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खादी ब्रांड का दुरुपयोग पड़ सकता है भारी, आयोग का सख्त रुख
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कई दुकानों में कारखानों में निर्मित सूती कपड़ों को भी खादी के नाम पर प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन नागरिक कपड़ों की खरीदी करने के दौरान खादी की गुणवत्ता की जांच नहीं कर पाते। इसे देखते हुए अब खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने खादी के नाम पर कपड़ों को बिक्री करने को लेकर कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है। नियमों के तहत खादी निर्माण और गुणवत्ता को केवीआईसी द्वारा प्रमाणित किया जाता है। इस प्रमाणपत्र के आधार पर ही खादी ब्रांड और चिह्न के साथ उत्पाद को बिक्री करने की अनुमति मिलती है, ताकि खादी के निर्माण और गुणवत्ता से किसी भी प्रकार से समझौता नहीं हो पाएं। बावजूद इसके अनेक संस्थाओं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और नागरिकों द्वारा खादी नाम से अपने उत्पादों को प्रचार किया जा रहा है। पिछले दो साल में केवीआईसी के नागपुर विभागीय कार्यालय में पांच संस्थाओं के खिलाफ बगैर अनुमति खादी ब्रांड इस्तेमाल की शिकायत मिली है। आयोग ने नोटिस देकर कार्रवाई आरंभ कर दी है। ऑनलाइन खादी उत्पादों की बिक्री करने वाली 200 संस्थाओं को भी नोटिस थमाया गया है।
खादी मार्क रेगुलेशन्स 2003 तथा खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956 के तहत आयोग से प्रमाणित और अनुमति के बगैर किसी भी कपड़े में खादी उत्पाद का इस्तेमाल गैरकानूनी माना गया है। अायोग के नागपुर कार्यालय को पिछले दो साल में करीब 5 संस्थाओं और विक्रेताओं के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। इन संस्थाओं को नोटिस देने पर माफीनामे के साथ खादी ब्रांड के इस्तेमाल को बंद कर दिया गया है। दो माह पहले वर्धा में स्पेशल मानसून धमाका में सूती कपड़े को खादी के नाम पर बिक्री करने को लेकर भी नोटिस जारी किया गया है। इसके अलावा एक अन्य संस्था को खादी निर्मित वस्त्रों के नाम पर उत्पाद और बिक्री पर भी कानूनी प्रक्रिया आरंभ की गई है। देश भर में ऑनलाइन उत्पादों को खादी के नाम पर प्रचारित करने को लेकर भी करीब 200 संस्थाओं को नोटिस दिया गया है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग की कानूनी सलाहकार कंपनी आरएनए आईपी अटार्नी की ओर से नोटिस दिए गए हैं।
खादी ब्रांड इस्तेमाल के दो मानक
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए महात्मा गांधीजी ने खादी को परिभाषित किया है। इसके तहत हाथ से कताई, हाथ से बुनाई होने वाला सूती, ऊनी और रेशमी कच्चे माल से चरखा से निर्मित वस्त्र ही खादी माना गया है। खादी और ग्रामोद्योग के नियमों के तहत इस परिभाषा के साथ ही आयोग से प्रमाणपत्र को पाने के बाद ही कोई भी संगठन अथवा नागरिक अपने उत्पाद में खादी ब्रांड का इस्तेमाल कर सकते हंै। सन 2013 में अधिनियम के तहत आयोग के खादी शब्द का पेटेंट कराया है। इससे पहले केवल संस्था को ही खादी मार्क से खादी की बिक्री की अनुमति होती थी, लेकिन अब नागरिक भी खादी शब्द और ब्रंाड का इस्तेमाल कर सकते हैं। खादी निर्माण संस्था से आयोग द्वारा निर्धारित दाम पर खरीदे कपड़े को विविध डिजाइन और स्वरूप में बिक्री को निर्धारित मूल्यवर्धित उत्पाद (वैल्यू एडेड प्राडक्ट) के रूप में अनुमति दी गई है।
जांच के बाद ही प्रमाणपत्र
खादी ब्रांड और शब्द को अपने उत्पादों की बिक्री के लिए इस्तेमाल करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग से प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होता है। इसके लिए संस्था को आॅनलाइन आयोग की वेबसाइट पर आवेदन करना होता है। इसके बाद आयोग की ओर से उत्पादों की गुणवत्ता और निर्माण प्रक्रिया की जांच की जाती है। पूरी जांच और दस्तावेजों की पड़ताल के बाद केन्द्रीय प्रमाणन बोर्ड में आवेदन को भेजा जाता है। प्रक्रिया के बाद 5 साल के लिए संस्था को खादी ब्रांड इस्तेमाल के लिए प्रमाणपत्र जारी होता है। इस प्रमाणपत्र का विभागीय कार्यालय स्तर पर नवीनीकरण किया जा सकता है।
ऐसे होती है नमूनों की जांच
निजी उत्पादकों की ओर से अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए कई बार खादी के रूप में खुद के ब्रांड को प्रचारित किया जाता है। मामले की शिकायत मिलने पर खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा तत्काल नोटिस दिया जाता है। अक्सर नोटिस मिलने के बाद विक्रेता अथवा निर्माता कंपनी माफीनामे के साथ ब्रांड का इस्तेमाल बंद कर देती है, लेकिन नोटिस के बाद भी ब्रांड को इस्तेमाल करने पर विभाग की जांच टीम पहुंचकर उत्पाद के नमूनों को संकलित करते हैं। नमूनों को केवीआईसी प्रमाणित प्रयोगशाला में भेजकर जांच कराई जाती है। जांच में खादी के मानकों के उल्लंघन की रिपोर्ट मिलने पर कॉपीराइट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। पिछले साल मुंबई में एक बड़े शोरूम को नियम उल्लंघन के मामले में कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने इस शोरूम को सील करा दिया है
Created On :   6 Nov 2021 5:57 PM IST