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दस हजार की कॉस्ट लगने के बाद सरकार ने पेश किया जवाब - जनहित याचिका
डिजिटल डेस्क जबलपुर । दूध व उससे बने उत्पादों के दाम व गुणवत्ता का निर्धारण करने को लेकर दायर याचिका पर दस हजार रुपए की कॉस्ट लगने के बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब पेश कर दिया है। जवाब में अब तक मिलावट खोरों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा दिया गया है। जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की है।
गौरतलब है कि नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने वर्ष 2017 में उक्त मामला दायर किया था। याचिका में कहा गया है कि कलेक्टर द्वारा विगत 3 फरवरी 2017 को दूध के दाम निर्धारित किये गये थे। उक्त आदेश के बाद से ही बाजार में आरोपित तौर पर मिलावटी दूध मिलना शुरु हो गया है। वेंडर रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के बिना ही दूध का कारोबार कर रहे हैं और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। याचिका में राहत चाही गई थी कि शहर में पैक्ड दूध की बिक्री सुनिश्चित की जाये।
मामले पर कई अवसर प्रदान किये जाने के बाद भी जवाब पेश नहीं किये जाने को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने मामले की पिछली सुनवाई में सरकार पर दस हजार रूपये की कॉस्ट लगाई थी।
मामले पर सोमवार को सरकार की ओर से जवाब देकर कहा गया कि याचिका सिर्फ खबरों पर आधारित है, उसमें कोई भी स्पष्ट उदाहरण मिलावट के बारे में नहीं दिया गया। ऐसे में याचिका खारिज की जाए। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय और राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता एचके उपाध्याय हाजिर हुए। युगलपीठ ने मामले पर 18 दिसंबर को आगे सुनवाई के निर्देश दिए।
17 सैम्पल फेल पाए, 13 वेण्डर हुए दण्डित
जवाब में सरकार का कहना है कि वर्ष 2016 से लगातार मिलावट के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और अब तक लिए गए 235 सैम्पलों में से 17 सैम्पल
फेल पाए गए हैं। संबंधितों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई की जा रही है। इसी तरह मिलावटी दूध बेचने वाले 13 वेण्डरों (कृष्ण कुमार मिश्रा, कन्हैया लाल पटेल व लाल पटेल, अमृत माखीजा, मनीष पटेल, जनता डेयरी, प्रकाश यादव, मिश्रा डेयरी, तिवारी डेयरी, भजन डेयरी, नरेन्द्र राजपूत, जवाहर अहिरवार और मुन्नालाल रजक को दोषी पाए जाने पर सजा और जुर्माने से दण्डित किया गया है। सरकार का यह भी कहना है कि शहर में खुले दूध की बिक्री पर कोई पाबंदी नहीं है और किसी भी वेण्डर को पैक्ड दूध बेचने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
Created On :   3 Dec 2019 2:35 PM IST