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सिटी बसों पर विज्ञापन से नहीं मिल रहा फायदा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा की बस सेवा को लगातार घाटा सहन करना पड़ रहा है। ईंधन खर्च में बढ़ोतरी के साथ ही यात्रियों की कमी समस्या बनी हुई है, साथ ही पुरानी बसों की देखभाल भी सिरदर्द साबित हो रही है। ऐसे में परिवहन विभाग आमदनी के नए स्रोत को तैयार करने पर जोर दे रहा है। बावजदू इसके पिछले कई सालों से बसों पर विज्ञापनों को लेकर कोई भी फैसला नहीं किया गया है। ऐसे में अब बसों पर अब भी नि:शुल्क विज्ञापन बाजी से विद्रूपीकरण हो रहा है, वहीं मनपा की आमदनी भी नहीं हो रही है। आला-अधिकारियों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो सालों से विज्ञापन का फैसला नहीं हो पाया है। अब भी अनेक एजेंसी और आयोजक अपने कार्यक्रमों के आयोजनों को लेकर बसों पर विज्ञापन कर रहे हैं, लेकिन इससे मनपा को कोई भी आमदनी नहीं हो पा रही है।
रिजर्व बैंक का नियम बना अड़ंगा
निजी बैंक आईडीएफसी की आेर से नीलामी प्रक्रिया में रिजर्व बैंक की नियमावली से दिक्कत हुई है। परिवहन विभाग ने सभी बसों पर विज्ञापन का ठेका देने का फैसला किया था। बैंक की ओर से औपचारिक रूप से प्रक्रिया को आरंभ करने के लिए रिजर्व बैंक से अनुमति मांगी गई थी, लेकिन रिजर्व बैंक की नियमावली के तहत कर्जबाजार संस्था को किसी भी प्रकार से सहायता नहीं की जा सकती है। इतना ही नहीं, कर्जबाजार संस्था का अन्य बैंक या वित्तिय संस्था में एस्क्रो खाता भी नहीं खोला जा सकता है। मनपा को बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ओर से कर्ज दिया गया है। ऐसे में आईडीएफसी बैंक की ओर से प्रस्ताव को क्रियान्वित नहीं किया गया।
शहर बस सेवा से विज्ञापनबाजी कर आमदनी पाने को लेकर पहले भी दो मर्तबा प्रयास हुआ है, लेकिन दोनों मर्तबा प्रशासन को सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पाए। साल 2010 में निजी एजेंसी ने 1 साल के लिए 25 बसों के विज्ञापन के अधिकार लिए थे। प्रति बस के लिए करीब 16,000 रुपए का भुगतान मिलता रहा, लेकिन इसके बाद किसी भी एजेंसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। साल 2011 से 2018 तक परिवहन विभाग ने 15 मर्तबा विज्ञापन के अधिकार देने का प्रयास किया है, लेकिन कोई भी एजेंसी ने अपने प्रस्ताव नहीं दिया। साल 2018 में ई-सेवा केंद्र के माध्यम से पुरजोर प्रयास कर टेंडर प्रक्रिया आरंभ की गई, लेकिन विज्ञापन में दिनांक को लेकर गड़बड़ी से मामला अटक गया। एक निजी एजेंसी ने हाईकोर्ट में पूरी प्रक्रिया को चुनौती भी दी। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद दोबारा से प्रक्रिया को आरंभ करना पड़ा, लेकिन इस प्रयास को भी सफलता नहीं मिल पाई है।
क्या है मामला
दो साल पहले परिवहन विभाग ने सभी बसों पर विज्ञापन का ठेका देने का फैसला किया था। नीलामी प्रक्रिया और एजेंसी की नियुक्ति में अनियमितता को देखते हुए निजी बैंक आईडीएफसी ने नीलामी प्रक्रिया कर एजेंसी की नियुक्ति की जिम्मेदारी ली थी। इस बैंक के माध्यम से आॅनलाइन नीलामी के लिए विज्ञापन भी निकाला गया। विज्ञापन की शर्त के मुताबिक बैंक को नीलामी प्रक्रिया कर एजेंसी को नियुक्त करना था। इस नियुक्त एजेंसी की ओर से दो साल की अग्रिम अनुबंध राशि को आईडीएफसी बैंक के माध्यम से मनपा के पास जमाकर विज्ञापनों का अधिकार दिया जाना था, लेकिन मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन लग जाने से मामला अटक गया है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक की नियमावली के चलते निजी बैंक ने इस पूरी प्रक्रिया से खुद को हटाया है।
नए सिरे से प्रस्ताव तैयार कर रहे
रवींद्र पागे, प्रशासकीय अधिकारी, परिवहन विभाग के मुताबिक निजी बैंक आईडीएफसी के माध्यम से बसों की विज्ञापनबाजी के अधिकार देने का प्रस्ताव बनाया गया था, लेकिन कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन के चलते प्रक्रिया को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। अब नए सिरे से प्रस्ताव को तैयार किया जा रहा है। नए प्रस्ताव में बसों के विज्ञापनबाजी से बेहतर आमदनी होने की उम्मीद की जा रही है।
Created On :   4 Jan 2022 7:33 PM IST