कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल ने कैशलेस से मना किया, अब इंश्योरेंस कंपनी नहीं दे रही क्लेम

After Corona got infected, the hospital refused cashless, now the insurance company is not giving the claim
कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल ने कैशलेस से मना किया, अब इंश्योरेंस कंपनी नहीं दे रही क्लेम
कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल ने कैशलेस से मना किया, अब इंश्योरेंस कंपनी नहीं दे रही क्लेम

पॉलिसी धारकों का आरोप - भुगतान न देना पड़े इसलिए तरह-तरह की क्वेरी निकालती हैं कंपनियाँ
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कोरोना से संक्रमित होने के बाद इलाज कराना जितना वर्तमान में कठिन है उतना ही क्लेम लेना। इंश्योरेंस कंपनियों से परेशान पॉलिसी धारक अब अस्पताल के साथ ही बीमा कंपनियों पर भी गंभीर आरोप लगा रहे हैं। पीडि़तों का कहना है कि अस्पताल ने इलाज के नाम पर जमकर बिलिंग की। अस्पताल के बिलों की रसीद के आधार पर क्लेम लेने के लिए बीमा कंपनी में आवेदन किया गया, तो तरह-तरह की जानकारी माँगी गई। बीमित व्यक्ति के द्वारा सारी जानकारियाँ कंपनी को उपलब्ध कराई गईं पर महीनों बाद यह पत्र आता है कि आपका क्लेम सेटल करने लायक नहीं है। पीडि़त के द्वारा कंपनी के अधिकारियों से लेकर ऑनलाइन मेल कर क्लेम नहीं देने का कारण पूछा गया पर उनके द्वारा कोई भी उत्तर नहीं दिया गया। बीमा कंपनियों की तानाशाही से परेशान बीमित व्यक्ति यहाँ तक कहने लगे हैं कि बीमा कराने से पहले कंपनी से एग्रिमेंट कराना होगा कि जो वादे आपने किए थे वे पूरे करेंगे, उसके बाद ही पॉलिसी ली जाए। प्रतिवर्ष पॉलिसी को एग्रिमेंट के अनुसार रेन्यू भी कराया जाए।
सारी क्वेरी पूरी करने के बाद आदित्य बिरला कैपिटल ने किए हाथ खड़े  
आमनपुर निवासी रोहित जैन ने अपनी शिकायत में बताया कि 30 अगस्त 2020 को निमोनिया की शिकायत होने पर आगा चौक स्थिति मेडिसिटी हॉस्पिटल में इलाज के लिए वे भर्ती हुए थे। अस्पताल प्रबंधन को मेरे द्वारा आदित्य बिरला कैपिटल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी का कार्ड दिया गया, तो अस्पताल ने कैशलेस करने से मना कर दिया। रोहित का कहना था कि इलाज कराना मजबूरी थी तो हमारे द्वारा अस्पताल को पूरा 1 लाख 6 हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया। भुगतान के उपरांत हमारे द्वारा वहाँ से सारे बिल लेकर इंश्योरेंस कंपनी में क्लेम किया गया। बिलों के आधार पर कंपनी लगातार क्वेरी करती रही और उस आधार पर अस्पताल से सारे साक्ष्य लाकर कंपनी को दिए गए। कंपनी लगातार ओके करती रही और अचानक क्लेम सेटल करने से उसने इनकार कर दिया। पीडि़त ने लगातार आदित्य बिरला कैपिटल हेल्थ इंश्योरेंस के ब्रांच मैनेजर के साथ ही मुंबई मुख्यालय में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारियों से भी बात की, लेकिन उनके द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता रहा। आठ महीने बीतने के बाद भी किसी तरह का जवाब कंपनी नहीं दे रही है।
पिता की मौत के बाद एक साल से बीमा ऑफिस के लगा रहा चक्कर
सब्जी का ठेला लगाकर परिवार का भरण-पोषण करने वाले सोमनाथ केवट ने बच्चों के भविष्य के लिए इंश्योरेंस कराया था। एलआईसी से कराए गए इंश्योरेंस की पिता मेहनत करके किश्त भी चुकता करते आ रहा था। सोमनाथ के बेटे सौरभ केवट निवासी घमापुर ने शिकायत में बताया कि उसके पिता को 2 अप्रैल 2020 को अचानक हार्टअटैक आने से वे शांत हो गए। उनकी पेटी को जब चैक किया गया तो उसमें एलआईसी की पॉलिसी मिली जिसमें उसका नाम नामिनी में लिखा था। उसने भारतीय जीवन बीमा निगम के एजेंट से संपर्क किया और सिविक सेंटर स्थित ऑफिस भी आया। वह लगातार पिता की एलआईसी में जमा राशि के लिए चक्कर लगा रहा है। 
पीडि़त का कहना है कि एलआईसी ऑफिस में पदस्थ अधिकारी के पास भी राशि दिलाने की गुहार वह लगा चुका है पर आज तक उसका क्लेम सेटल नहीं किया गया। पीडि़त ने आरोप लगाया कि एलआईसी के अधिकारी श्री गिल ने 15 दिनों में पॉलिसी सेटल कराने का कहा था पर महीनों बीत जाने के बाद भी किसी तरह से मदद नहीं की, बल्कि हमें चक्कर लगवाया जा रहा है।
इनका कहना है
रोहित जैन के इंश्योरेंस क्लेम से संबंधित सारे दस्तावेज हमारे द्वारा मुंबई एचओ को भेज दिए गए हैं। आपके द्वारा जानकारी माँगे जाने के बाद भी फिर से हमारे द्वारा मुंबई आफिस में बात की और जल्द ही क्लेम सेटल कर दिया जाएगा। 
सिद्धांत मिश्रा, ब्रांच प्रभारी आदित्य बिरला कैपिटल हेल्थ इंश्योरेंस 
पॉलिसी धारक अपने सारे दस्तावेज लेकर सीधे हमारे पास आए। पॉलिसी धारक के नामिनी के प्रकरण का परीक्षण कराने के बाद पूरा भुगतान एलआईसी के द्वारा कराया जाएगा। 
पुनीत शुक्ला ब्रांच मैनेजर एलआईसी 
 

Created On :   11 May 2021 2:19 PM IST

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