपी ज्यादा समय का वहां पर काम कर सके इसके लिए आरोपी ने यूके में एक निजी व्यक्ति की मदद से 2012 तक रेसिडेंस परमिट हासिल कर लिया। लेकिन ब्रिटिश उच्चाय़ुक्त ने जांच के बाद इस परमिट को फर्जी पाया। इसके बाद आरोपी को वहां से 2010 में वापसे लौटना पड़ा। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद मैजिस्ट्रेट ने मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए कहा कि आरोपी ने ज्यादा पैसा कमाने की लालच में अपराध किया है लेकिन इसका असर देश की छवि पर पड़ता है। हैरत की बात है कि आरोपी उच्च शिक्षित होते हुए भी रेसिडेंस परमिट बढाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की बजाय निजी व्यक्ति की मदद ली और उसे तीन हजार ब्रिटिश पाउंड भी दिए। 

पीड़िता से समझौते के बावजूद हाईकोर्ट का दुष्कर्म का मामला रद्द करने से इंकार 

उधर पीडिता की रजामंदी के बावजूद बांबे हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के बाद पीड़िता का जबरन गर्भपात कराने के आरोपों का सामना कर रहे आरोपी के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म का मामले को रद्द करने से इंकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि इस तरह के मामले आपसी समझौते से रद्द नहीं किए जा सकते। इससे पहले अतिरिक्त सरकारी वकील अरुणा पई ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ती मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने दावा किया है कि इस तरह के मामले को रद्द करन से समाज पर इसका गंभीर असर पड़ेगा। क्योंकि आरोपी पर दुष्कर्म के अलावा पीड़िता का जबरन गर्भपात कराने का भी आरोप है। पुलिसन  ने इस मामले को लेकर निचली अदालत में आरोपपत्र भी दायर कर दिया है। वहीं आरोपी ने दावा किया था कि उसने शिकायतकर्ता के साथ आपसी सहमति के साथ मामले को सुलझा लिया है। इस बारे में आरोपी ने एक समझौता पत्र भी खंडपीठ के सामने पेश किया। जिस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के मामले को महज आपसी सहमति के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है। क्योंकि आरोपी पर काफी गंभीर व जघन्य अपराध का आरोप है। मामले में जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गयास उसके घटक तथ्यों में नजर आ रहे हैं। जो अपराध के घटित होने का खुलासा करते हैं। इसलिए महज समझौते के आधार पर धारा 376 (दुष्कर्म)  व 313 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता है। इस तरह से खंडपीठ ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि पीडिता ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ बोरीवली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। 
 

 

Created On :   11 Feb 2021 8:05 PM IST

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