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एडल्ट्री अपराध नहीं, हाईकोर्ट से रिहा हुआ कर्मचारी
डिजिटल डेस्क,नागपुर। पत्नी के विवाह बाह्य संबंधों (एडल्ट्री) को अपराध मानने से कोर्ट ने इनकार कर दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ से विवाह बाह्य संबंधों के मामले में घिरे एक स्वास्थ्य विभाग कर्मचारी को बड़ी राहत मिली है। अपने कार्यालय के सहकर्मी की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध रखने का दोषी मान कर 25 मई 2015 को निचली अदालत ने उसे भादवि 497 के तहत 6 माह की जेल और 1500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपी की अपील हाईकोर्ट में विचाराधीन थी। 27 सितंबर 2018 को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया था। इसमें पत्नी के विवाह बाह्य अन्य पुरुष से संबंधों (एडल्ट्री) को अपराध मानने से इनकार कर दिया। इसी के साथ भादवि धारा 497 भी खारिज कर दी। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को आधार मानते हुए नागपुर खंडपीठ ने इस प्रकरण में हाल ही में अपना फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने इस स्वास्थ्य कर्मचारी की सजा खारिज करते हुए उसे मामले से बरी कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर नागपुर में किसी आरोपी के रिहा होने का संभवत: यह पहला मामला बताया जा रहा है।
दोषी मानकर निचली अदालत ने सजा दी थी
मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में आरोपी का पक्ष रख रहे एड.ए.के.चौबे और एड.राजेंद्र डागा ने दलील दी थी कि जिस आरोपों में इस स्वास्थ्य कर्मचारी को दोषी मान कर निचली अदालत ने जेल की सजा सुनाई है, उस धारा 497 को तो देश की सर्वोच्च अदालत ने रद्द कर दिया है। ऐसे में अब आरोपी को सजा देना न्याय की दृष्टि से सही नहीं है। जहां तक 27 सितंबर 2018 के पहले दायर मामलों में इसके असर की बात है, स्वयं सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस निर्णय को सभी विचाराधीन मामलों में पूर्व प्रभाव से लागू करके आरोपियों को लाभ देने की जिक्र अपने एक अन्य आदेश में किया है। ऐसे में हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को गौर से सुनने के बाद अपना फैसला दिया।
यह था मामला
नागपुर जिले के पारसिवनी तहसील निवासी मनोज (परिवर्तित नाम) स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत था। वे विभाग द्वारा दिए गए सरकारी क्वाॅर्टर में रहता थे। उसी के कार्यालय के सहकर्मी दिलीप (परिवर्तित नाम) भी पड़ोस में रहता था। मनोज को शक था कि उनकी पत्नी के साथ दिलीप के संबंध हैं। कुछ दिनों बाद शक गहराता गया । 7 अप्रैल 2010 को आक्रोशित मनोज ने अपने सहकर्मी दिलीप पर पत्नी के साथ शारीरिक संबंध रखने का आरोप लगा कर जेएमएफसी कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई। मामले में जेएमएफसी कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 25 मई 2015 को मनोज को भादवि धारा 497 के तहत दोषी ठहराते हुए 6 माह की जेल और 1500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। इसके खिलाफ आरोपी मनोज ने नागपुर सत्र न्यायालय में अपील की, लेकिन कोर्ट ने जेएमएफसी कोर्ट का फैसला बरकरार रखते हुए 2 जनवरी 2018 को उनकी अपील खारिज कर दी। इसके बाद आरोपी मनोज ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ की शरण ली, जिस पर नागपुर खंडपीठ ने अपना फैसला दिया है।
Created On :   24 Dec 2018 4:56 AM GMT