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कोरोना से थोड़ा उबरे तो अब दर्दनाक बना ब्लैक फंगस
पोस्ट कोविड इफैक्ट - ईएनटी से लेकर इलाज की पाँच से सात विधाओं के एक्सपर्ट के चक्कर काटने विवश हैं पीडि़त, बीमारी के 3 से 4 माह गुजर जाने के बाद भी नहीं मिल रही राहत, परिजन भी व्यथित
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना वायरस ने जिस तरह शहर में हौलनाक मंजर दिखाया ठीक उसी तरह के हालात उन परिवारों के सामने अभी भी हैं जिनके घर का कोई भी इस समय ब्लैक फंगस से जूझ रहा है। जो भी व्यक्ति इस फंगस की चपेट में आ गया है, वह चैन की साँस नहीं ले पा रहा है। आर्थिक रूप से आदमी की कमर तोडऩे के बाद यह सेहत के लिहाज से भी पीड़ा दायक बना हुआ है। इस खतरनाक मर्ज की वजह से किसी को सिर में भयानक दर्द, डायरिया पेट खराब, भूख की इच्छा न होना, दाँत हिलना, शरीर में सूजन तो किसी को बेतहाशा पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। यह भी बात सामने आई है कि इसमें पीडि़त को ईएनटी स्पेशलिस्ट के साथ मामला बिगडऩे पर नेत्र, चेहरे के लिए मेक्सलोफेशियल सर्जन, मेडिसिन, गुर्दे के लिए नेफ्रो, ब्रेन के लिए न्यूरो फिजिशियन तक की सलाह लेनी पड़ रही है। शहर में दर्जनों ऐसे परिवार हैं जिनकी जिंदगी को कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस ने दर्दनाक बना दिया है।
ये लोग हैं ज्यादा परेशान
कोरोना ठीक हुआ पर शुगर बिगड़ी, प्रतिरोधक क्षमता घटी तो ब्लैक फंगस ने घेर लिया। अब वजन पूरी तरह से घट गया। इम्युनिटी कम है और कई तरह की बीमारियाँ हैं जिनसे जूझने के साथ फंगस से भी जंग चल रही है। इन हालातों में परिवार का बजट बिगड़ गया और मानसिक पीड़ा में पूरा परिवार भी हलाकान है।
90 किलो का व्यक्ति 50 का हो गया
शांतिनगर निवासी 40 वर्षीय एक युवक को जब कोरोना वायरस ने घेरा तो वजन उस समय 90 किलो था। कोरोना जैसे ही ठीक हुआ तो नाक में ब्लैक फंगस हो गया। एक सर्जरी हुई तो भी चैन नहीं। वजन लगातार घट रहा है। शहर के कई अंग काले पड़ गए और भूख नहीं लगती है जिससे वजन भी लगातार घट रहा है। पिछले 3 माह से पूरा परिवार पीड़ा में जी रहा है।
अब गुर्दे का इलाज शुरू हो गया
मण्डला निवासी 54 वर्षीय एक शिक्षक को ब्लैक फंगस से उबरने के लिए एम्फोटेरेसिन बी के इंजेक्शन लगे। इसका प्रभाव कुछ ऐसा हुआ कि उस समय तो कुछ परेशानी हुई बाद में किडनी क्रियेटनिन बढ़ गया और अब हालात ऐसे बने कि कोरोना, फंगस से उबर भी गए तो गुर्दे में परामर्श की जरूरत पड़ती है। सोचा नहीं था फंगस इस तरह नुकसान पहुँचायेगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
जईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. नितिन अडगांवकर कहते हैं कि अनेकों पेशेंट हैं जिनको कई किस्म के विधाओं के एक्सपर्ट से सलाह की जरूरत पड़ रही है। ब्लैक फंगस के बाद बहुत सारी समस्याएँ 3 से 4 माह तक हो सकती हैं। चेहरे में परेशानी। डायरिया, आँख की पलक बंद हो जाना। पेट में दर्द इससे इम्यूनिटी घटती है जिससे लंबा वक्त उबरने में लग रहा है।
जसीनियर ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश पाठक कहते हैं कि ब्लैक फंगस जहाँ होगा वहाँ पर खून की नसों को ब्लॉक करता है। इतना ही नहीं यह जहाँ भी पहुँचता है उससे सामान्य रंग में बदलाव होता है। रक्त गति थमेगी तो नसों पर असर स्वाभाविक है। बहुत धैर्य से इलाज की जरूरत है जिसमें इंजेक्शन के बाद दवाइयाँ भी लगातार निगरानी के साथ देनी पड़ती हैं।
Created On :   8 July 2021 3:10 PM IST