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कवि के विचार सुनकर लगा- हम अपराधी हैं, कई रात नींद नहीं आई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा की दलितों को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति न मिलने के बारे में एक कवि का विचार सुनकर मुझे कई रातों तक नींद नहीं आई। मुझे ऐसा लगा कि हम अपराधी हैं। रविवार को राकांपा की ओर से पवार के 81 वें जन्मदिन पर वरली के नेहरू सेंटर में मनाया गया। इस मौके पर पवार ने राकांपा के एप का उद्धाटन किया। पवार ने कहा कि मैं एक बार मराठवाड़ा के दौरे के दौरान औरंगाबाद में बंजारा समाज से आने वाले कवि मोतीलाल राठोड से मिला था। मैंने उनसे पूछा कि आप क्या सोच रहे हैं तो उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों के विरुद्ध सोच रहा हूं। फिर मैंने उनसे पूछा कि आपका क्या मतलब है तो उन्होंने एक पाथरवट नाम की कविता सुनाई। पाथरवट का मतलब छिन्नी और हथोड़ा से पत्थर की मूर्ति तैयार करने वाला। पवार ने कहा कि उन्होंने कविता में लिखा था कि हमने छिन्नी और हथोड़ा से पत्थर को मूर्ति में बदल दिया। इसके बाद उस मूर्ति को देखने के लिए पूरा गांव आया। गांव वालों ने उत्साह से मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया। लेकिन दलित होने के कारण हमें मंदिर में प्रवेश नहीं मिला। मुझे समाज की इस व्यवस्था को खत्म करनी है। पवार ने कहा कि इस तरह की कविता सुनने के बाद रात को नींद नहीं आई। हमें लगा कि हम अपराधी हैं। भले ही हमने चाहे कुछ हो या नहीं। लेकिन हम उस समाज के प्रतिनिधि हैं। हमारे समाज ने वंचितों और शोषितों पर जो अन्याय किया है उसको दूर करने के लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए। पवार ने कहा कि यदि राकांपा के कार्यकर्ताओं के मन में इस तरह के विचार सुनकर बैचेनी हुई तो वह सच्चा कार्यकर्ता हैं। राकांपा के कार्यकर्ताओं को समाज के वंचित घटकों के सुख और दुख में शामिल होना चाहिए। पवार ने कहा कि अभी भी समाज के कई वर्गों को लगता है कि उन्हें सम्मान से जीवन जीने का अधिकार नहीं है। यदि उन्हें ऐसा लगता है कि हमें उनकी शिकायतों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। पवार ने कहा कि राकांपा समेत एवं अन्य दलों के कार्यकर्ताओं को बदलते सामाजिक- राजनीतिक परिदृश्य के अनुरूप खुद को ढालने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज, ज्योतिराव फुले और डॉ.बाबासाहब आंबेडकर जैसे समाज सुधारकों के विचार और दृष्टि भविष्य के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी।
Created On :   13 Dec 2021 5:21 PM IST