वकील को सह आरोपी बनाने की कार्रवाई हाईकोर्ट से खारिज

Action to make lawyer co-accused dismissed by High Court
वकील को सह आरोपी बनाने की कार्रवाई हाईकोर्ट से खारिज
वकील को सह आरोपी बनाने की कार्रवाई हाईकोर्ट से खारिज

डिजिटल डेस्क जबलपुर । प्लॉट की खरीदी में हुई धोखाधड़ी के मामले में माढ़ोताल पुलिस द्वारा सह आरोपी बनाए गए अधिवक्ता अशोक सोनी को हाईकोर्ट से राहत मिली है। मामले में अधिवक्ता श्री सोनी का दावा था कि उन्होंने पुलिस के खिलाफ सीएम हैल्पलाईन में शिकायत की थी और इसी दुर्भावना के चलते उन्हें सह आरोपी बना दिया गया। जस्टिस राजीव कुमार दुबे की एकलपीठ ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद एफआईआर से अधिवक्ता श्री सोनी का नाम खारिज कर दिया।
गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए थे
अधिवक्ता अशोक सोनी की ओर से दायर इस पुनरीक्षण याचिका में कहा गया था कि शंकर नगर में स्थित हेमलता खत्री के 24 सौ वर्गफुट के प्लाट को अनिल पॉल खरीदना चाह रहे थे। एजेन्ट रतन सिंह ठाकुर ने पावर्ती विश्वकर्मा को हेमलता खत्री बताते हुए उक्त प्लॉट को बेचने का अनुबंध अनिल पॉल से किया और 3 लाख रुपए भी लिए। उस अनुबंध में अधिवक्ता अशोक सोनी ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद जब संपत्ति के दस्तावेजों की जांच की गई तो वे फर्जी पाए गए। इसकी शिकायत अनिल पॉल और अधिवक्ता अशोक सोनी द्वारा 28 अक्टूबर 2017 को पहले माढ़ोताल पुलिस थाना को की। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और अन्य उच्च अधिकारियों से भी शिकायतें करने के बाद भी एजेन्ट और पार्वती विश्वकर्मा के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो अधिवक्ता अशोक सोनी ने सीएम हैल्पलाईन में एक शिकायत 16 सितंबर 2018 को की। उस पर भी कोई कार्रवाई न होने पर दूसरी शिकायत सीएम हैल्पलाईन में 9 नवम्बर 2018 को की गई। उसके बाद पुलिस को 1 दिसंबर 2018 तक कार्रवाई करने के निर्देश सीएम हैल्पलाईन से दिए गए। याचिका में आरोप है कि माढ़ोताल पुलिस ने एजेन्ट रतन लाल और पार्वती विश्वकर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी व अन्य धाराओं के तहत मामला तो दर्ज किया, लेकिन उसमें अधिवक्ता अशोक सोनी को भी सह आरोपी बना दिया गया। पुलिस द्वारा दुर्भावनापूर्ण तरीके से की गई कार्रवाई को चुनौती देकर यह पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता खरीददार था और न ही विक्रेता
मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सत्यम अग्रवाल ने पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने प्लॉट खरीदी के एग्रीमेन्ट में खरीददार अनिल पॉल के गवाह के रूप में दस्तखत किए थे। न तो याचिकाकर्ता खरीददार था और न ही विक्रेता। पुलिस ने उनके मुवक्किल को मात्र इसलिए सह आरोपी बनाया क्योंकि उन्होंने दो बार सीएम हैल्पलाईन में शिकायतें की थीं। इन दलीलों के समर्थन में पेश किए गए दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए एफआईआर से अधिवक्ता अशोक सोनी का नाम खारिज कर दिया।
 

Created On :   15 Nov 2019 1:10 PM IST

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